जहां एक तरफ पूरा देश कारगिल युद्ध में भारत की विजय के 20 वर्ष पूरे होने के शुभ अवसर पर उत्सवों की तैयारी में लगा है, तो वहीं मध्य प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने अलग रुख अपनाते हुए राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम से कारगिल युद्ध से संबन्धित अध्याय को ही हटा दिया है।
भोपाल का एमवीएम साइंस कॉलेज मध्य प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित एवं पुराने कॉलेजों में से एक है। यहां पर कॉलेज में सैन्य अध्ययन हेतु एक अलग विभाग भी है। लेकिन इसी कॉलेज के सिलेबस से वर्ष 2019-20 सत्र के लिए कारगिल युद्ध के अध्याय को हटा दिया गया है। 2017-18 तक ये अध्याय कॉलेज के पाठ्यक्रम का एक अभिन्न हिस्सा रह चुका है।
हालांकि, इसे हटाने के पीछे राज्य प्रशासन ने जो तर्क दिये हैं, वो किसी के भी गले नहीं उतर रहा हैं। कांग्रेस सरकार यह तर्क दे रही है कि कारगिल युद्ध को इसलिए पाठ्यक्रम से हटाया गया है, क्योंकि इसके लिए उचित पुस्तक नहीं मिल पायी है। यहीं नहीं, ये तर्क भी दिये गए हैं कि कारगिल युद्ध पर अच्छे लेखकों की कोई पुस्तक नहीं मौजूद है। ये अलग बात है कि प्रॉक्सी वॉर के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को सारे युद्धों की जानकारी दी जा रही है।
इसे अब अंध-विरोध में लिया एक घटिया निर्णय नहीं कहें तो क्या कहें? हालांकि, यह पहला अवसर नहीं है जब कमलनाथ की सरकार ने अंध-विरोध में भाजपा की पूर्व सरकार की कल्याणकारी योजना या फैसले को निष्क्रिय कियाहो। कन्याओं की शिक्षा हेतु शिवराज सिंह चौहान द्वारा लायी गयी सुकन्या योजना को जहां कमलनाथ की सरकार ने बंद कराया था, वहीं उन्होंने आपातकाल के दौरान भारत के लोकतन्त्र को बचाने वाले स्वतन्त्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन भी बंद करा दी थी।
#OperationKarzMaafi | 'Farm loan waiver not possible in 10 days, nobody has magic wand', says Madhya Pradesh CM Kamal Nath conceding that pre-poll promise hasn't been fulfilled. Tune in to watch here – https://t.co/LGCyJUEBn5 pic.twitter.com/xPHs0xa82u
— Republic (@republic) May 7, 2019
यही नहीं, कमलनाथ अपने वादे से मुकरते हुये किसानों को कर्जमाफ़ी के नाम पर महज चंद रुपये ही माफ किए थे। एक समय तो कमलनाथ ने सदन में वन्देमातरम के उद्घोष को भी हटा दिया था, हालांकि भाजपा के पुरजोर विरोध के बाद कमलनाथ सरकार को यह निर्णय वापिस लेना पड़ा था। राजस्थान में भी यही हल देखने को मिल रहा है। वहां की वर्तमान कांग्रेस सरकार भी कमलनाथ से कम नहीं है। भाजपा के अंधविरोध में वीर सावरकर को कायर घोषित कर दिया था।
Did u know 2004-2009 Cong led UPA did not celebrate or honor #KargilVijayDiwas on July26 till I insistd in #Parliament #ServingOurNation pic.twitter.com/kDEg4OY1An
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳(Modiyude Kutumbam) (@Rajeev_GoI) July 25, 2017
वैसे भी, कांग्रेस को कारगिल युद्ध से विशेष चिढ़ रही है। चूंकि ये युद्ध अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 1999 में लड़ा गया था, इसलिए कई कांग्रेसियों ने इसे ‘भाजपा का युद्ध’ कहने का दुस्साहस भी किया है। समय-समय पर कांग्रेस समर्थित लेफ्ट लिबरल पत्रकारों ने कारगिल युद्ध में शामिल होने वाले सैनिकों और तत्कालीन भाजपा सरकार को लज्जित करने का भी कोई अवसर हाथ से नहीं जाने दिया है।
ऐसे में कॉलेज सिलेबस से कारगिल युद्ध की गौरव गाथा को हटाना कांग्रेस की संकीर्ण सोच को ही दर्शाता है। कांग्रेस के अनुसार कोई भी वस्तु, जो नेहरू गांधी वंश के बजाए भारत का गुणगान करे वो असहनीय लगता है, फिर चाहे वो कारगिल युद्ध में भारत की काफी कठिनाइयों के बाद अर्जित विजय ही क्यों न हो। मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा उठाया गया ये कदम न केवल निंदनीय, अपितु अशोभनीय भी है।