जब से भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2019 का लोकसभा चुनाव जीत कर दोबारा शासन में आई है, तब से देश में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। देश के हित में नए-नए फैसले लिए जा रहे है। भारत की आंतरिक और सीमा पर सुरक्षा की तरफ विशेष ध्यान दिया जा रहा है। केंद्र में मोदी सरकार अपने विकास के वादों पर किए सफल क्रियान्वयन के वजह से ही दोबारा चुनकर सत्ता में आई थी और वह भी बहुमत के साथ। विपक्ष को फिर से कोई मौका नहीं मिला और सभी विपक्षी पार्टियां अपनी साख बचाती दिख रही है। लेकिन हाल के दिनों में एक मुद्दा देश के सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। विपक्ष की सभी पार्टियां चाहे वो कांग्रेस हो या तृणमूल, सभी के नेता अब भाजपा में शामिल होते जा रहे है। अच्छे कर्तव्यनिष्ठ नेताओं का शामिल होना तो समझ में आता है लेकिन भ्रष्ट नेताओं और पार्टी की छवि खराब करने वाले नेताओं को बीजेपी में शामिल करने का तर्क समझ में नहीं आ रहा है।
गुरुवार को कांग्रेस नेता अल्पेश ठाकोर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। बता दें कि कुछ समय पहले गुजरात में हिन्दी भाषियों के खिलाफ चलाए गए हिंसक आन्दोलन में अल्पेश की भूमिका कथित तौर पर सामने आई थी। अल्पेश ठाकोर का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें वो अपने साथियों के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम कर रहे थे। अल्पेश के भाजपा में शामिल होने से खामियाजा भाजपा को गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश में उठाना पड़ सकता है। सामान्य आंकड़े बताते हैं कि गुजरात की अलग-अलग सीटों पर बिहार-उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले लोगों की बड़ी संख्या है। फिलहाल, ये सभी भाजपा के लिए वोट करते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से इन लोगों के प्रति नफरत को अल्पेश ठाकोर ने जिस तरह से बढ़ावा दिया था वो किसी से छुपा नहीं है और अब भाजपा में इस नेता के शामिल होने से यूपी-बिहार के लोगों में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ सकती है ऐसे में भाजपा को हिन्दी भाषियों के आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है।
वहीं कुछ दिन पहले गोवा कांग्रेस के 10 विधायकों के भाजपा में शामिल हुये थे जिसमें बाबुश मोनसेराते (अतानासियो मोनसेराते) और विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर जैसे विवादित और भष्ट्र नेता भी शामिल थे। यही वही मोनसेराते हैं जिन्होंने मनोहर पर्रिकर की सरकार गिराई थी। मोनसेराते के ऊपर पॉक्सो एक्ट के तहत एक नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार और उसे बंदी बनाकर क़ैद में रखने के गंभीर आरोप लगे हैं। मई में हुए उपचुनाव में भाजपा ने ही बलात्कार के आरोपी बाबुश से ‘गोवा को बचाओ’ नाम का हाई वोल्टेज कैंपेन भी चलाया था।
वहीं, विधायक चंद्रकांत बाबू कावलेकर को गोवा की राजनीति में ‘मटका किंग’ के नाम से जाना जाता है। 2017 में मनोहर पर्रिकर की भाजपा सरकार में ही गोवा पुलिस ने उनके घर पर छापा मारकर अवैध गैम्बलिंग कूपन बरामद किए थे। बाते दें कि कावलेकर ‘मटका किंग’ के नाम से मशहूर है और पूरे कोंकण इलाके में इनका ‘जुआ’ का अवैध कारोबार भी है।
भारत के अन्य हिस्से जैसे आंध्रा प्रदेश, पूर्वोतर राज्य तथा बंगाल से भी ऐसे कई विधायक और नेता शामिल हो रहे है।
ऐसा ही कुछ आंध्र प्रदेश राज्य में दल-बदल देखा गया. इकनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, टीडीपी से भाजपा में शामिल हुए 6 में से चार राज्यसभा नेता दागी है।
अब सवाल यह है कि क्या भाजपा अल्पेश ठाकोर, बाबुश मोनसेराते और चंद्रकांत बाबू कावलेकर जैसे नेताओं को भारतीय जनता पार्टी में शामिल कर अपनी ही छवि खराब कर रही है। यह स्पष्ट है कि यह भर्ती भाजपा को संख्या दे सकती है लेकिन यह विपक्षी नेताओं को सवाल करना का मौका भी देगी। यह अप्रत्याशित भर्ती भाजपा की अपनी विचारधारा और मूल सिद्धांतों से भी समझौता करना भी है। तथा ऐसे दागी नेताओं को भाजपा में शामिल कर ये पार्टी अपने ही वादे के साथ समझौता कर रही है। स्पष्ट देखा जा सकता है कि भाजपा अन्य दलों के लिए एक डंपिंग ग्राउंड बन गई है और पार्टी नेतृत्व को तुरंत सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए। जनता ने भाजपा को इतनी बड़ी बहुमत इसलिए नहीं दी है कि अन्य पार्टियों के भ्रष्ट नेता भी इस बहुमत का फायदा उठाएं। भाजपा को अब किसी अन्य पार्टी के नेता को शामिल करने से पहले उसके आचरण और पृष्टभूमि देख कर विचार करना चाहिए इसके बाद ही उन्हें शामिल करना चाहिए। अगर विचार नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह भारतीय जनता पार्टी पर ही भारी पड़ सकती है।