5 जुलाई को देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। बजट में निर्मला सीतारमण ने ‘भारतीयता’ पर ज़ोर दिया और बजट में हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति के आधार पर देश की कई आर्थिक नीतियों को बनाने पर फोकस किया। सबसे पहले वित्त मंत्री बजट को पेश करने से पहले हाथ में ब्रीफ़ केस की बजाय पारंपरिक बही-खाता लेकर आईं। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने इसपर कहा कि ‘ये पश्चिमी विचारों की गुलामी से मुक्ति का प्रतीक है, ये बजट नहीं बल्कि बही खाता है’। इसके अलावा सीतारमण ने हलवा समारोह में भी हिस्सा लिया। बता दें कि हलवा समारोह के दौरान वित्त मंत्री बजट बनाने की प्रक्रिया में सम्मलित लोगों को हलवा परोसते हैं।
इस बजट में महिलाओं पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया। बजट में निर्मला सीतारमण ने स्वामी विवेकानंद के कथन का हवाला देते हुए कहा कि ‘जब तक देश की महिलाओं को विकास के अवसर प्रदान नहीं किए जाते, तब तक कोई देश विकास नहीं कर सकता।’ बजट से पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार के नेतृत्व में तैयार किए गए इकनॉमिक सर्वे में भी हमें भारतीयता की झलक नज़र आई। इकनॉमिक सर्वे में हमें भगवान शिव के अवतार अर्धनारेश्वर, ऋग्वेद में अंकित गार्गी और मैत्रेयी जैसी महिला विद्वानों, मत्स्यनया और हिन्दू, इस्लाम और ईसाई धर्म में कर्ज़ को चुकाने की महत्ता का उल्लेख दिखाई दिया।
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारतीय संस्कृति में धर्म के महत्व को देखते हुए इसे इकनॉमी से जोड़े जाने की जरूरत है, ताकि टैक्स नहीं देने के रवैये में कमी आए। आर्थिक सर्वे में लिखा है ‘हिंदू धर्म में उधार न चुकाना पाप और अपराध माना जाता है। शास्त्र बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का बिना कर्ज चुकाए देहांत हो जाता है तो उसकी आत्मा को बुरे नतीजों का सामना करना पड़ता है, इसलिए बच्चों का भी फर्ज है कि वो मां-बाप को इस तरह की बुराइयों से बचाएं’। इस बात को समझाने के लिए इस्लाम और बाइबल का भी ज़िक्र किया गया है।
इकनॉमिक सर्वे में भारतीय देवी-देवताओं के जरिए बेटियों और महिलाओं के महत्व के संदेश को आम जनता तक पहुंचाए जाने की कोशिश की गई है। इकनॉमिक सर्वे में ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ योजना का नाम बदलकर बदलाव करने का प्रस्ताव है। सर्वे के मुताबिक बदलाव की फुल फॉर्म ‘बेटी आपकी धन लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी’ है।
आर्थिक सर्वे में ऋग्वेद से लेकर शास्त्रों और वैदिक काल की किरदार गार्गी तक का जिक्र है, जिन्होंने हर चीज के अस्तित्व पर सवाल उठाया था। इसी तरह विदुषी मैत्रेयी का भी जिक्र है जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान के लिए अपने पति की संपत्ति को भी ठुकरा दिया था।
इसी तरह आर्थिक सर्वे में अथर्ववेद की प्रसिद्ध श्लोक ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’ को अंकित किया गया है। सर्वे में कहा गया है कि चूंकि वेद-पुराणों में लैंगिक समानता पर काफी अच्छी बातें लिखी हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल ‘बदलाव’ जैसी योजना को और असरदार बनाने में किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि ‘बदलाव’ योजना में धन लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी के जिक्र से लड़कियों को लक्ष्मी की तरह मानने का संदेश जाएगा।
भारतीय बजट को ‘भारतीयता’ में ढालने के लिए मोदी सरकार शुरू से ही प्रयासरत रही है। वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने अंग्रेजों के समय से चली आ रही रेलवे बजट को अलग से पेश करने की परंपरा को खत्म करते हुए रेलवे बजट को केंद्रीय बजट के साथ पेश करने की व्यवस्था की थी। इसके बाद वर्ष 2017 में अरुण जेटली के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय ने बजट फरवरी के आखिरी कार्य दिवस के दिन पेश करने की परंपरा को तोड़ते हुए बजट को फरवरी के पहले वर्किंग डे के दिन पेश करने की घोषणा की थी। इसके अलावा वर्ष 1999 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी थी तो बजट को शाम 5 बजे पेश करने की परंपरा को तोड़ा गया और पहली बार बजट सुबह 11 बजे पेश किया गया। कल भी बजट सुबह के 11 बजे ही पेश किया गया था। बजट देश के आम लोगों से जुड़ा होता है और देश की आम जनता को बजट से काफी उम्मीदें होती हैं। सरकार द्वारा बनाई गई नीतियां ही आम जनता पर सीधा असर डालती हैं। ऐसे में भारतीयता और हिंदुइज्म से जोड़कर वित्त मंत्रालय ने इस बजट का लोगों से जुड़ाव बढ़ाने की कोशिश की है। भारत सरकार की यह कोशिश सराहनीय है।