योग केवल शारीरिक व्यायाम या आसन नहीं है बल्कि मनुष्य के मन और आत्मा का एकाकीकरण होना भी है। इसे मन को न सिर्फ शांति मिलती है बल्कि ये स्वस्थ जीवन की कुंजी भी है। योग भारतीय संस्कृति की अनमोल देन है जो हज़ारों सालों से भारतीयों की जीवन−शैली का हिस्सा रहा है।। योग आयु, रंग, जाति, संप्रदाय, मत, पंथ, अमीरी-गरीबी, प्रांत, सरहद के भेद से परे है। योग सबका है इसमें कोई भेदभाव नहीं है। ये पंक्तियां प्रधानमंत्री मोदी की हैं। योग के महत्व को प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद से खूब बढ़ावा दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री मोदी ने 27 सितंबर 2014 को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आह्वान किया था। उनके इस ऐलान का दुनिया के लगभग सभी देशों ने समर्थन भी किया। इसके बाद से हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
Jharkhand: Prime Minister Narendra Modi interacts with people after performing yoga at Prabhat Tara ground in Ranchi on #InternationalDayofYoga pic.twitter.com/Ny0Ksd0A2Z
— ANI (@ANI) June 21, 2019
#WATCH Jharkhand: PM Modi performs yoga at Prabhat Tara ground in Ranchi on the occasion of #InternationalDayofYoga. https://t.co/uIIvg30dZ0
— ANI (@ANI) June 21, 2019
आज दुनियाभर में 5वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। योग दिवस के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्य कार्यक्रम का आयोजन रांची में किया है।
दरअसल, प्रधानमंत्री चाहते हैं कि आदिवासी और गरीबों के बीच योग पहुंचे। सबसे ज्यादा बीमारी से परेशान गरीब होते हैं इसीलिए वो चाहते हैं कि योग उनसभी तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। इस दौरान उन्होंने योग से जुड़े संस्थानों को भी बढ़ावा देने की बात कही।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘रांची प्रकृति के करीब है, यही कारण है कि उन्होंने यहां पर योग दिवस मनाने का फैसला किया।‘ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना की शुरुआत की थी और इसलिए यहां योग मनाना लाजमी भी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस प्रयास से योग को गरीब और आदिवासियों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना है। साथ ही योग को शहरों से गावों की तरफ ले जाना है। ऐसा करके वो गरीबों को स्वस्थ और सशक्त बनाना चाहते हैं क्योंकि गरीब ही बीमारी की वजह से काफी कठिनाइयों का सामना करता है। अब प्रधानमंत्री के प्रयास आधुनिक योग की यात्रा शहरों से गांवों की तरफ ले जाने की है, गरीब और आदिवासी के घर तक ले जाने की है। वो योग को गरीब और आदिवासी के जीवन का भी अभिन्न हिस्सा बनाना चाहते हैं। क्योंकि ये गरीब ही है जो बीमारी की वजह से सबसे ज्यादा कष्ट पाता है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद झारखंड की आदिवासी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। साल 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार आदिवासी आबादी देश में सबसे वंचित आबादी में शुमार है। हालांकि, बीते वर्षों में गरीबों की संख्या घटी है लेकिन अभी तक गरीबी पूरी तरह से कम नहीं हुई है। रिपोर्ट्स की मानें तो झारखंड ने गरीबी को कम करने में सबसे तेजी से कदम भी बढ़ाया है। अब रांची के लोगों को योग से जोड़कर प्रधानमंत्री मोदी उन्हें स्वस्थ जीवन के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
बता दें कि पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने रांची की धरती से ही दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ की शुरुआत की थी। इस जगह को चुनने के पीछे के मुख्य कारणों में से एक गरीबों के नाम पर राजनीति करने की बजाय गरीबों के सशक्तीकरण को बढ़ावा देना था। इसी दिशा में आज भी प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास जारी है जो सराहनीय है।