हाल ही में शुक्रवार को एक अप्रत्याशित निर्णय में रेलवे पुलिस बल यानि आरपीएफ़ एवं रेलवे मंत्रालय ने मिलकर ऑपरेशन थंडर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिसके तहत जो दलाल भारतीय ई-टिकेटिंग एवं तत्काल सुविधा का अनुचित उपयोग कर रहे थे, ऐसे लोगों पर बड़ी कार्रवाई की गई है और उन्हें फिलहाल के लिए हिरासत में ले लिया गया है।
पूर्वी तटीय रेलवे के आरपीएफ़ के जवानों ने लगभग 19 लोगों को हिरासत में लिया, और उनसे 15 लाख रुपये के मूल्य के लगभग 730 टिकेट बरामद किए। जहां दक्षिण रेलवे के आरपीएफ़ ने 32 दलालों को हिरासत में लेकर 50 लाख रुपये के मूल्य के टिकट बरामद किए, तो वहीं पूरे भारत भर से लगभग 141 शहरों से ऐसे 387 दलाल हिरासत में लिए गए हैं।
पर आखिर दलालों से भारतीय रेलवे को किस बात का खतरा हैं? आइये इसके पीछे के कुछ प्रमुख कारणों को जानते हैं –
दरअसल जिन दलालों की यहां बात हो रही है, वे थोक में टिकट खरीद लेते थे और उन्हे ज़रूरतमन्द लोगों को ऊंचे दामों पर बेचकर अच्छा खासा लाभ अर्जित करते थे। इन्ही दलालों के कारण रेलवे को काफी नुकसान उठाना पड़ता था, लेकिन वर्तमान रेलवे मंत्री पीयूष गोयल के अंतर्गत लिए गए इस निर्णय से लगता है कि अब इस समस्या का अंत होना लगभग तय है। हाल ही में जो छापे पड़े हैं, उससे काफी हद तक इन दलालों की कमर टूटी है।
ऑपरेशन थंडर को भारतीय रेलवे के सभी विभागों ने एक साथ मिलकर अंजाम दिया। इस दौरान आरपीएफ़ ने देशभर के 141 शहरों में 276 जगह छापे मारे। आरपीएफ़ के डीजी अरुण कुमार के अनुसार, क्योंकि ये पीक सीज़न है, इसलिए दलाल इस समय सबसे ज़्यादा सक्रिय रहते हैं। इसलिए आरपीएफ़ ने बहुत सी टीमें बनाकर एक साथ 13 जून को छापा मारने की योजना बनाई। इन छापों से लगभग 22 हज़ार टिकट बरामद हुए, जिनका मूल्य 32 लाख, 99 हज़ार, 93 रुपये हैं। सूत्रों की मानें, तो इन दलालों ने लगभग 3 करोड़ टिकट बुक कर लिए थे।
सबसे ज़्यादा मामले पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में दर्ज़ हुये हैं, जिसके बाद बिलासपुर का नाम, और उसके बाद पूर्वी मध्य रेलवे एवं दक्षिण पूर्वी मध्य रेलवे के तहत आने वाले विभिन्न शहरों का नाम आता है। यही नहीं, इन छापों में ये बात भी सामने आई कि राजस्थान के कोटा शहर से एक ऐसा हैकिंग सिस्टम बरामद हुआ है, जिससे तत्काल टिकेट सिस्टम हैक किया जा सकता है। इतना ही नहीं, कई लोग तो टिकट के साथ साथ नकली प्रमाण पत्र भी बांट रहे थे। इससे साफ पता चलता है कि भारतीय रेलवे को इन दलालों से कितना खतरा रहता था।
पिछले कुछ वर्षों में रेलवे प्रशासन का जिस तरह पीयूष गोयल ने कायाकल्प किया है, वे अपने आप में प्रशंसा के योग्य है। रेलवे में दलाली पर लगाम लगाने के लिए इंन्होंने विशेष रूप से कई अहम निर्णय लिए हैं। चाहे वो टिकेटिंग अधिनियमों में बदलाव करना हो, या फिर हाल ही में भारतीय रेलवे द्वारा संचालित ऑपरेशन थंडर, रेलवे की प्रगति में रोड़ा बनने वाले इन दलालों को सबक सिखाने के लिए पीयूष गोयल और भारतीय रेलवे ने अपनी कमर कस ली है। ऐसे में हम दावे के साथ कह सकते हैं कि यदि रेलवे द्वारा इन दलालों पर ऐसे ही कार्रवाई जारी रही, तो निकट भविष्य में टिकट अनुपलब्धता की समस्या का पूरी तरह निवारण हो सकता है। चूंकि अब इन दलालों का मायाजाल पूरी तरह बिखरने की ओर अग्रसर है, इसलिए यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ट्रेन टिकेट कि बुकिंग अब और भी पारदर्शी एवं सुगम होगी।