भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ दुनिया में तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत और दुनिया के अन्य विकासशील देशों के लिए ‘ऊर्जा’ सबसे महत्वपूर्ण संसाधन होता है। भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में ‘कच्चे तेल’ का सबसे अहम योगदान है, क्योंकि भारत की अधिकतर ऊर्जा की पूर्ति कच्चे तेल से निकलने वाले पदार्थ जैसे पेट्रोल और डीज़ल से ही होती है। हालांकि, पिछले कुछ समय में ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ रहे तनाव से वैश्विक तेल बाज़ार पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और कच्चे तेल की जरूरतों की पूर्ति को लेकर भारत की चिंताएं बढ़ी हैं। एक तरफ अमेरिका ने भारत के महत्वपूर्ण तेल निर्यातक ईरान पर प्रतिबंध लगा दिये हैं, तो वहीं दूसरी तरफ ‘स्ट्रेट ऑफ़ होरमुज़’ में लगातार हो रहे तेल टैंकरों पर हमले से तेल परिवहन में मुश्किलें पेश आ रही हैं, जिसके बाद भारत पर तेल की कमी से जूझने का संकट आन खड़ा हुआ है। ऐसे में संयुक्त अरब अमीरात ने भारत की मदद करने का आश्वासन दिया है। यूएई ने कहा है कि वह भारत को किए जाने वाले तेल निर्यात पर किसी तरह का संकट नहीं आने देगा।
यूएई के राजदूत अहमद अल बन्ना ने कहा है कि, ‘यूएई ने भारत से वादा किया है और आश्वासन दिया है कि वह ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद तेल की किसी भी कमी को कवर करेंगे। हमने पहले भी ऐसा किया है और आगे भी करेंगे।’
पिछले दिनों पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यह जानकारी दी थी कि यूएई ने ‘स्ट्रेट ऑफ होरमुज़’ में बढ़ रहे तनाव के बावजूद भारत को बिना किसी विघटन के तेल और एलपीजी की पूर्ति करने का आश्वासन दिया है। वहीं कल यह खबर आई कि अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत को अगर कच्चे तेल की कमी होती है तो यूएई ने उस कमी को पूरा करने का आश्वासन दिया है।
बता दें कि इस महीने 20 तारीख को ईरान ने एक अमेरिकी ड्रोन को मार गिराने का दावा किया था। इसके साथ ही इस महीने ‘स्ट्रेट ऑफ होरमुज़’ में कुल 6 तेल टैंकरों को रहस्यमयी तरीके से निशाना बनाया गया था। अमेरिका ने इन हमलों के पीछे ईरान का हाथ बताया था। इसके बाद अमेरिका ने ईरान पर और ज़्यादा दबाव बनाने के लिए दो महत्वपूर्ण कदम उठाए। एक तरफ जहां अमेरिका ने ‘स्ट्रेट ऑफ होरमुज़’ में हथियारों को तैनात कर दिया, तो वहीं दूसरी तरफ उसने ईरान पर प्रतिबंधों को और कड़ा करने का फैसला लिया। इन दोनों ही फैसलों से भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है। ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंध के बाद 2 मई के बाद भारत ने इस देश से तेल खरीदना बंद कर दिया था। भारत चीन के बाद ईरान से सबसे ज़्यादा तेल आयात करने वाला देश था। ईरान पर प्रतिबंध के बाद अब यूएई ने भारत की तेल जरूरतों की पूर्ति का आश्वासन दिया है।
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने खाड़ी देशों के साथ अपने सम्बन्धों को मजबूत बनाने पर ज़ोर दिया। इसके मुख्यतः दो कारण थे। एक तो ये कि इन देशों में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं,अकेले यूएई में भारतीय मूल के 25 लाख लोग रहते हैं। और दूसरा ये कि इन देशों से भारत अपनी जरूरत का कच्चा तेल आयात करता है। पीएम बनने के बाद वर्ष 2015 में पीएम मोदी 34 सालों में यूएई का दौरा करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बने। वर्ष 2018 में भारत और यूएई की सरकार ने रेल सेक्टर में तकनीकी सहयोग के लिए एक ‘मेमोरेंडम ऑफ अण्डरस्टैंडिंग’ पर भी हस्ताक्षर किये थे। वर्ष 2019 के चुनावों से पहले भी पीएम मोदी ने इस देश का दौरा किया था जहां उनको यूएई के राष्ट्रपति ने देश के सबसे उच्च नागरिक पुरस्कार ‘ज़ाएद मैडल’ से नवाज़ा गया था। मोदी सरकार ने खाड़ी देशों के साथ संतुलित कूटनीतिक को लगातार जारी रखा, और यही कारण है कि देश में खाड़ी देशों का पहला हिन्दू मंदिर भी बनाया जा रहा है। अब जरूरत के समय भारत की मदद के लिए आगे आकर यूएई ने भारत के साथ मजबूत होते रिश्तों का एक और प्रमाण दिया है।