अगर किसी समस्या को हल करने के प्रयास शिद्दत से किए जाएं, तो हमें उसके सकारात्मक परिणाम अवश्य देखने को मिलते हैं। ऐसा ही कुछ हमें हरियाणा में देखने को मिला है जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों के दौरान राज्य के लिंगानुपात में बड़ा सुधार देखने को मिला है। वर्ष 2015 में जब हरियाणा के पानीपत से प्रधानमंत्री मोदी ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की थी, तब हरियाणा में लिंगानुपात के आंकड़े बड़े चिंताजनक थे। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में प्रति 1000 लड़कों पर सिर्फ 834 लड़कियां थी, लेकिन राज्य सरकार की मेहनत के बदौलत आज यह संख्या 933 तक पहुंच चुकी है और इसमें लगातार सुधार देखने को मिल रहा है।
अपनी सरकार की इस उपलब्धि को प्रकाशित करते हुए सीएम मनोहर लाल खट्टर ने बीती 12 जून को एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा ‘जब हमने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान चलाया तब प्रदेश में लिंगानुपात की संख्या 1000 लड़कों पर मात्र 871 लड़कियां थी, लेकिन हमने समाज, संस्थाओं, सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हुए आज 933 के आंकड़े तक पहुंच गए हैं। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है’।
जब हमने 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान चलाया तब प्रदेश में लिंगानुपात की संख्या 1000 लड़कों पर मात्र 871 लड़कियां थी लेकिन हमने समाज, संस्थाओं, सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हुए आज 933 के आंकड़े तक पहुंच गए हैं। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है।
— Manohar Lal (मोदी का परिवार) (@mlkhattar) June 12, 2019
बेशक यह हरियाणा जैसे राज्य के लिए गर्व की बात है लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सरकार द्वारा कड़ी मेहनत की गई। एक तरफ जहां बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक किया गया, तो वहीं सरकार द्वारा भ्रूण जांच केन्द्रों पर उचित कार्रवाई करने में भी सक्रिय भूमिका निभाई गई। सरकार ने बड़े पैमाने पर जागरूक अभियान चलाये, जिसके तहत गांवो और अस्पतालों में बेटी के जन्म पर खुशी मनाने की रीति को बढ़ावा दिया गया। इसके अलावा गणतन्त्र दिवस और स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर लड़कियों से ध्वजारोहण करवाया गया ताकि समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया जा सके। ग्राम पंचायतों को लिंगानुपात में सुधार करने के लिए पुरुस्कृत किया गया और शहरों में प्रभात फेरियों का आयोजन किया गया। इतने विस्तृत जागरूक अभियान का ही यह नतीजा निकला कि लोगों ने बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी अपनाना शुरू कर दिया।
दूसरी तरफ सरकार ने भ्रूण हत्या और भ्रूण जांच के खिलाफ सख्त कानून बनाए और उन्हें सख्ती से लागू भी किया गया। हरियाणा सरकार ने प्री-कॉन्सेप्शन एक्ट, प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक एक्ट और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 584 एफ़आईआर दर्ज की गई, जो कि वर्ष 2015 के बाद से किसी भी राज्य के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा है। इसके अलावा हरियाणा सरकार द्वारा 1000 से ज़्यादा डॉक्टर्स, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों, अल्ट्रासाउंड टेकनीशियन्स को गिरफ्तार भी किया गया।
इन योजनाओं के अलावा कन्या भ्रूणहत्या की जानकारी देने वाले मुखबिर को 1 लाख रुपये नकद पुरस्कार देना हो, या फिर छद्म उपभोक्ताओं के द्वारा अभियुक्तों को पकड़ने के लिए चलाये जाने वाले विशेष अभियान हो, या फिर अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर निगरानी रखने के लिए विशेष टीमों का गठन करना हो, मनोहर लाल खट्टर के इन निर्णयों ने हरियाणा में परिवर्तन लाने की मुहिम को एक नई दिशा दी है। इतना ही नहीं, हरियाणा ने राज्य में हुये अपराधों के संबंध में यूपी, दिल्ली एनसीआर, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान में भी छापा डालने में कोई संकोच नहीं दिखाया, और अब तक 130 से ऊपर एफ़आईआर दर्ज़ की जा चुकी हैं।
समाज के अथक प्रयास एवं खट्टर सरकार के लिए गए निर्णयों से हरियाणा में निस्संदेह व्यापक बदलाव आए हैं। भारत पिछले कुछ वर्षों से ऐसे कई समस्याओं को समाप्त करने में लगा हुआ है, जिन्हें वर्षों तक अनदेखा किया गया था, और हरियाणा की सफलता इसी बात का जीता जागता प्रमाण है।