सोनभद्र मामले ने पूरे देश की राजनीति में कोहराम मचा रखा है। इस मामले के बाद जहां पूरा विपक्ष सरकार पर लॉं एंड ऑर्डर की स्थिति को लेकर निशाना साध रहा है, तो वहीं योगी सरकार ने कांग्रेस की पोल खोलते हुए यह बताया कि इस पूरे मामले के तार कांग्रेस शासन काल से जाकर ही मिलते हैं। दरअसल, 17 जुलाई को जमीन विवाद के मामले में 10 लोगों की जान चली गयी और 28 लोग घायल हो गए थे। इसके बाद से ही सोनभद्र में राजनेताओं द्वारा पॉलिटिकल टूरिज़म किया जा रहा है और सभी दलों के लोग वहां पहुंचकर राजनीतिक रोटियाँ सेकने में लगे हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी शुक्रवार को सोनभद्र जाकर पॉलिटिकल माइलेज हासिल करने की कोशिश की। हालांकि, उनको पुलिस द्वारा रोक दिया गया। इसके बाद प्रियंका गांधी ने विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश की और प्रशासन से उन्होंने उनको रोके जाने की वजह पूछी। प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने आप को पीड़ितों की हितैषी दिखाने की कोशिश की, हालांकि शायद वे भूल गईं कि इस विवाद को खड़ा करने में कांग्रेस सरकार का ही हाथ रहा है।
Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath on Sonbhadra land dispute incident in which 10 people were killed: The foundation of this incident was laid in 1955 when the then Tehsildar did the unlawful act of registering the land of Gram Samaj in the name of Adarsh Cooperative society. pic.twitter.com/VyrA1jODww
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 19, 2019
दरअसल, 17 जुलाई को जमीन विवाद को लेकर दो पक्षों में झगड़ा हुआ और 10 लोगों की हत्या कर दी गई। इस विवाद के तार वर्ष 1955 से जाकर मिलते हैं। आज़ादी के बाद से ही इस ज़मीन पर आदिवासी खेती किया करते थे। हालांकि, 1955 में कांग्रेस सरकार ने आदर्श सोसाइटी का गठन कर इस ज़मीन को गलत ढंग से सोसाइटी के नाम पर कर दिया। इसके बाद भी उस ज़मीन पर आदिवासियों ने खेती को जारी रखा और इसके बदले में वे आदर्श सोसाइटी को लगान दिया करते थे। इसके बाद वर्ष 1989 में कांग्रेस शासन के दौरान ही गलत ढंग से आदर्श सोसाइटी की ज़मीन को बिहार कैडर से संबन्धित एक आईपीएस अधिकारी को बेच दिया गया। वह अधिकारी इस ज़मीन पर कब्जा नहीं कर पाया और उसने इस ज़मीन को वर्ष 2017 में एक क्षेत्रीय ग्राम प्रधान को बेच दिया। वर्ष 2017 के बाद से ही उस ज़मीन पर खेती करने वाले किसानों और ग्राम प्रधान के बीच विवाद चल रहा था और इसी विवाद ने 17 जुलाई को सौनभद्र हत्याकांड का रूप ले लिया।
इस पूरे मामले के घटित होते ही सबसे पहले प्रियंका गांधी वाड्रा एक्टिव हुईं और उन्होंने योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। प्रियंका ने तुरंत घटनास्थल पर कूच किया। हालांकि, उनको उम्भा गांव में जाने से रोक दिया गया। जानकारी के अनुसार प्रियंका गांधी सोनभद्र जाने वाली थीं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने जिले में धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए उन्हें रोक दिया। बाद में उन्हें चुनार गेस्ट हाउस ले जाया गया। धारा 144 के नियमों से परिचित होने के बावजूद प्रियंका गांधी का प्रपंच उनकी गंदी राजनीति को दर्शाता है।
Priyanka Gandhi Vadra in Narayanpur on if she has been arrested: Yes, we still won't be cowed down. We were only going peacefully to meet victim families(of Sonbhadra firing case). I don't know where are they taking me, we are ready to go anywhere.' pic.twitter.com/q1bwkucl0g
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 19, 2019
सीएम योगी ने शुक्रवार को ही इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस मामले की सच्चाई सबके सामने रखी। उन्होंने बताया कि इस विवाद का पूरा श्रेय कांग्रेस सरकार को जाता है। प्रियंका वाड्रा का इस पूरे केस पर बवाल खड़ा करना उनकी दोहरी राजनीति को दर्शाता था। पिछली कांग्रेस सरकारों के समय किए गए पापों की वजह से ही आज सोनभद्र में 10 लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ी है। हालांकि, योगी सरकार ने इस पूरे मामले पर गंभीरता से कार्रवाई करते हुए फुल एक्शन मोड अपना लिया है। मीडिया से बात करते हुए योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को बताया कि सोनभद्र हत्याकांड के बाद 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और लापरवाही बरतने के लिए चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार पाया जाएगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने माना कि इस मामले में स्थानीय अधिकारीयों द्वारा लापरवाही बरती गयी जिस वजह से घटना ने बड़ा रूप लिया।
इस पूरे मामले पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है और कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेकना और भी दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस को इस मामले के पीड़ितों के साथ मुलाक़ात करके सुर्खियां बटोरने की बजाय पीड़ितों से माफी मांगनी चाहिए। प्रियंका गांधी वाड्रा ने जिस तरह इस पूरे मामले पर विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश की, वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके लिए कांग्रेस को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।