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47 की उम्र में बेरोजगार, कैसे बरखा दत्त ने दो साल में अपने करियर का किया बेड़ा गर्क

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
15 July 2019
in मत
बरखा दत्त मीडिया
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बरखा दत्त को कौन नहीं जानता। सिर्फ पत्रकारिता जगत ही नहीं बल्कि वो भारत और विश्व में भी काफी विख्यात है। उन्हें यह प्रसिद्धि उनके पत्रकारिता में कई विवादों का हिस्सा बनने और एनडीटीवी, प्रिंट जैसे बड़े मीडिया समूह के लिए काम करने के बाद ही मिली है। एक बार फिर से बरखा सुर्खियों में है। हाल ही में बरखा ने ट्वीट कर कांग्रेस के पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए उन्हें खूब खरी खोटी सुनाई और तिरंगा टीवी के कर्मचारियों को वेतन नहीं देने का मामला उठाया। बरखा दत्त ने इस बात का भी खुलासा किया कि कैसे कपिल सिब्बल तिरंगा टीवी में कर्मचारीयों की छंटनी का दोष भी प्रधानमंत्री मोदी पर मढ़ना चाहा, जबकि स्वयं बरखा के अनुसार पीएम मोदी ने चैनल के किसी काम में हस्तक्षेप नहीं किया। बरखा ने यह भी बताया कि कैसे उन्हें यह सत्य उजागर करने के लिए मानहानि के मुकदमों की धमकियां दी जा रही हैं। बरखा दत्त के इस खुलासे ने तिरंगा टीवी में काम करने वाले पत्रकारों के साथ हुए अन्याय की पोल खोलकर रख दी। इसके साथ ही उन्हें ये भी समझ आ गया है कि एक प्रोपेगंडा आधारित मीडिया चैनल से जुड़ने से उनके ही करियर पर बड़ा ग्रहण लग गया है।

आज वो एक ऐसी पत्रकार बन गयी हैं जिनकी दोहरी पत्रकारिता के लिए आलोचना की जाती है और आज मीडिया में उनका कद भी समय के साथ घटता जा रहा है। इसके लिए कोई और नहीं बल्कि बरखा दत्त खुद ही जिम्मेदार हैं। 

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बरखा दत्त ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत प्रणॉय रॉय के एनडीटीवी से 1995 में की थी। लेकिन वर्ष 2016 में उन्होंने चैनल के ग्रुप एडिटर का पद छोड़ दिया था। इसके बाद वह बतौर कंसल्टिंग एडिटर एनडीटीवी में ही ‘द बक स्टॉप्स हियर’ और ‘वी द पीपल’ नाम से दो लोकप्रिय टीवी शो की एंकरिंग करती थीं।

बरखा कारगिल युद्ध के दौरान अपनी रिपोर्टिंग के लिए विवादों में रही थीं। उस समय उनपर इरिडियम सैटेलाइट फोन प्रयोग करने का आरोप लगा था तथा उन क्षेत्रों की लाइव रिपोर्टिंग भी की थी जहां उनकी रिपोर्टिंग के ठीक बाद पाकिस्तानी सेना ने हमला कर दिया था।

ऐसा ही कुछ वर्ष 2002 में गुजरात के मामले में देखने को मिला था। इस दौरान उनकी रिपोर्टिंग पर दंगे भड़काने का आरोप लगा था। मोदी सरकार आने के बाद एनडीटीवी की खबरों को लेकर दोहरा मापदंड सामने आने लगा जिससे एनडीटीवी के दर्शक चैनल से दूर होने लगे और इसका प्रभाव एनडीटीवी की फंडिंग पर पड़ने लगा। ऐसे में बरखा दत्त ने इस चैनल से खुद को अलग कर लिया। इस दौरान निधि राजदान के साथ उनका विवाद उस समय खूब सुर्ख़ियों में था। प्रणॉय रॉय के साथ भी बरखा का तालमेल खराब ही रहा।

वर्ष 2008 में मुंबई हमलों के दौरान भी उनकी रिपोर्टिंग की खूब आलोचना हुई थी जब उन्होंने लाइव कवरेज कर काउंटर ऑपरेशन के दौरान आतंकवादियों को सेना की वास्तविक स्थिति उजागर की थी। आतंकवादी बुरहान वानी को “गरीब हेडमास्टर का बेटा” बताने पर उनकी खूब आलोचना हुई थी।

