अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर राहुल गांधी ने भारतीय सेना और श्वान दस्ता का अपमान किया था। उन्होंने एक बेहद ही बचकाना ट्वीट किया था जिसमें योग आसन करते हुए भारतीय सेना का श्वान दस्ता और उनके प्रशिक्षकों का मज़ाक उड़ाते हुए उसपर ‘नए भारत’ का तंज़ कसा था।
इस ट्वीट का औचित्य किसी के भी समझ से परे हैं। न तो इस ट्वीट से कोई राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति होती है, और न ही किसी और एजेंडे को बढ़ावा मिलता है। यह ट्वीट केवल सेना के श्वान दस्ते का मखौल उड़ाने के लिए किया गया था। चूंकि यह ट्वीट राहुल गांधी के अकाउंट से आया है, जो कथित रूप से श्वान प्रेमी है, इसलिए यह काफी अजीब भी है।
ट्विटर जगत पर भी इन्हीं बातों पर ध्यान देते हुए ट्विट्टर यूज़र्स अटकलें लगाने लगे की आखिर राहुल गांधी ने ऐसा क्यों किया। अक्सर अपने बयानों और हरकतों से अपने लिए ही मुश्किलें खड़ी करने वाले राहुल गांधी का ये ट्वीट ‘उनके मानकों’ के हिसाब से भी काफी बेतुका और बचकाना है। कुछ लोग तो यह भी कयास लगा रहे हैं कि कहीं उनका अकाउंट बीजेपी तो नहीं चला रही है। हालांकि, यह सुझाव व्यंग्य में दिया था, परंतु इससे ट्विट्टर पर राहुल गांधी के अकाउंट को चलाने वाले की पहचान जानने की उत्सुकता अचानक से बढ़ गयी है।
Who is handling this account?
— Gabbar (@GabbbarSingh) June 21, 2019
सूत्रों की मानें, तो राहुल गांधी के अकाउंट को 48 वर्षीय निखिल अल्वा संचालित कर रहे हैं। वयोवृद्ध कांग्रेस नेता और राजस्थान एवं गुजरात जैसे राज्यों के पूर्व राज्यपाल मारग्रेट अल्वा के मझले बेटे निखिल पूर्व में सोशल मीडिया उद्यमी रह चुके हैं। दिल्ली के जाने-मने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में ये राहुल गांधी के साथ ही पढ़ते थे लेकिन वो उनसे केवल एक वर्ष जूनियर थे।
बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार निखिल अल्वा को राहुल गांधी के ट्विट्टर हैंडल का ‘चौकीदार’ कहा जाता है। हालांकि, जब इस बारे में एक पत्रकार ने उनकी राय जाननी चाही, तो उन्होंने कहा था, ‘मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है।‘ परंतु बिजनेस स्टैंडर्ड को दिये गए साक्षात्कार में कांग्रेस के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी के सभी ट्वीटों को निखिल अल्वा के स्वीकृति मिलना जरुरी है। दूसरे शब्दों में कहे, तो निखिल अल्वा ही वो व्यक्ति जो राहुल गांधी के अकाउंट के लिए ट्वीट बटन को दबाते हैं।
ईकोनोमिक टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार, निखिल अल्वा ने राहुल गांधी के सभी सोशल मीडिया अकाउंटों का दायित्व पिछले वर्ष सम्पन्न हुए कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के पश्चात ही संभाल लिया था। कहा जाता है कई मोदी सरकार पर तंज़ कसने के लिए ‘हाउ’स द जॉब्स?’ और ‘नोमो जॉब्स’ जैसे चर्चित ट्वीट इन्ही की उपज थे। इतना ही नहीं, ईटी के इस रिपोर्ट के अनुसार, निखिल अल्वा राहुल गांधी की मीडिया प्लानिंग के हर प्रक्रिया में सम्मिलित होते हैं, विशेषकर यदि ‘अपनी बात राहुल के साथ’ जैसे विशेष पहल करने हो।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट की माने तो निखिल अल्वा का ऐसा प्रभुत्व है कि कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख दिव्या स्पंदना को ही किनारे कर दिया गया, और उनके कद को अल्वा के मुक़ाबले काफी कम कर दिया गया था।
निखिल अल्वा का असली व्यक्तित्व हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में सामने आया। अपने चुनावी किस्मत को बदलने के लिए कांग्रेस जो न्याय स्कीम लेकर आई थी उसके लिए कैंपन निखिल अल्वा ने चलाया था। 28 मार्च को इस योजना की घोषणा करने के बाद राहुल गांधी ने एक कमेटी की स्थापना की, जिसमें उनकी बहन प्रियंका वाड्रा, उनके गुरु सैम पित्रोदा और निखिल अल्वा शामिल थे।
निखिल अल्वा को न्याय योजना के लिए एक अभियान तैयार करने के लिए दस दिन का समय दिया गया था, जिसमें निखिल अल्वा ने सभी आवश्यक वस्तुओं को अविलंब उपलब्ध कराया था। लेकिन जब ‘अब होगा न्याय’ पूरी तरह फ्लॉप साबित हुआ, तो कांग्रेस को स्वाभाविक तौर पर निखिल अल्वा पर अपनी निर्भरता कम कर देनी चाहिए थी, परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
अगर निखिल अल्वा ने ही भारत की सेना के श्वान दस्ते अपमान किया है तो उनके ट्वीट से राहुल गांधी की छवि पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ना था ही। इसके बावजूद इससे कांग्रेस से सहानुभूति रखने वालों को इस tweet के लिए दूसरों पर दोष मढ़ने से कोई कैसे रोक सकता है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की खास माने जाने वाली पत्रकार पल्लवी घोष के अनुसार यह ट्वीट किसी और ने भेजा होगा।
Look at this : we r being told someone else could have tweeted on behalf of rahul yesterday ! Makes him look worse : why don’t they get this ! Anyway why should we give any unsolicited advice to the grand old party
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) June 22, 2019
यह तो किसी और पर दोष मढ़ने का बेजोड़ उदाहरण है, जो नेहरू गांधी परिवार के चाटुकारों की पहचान बन चुकी है। चाहे निखिल अल्वा द्वारा राहुल गांधी का अकाउंट संचालित हो या नहीं, ये अलग चर्चा का विषय है, परंतु इससे राहुल गांधी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकते। राहुल गांधी का अकाउंट अल्वा संचालित करेंगे या कोई और ये तय करना राहुल गांधी का अपना फैसला है। ऐसे में यदि अल्वा कोई ऐसा ट्वीट करते हैं, जिससे लोगों के मन में उनकी छवि को लेकर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, तो ये राहुल गांधी की ही गलती है, और इसका दोष इनके चाटुकार किसी और पर नहीं मढ़ सकते।
शायद राहुल गांधी के लिए अच्छा यही होगा कि वह या तो अपना ट्विटर खुद संभाले, या फिर अल्वा को हटाकर किसी ऐसे व्यक्ति को अपना अकाउंट दे, जो उनके विचारों को खुलकर सामने लाये, ताकि बाद में ऐसे ट्वीटस को राहुल गांधी अपने ट्वीट तो बता सकें। अगर ऐसा नहीं हो सकता, तो नागरिक ऐसे व्यक्ति के हाथ में अपना देश कैसे सौंप सकते हैं, जिसे अपना खुद का ट्विट्टर अकाउंट ही नहीं संभालना आता।