एक पत्रकार होते हुए भी वो मुखर वामपंथी समर्थक रही हैं। साल 2011 में नीरा राडिया टेप कांड में बरखा दत्त का नाम सामने आया था। इस मामले में उनपर आरोप लगे थे कि उन्होंने नीरा राडिया के इशारों पर मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और डीएमके के बीच संदेश वाहक का काम किया था। इससे बरखा दत्त का कांग्रेस की तरफ झुकाव सभी के सामने आ गया था।  

As I move on after 21 Great NDTV yrs;a team I'm SO proud of, an Emmy Nomination & many other awards to cap it all,I count on your wishes 3/4

— barkha dutt (@BDUTT) January 15, 2017

एनडीटीवी से अलग होने के बाद बरखा दत्त ने शेखर गुप्ता के साथ मिलकर ‘द प्रिंट’ नाम से एक नया मीडिया वेंचर शुरू किया लेकिन यहां भी बरखा की नहीं बनी। और ‘द प्रिंट’ शेखर गुप्ता को नई ऊंचाई पर ले गये लेकिन बरखा वहीं की वहीं रह गयीं।

Hugely excited to start New Year on a new slate, diversify my interests & build my own independent projects. Watch this space for more ! 4/4

— barkha dutt (@BDUTT) January 15, 2017

वो इस चैनल से भी ज्यादा दिनों तक जुड़ी नहीं रह सकी। शेखर व बरखा की खूब जमी, लेकिन जल्द ही स्वार्थ के कारण दोनों अलग हो गये। इसके बाद बरखा ने भारत के खिलाफ लेखों को तरजीह देने वाली विदेशी अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के लिए लेख लिखना शुरू किया। वहां भी उनके आलेख भारत विरोधी ही होते थे।

Delighted to be a Contributing Columnist for @WashingtonPost .Look forward to working with the very Best. https://t.co/PaRKqXf4aq

— barkha dutt (@BDUTT) January 9, 2017

एनडीटीवी से अपनी पत्रकारिता शुरू करने वाली बरखा दत्त 2018 आते आते वाशिंगटन पोस्ट’ की गेस्ट ऑथर बनकर रह गयी थीं। बरखा का यह पतन देख कर यह स्पष्ट हो जाता है कि जब एक पत्रकार पत्रकारिता छोड़कर बुद्धिजीवी बनने लगता है और अपने स्तर को गिराता चला जाता है तो उससे कोई नहीं जुड़ना चाहता है।

कपिल सिब्बल ने नया टीवी चैनल तिरंगा टीवी बनाया और इसमें वरिष्ठ पत्रकार के रूप में बरखा दत्त भी काम करने लगीं. परन्तु ये चैनल भी अपने मोदी विरोधी भ्रामक खबरों के लिए ही चर्चा में रहा था। तिरंगा टीवी भी ज्यादा दिन तक नहीं टिक सका। आज आलम यह है कि वो इस चैनल के प्रमोटर कपिल सिब्बल पर अपनी भड़ास सोशल मीडिया पर निकाल रही हैं।

कुल मिलाकर बरखा दत्त ने हर तरफ से अपने लिए गड्ढा खोद लिया है। उनकी पत्रकारिता का इतिहास आलोचनाओं से भरा है। वह चाहे कारगिल युद्ध के दौरान की गयी रिपोर्टिंग हो या फिर मुंबई में हुए आतंकी हमले की रिपोर्टिंग। देश के हर कोने से उनकी आलोचना की गई, लेकिन उसे वह अपनी लोकप्रियता मान बैठी। उनके लिए राईट विंग के दरवाजे पहले ही उनकी दोहरी पत्रकारिता की वजह से बंद हो चुके हैं और अब लेफ्ट लिबरल्स से भी उनकी नहीं बन रही है. स्पष्ट है उन्होंने पत्रकारिता में अपने करियर को खुद ही बर्बाद किया है।

Tags: पत्रकारबरखा दत्त
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