जहां सभी वर्ल्ड कप क्रिकेट देखने में व्यस्त थे उस बीच 18 दिन में पांच गोल्ड जीतने वाली 19 साल की भारतीय धावक हिमा दास ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। हाल ही में चेक गणराज्य में हुई एथलेटिक प्रतियोगिता में सत्र का सर्वश्रेष्ठ समय दर्ज़ करते हुए हिम दास ने 52.09 सेकंड में 400 मीटर की रेस पूरी कर अपना पांचवा स्वर्ण पदक जीता –
Finished 400m today on the top here in Czech Republic today 🏃♀️ pic.twitter.com/1gwnXw5hN4
— Hima (mon jai) (@HimaDas8) July 20, 2019
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिमा दास का यह लगातार पांचवा स्वर्ण पदक है। इससे पहले उन्होंने 2 जुलाई से लगातार 4 स्वर्ण पदकों पर अपना कब्जा जमाया है। उन्होंने पहला स्वर्ण पदक 2 जुलाई को पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर की रेस को 23.65 सेकंड में पूरा करके जीता था। दूसरा स्वर्ण पदक उन्होंने 7 जुलाई को पोलैंड में कुटनो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में पूरा कर जीता था। तीसरा स्वर्ण पदक उन्होंने 13 जुलाई को चेक रिपब्लिक में हुई क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स में महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.43 सेकेंड में पूरा कर जीता था। चौथा स्वर्ण पदक उन्होंने 17 जुलाई को चेक रिपब्लिक में ताबोर एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस 23.25 सेकंड में पूरा करके जीता था।
9 जनवरी 2000 को असम राज्य के नगाँव जिले के कांधूलिमारी गाँव में जन्मी हिमा दास की बचपन से ही खेलों के प्रति विशेष रुचि थी। ये स्कूल में फुटबाल टीम का हिस्सा हुआ करती थीं, पर जल्द ही उन्होंने फुटबॉल से अपना नाता तोड़ लिया, क्योंकि उन्हे पता था कि भारत में महिला फुटबॉल के लिए अभी अनुकूल माहौल नहीं स्थापित हो पाया है।
इसके बाद अपने स्कूल के फ़िज़िकल एजूकेशन के प्रशिक्षक की सलाह पर हिमा दास ने फुटबॉल छोड़ एथलेटिक्स के क्षेत्र में कदम रखा। हिमा दास सर्वप्रथम 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों से सुर्खियों में आई, जहां उन्होंने सभी को अपने प्रदर्शन से चकित करते हुए महिला के 400 मीटर की व्यक्तिगत स्पर्धा के फ़ाइनल में प्रवेश किया था, और ऐसा करने वाली वे प्रथम भारतीय महिला बनी थीं। हालांकि, फ़ाइनल में उन्हें छठे स्थान से संतोष करना पड़ा था।
हिमा दास निराश अवश्य थी, परंतु हताश नहीं। उन्होंने फिर आईएएएफ के अंडर 20 विश्व चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहां हिमा दास ने सभी को चौंकाते हुए न केवल फ़ाइनल में प्रवेश किया, अपितु सभी को पछाड़ते हुए 51.46 के समय के साथ स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया। ये किसी भी आईएएएफ इवैंट में किसी भारतीय धावक [Sprinter] द्वारा अर्जित पहला स्वर्ण पदक था। इससे पहले वर्ष 2016 में भाला फेंक कर उस्ताद नीरज चोपड़ा ने जूनियर विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए आईएएएफ वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप के भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक अर्जित किया था।
इसके बाद हिमा दास ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जकार्ता के एशियाई खेलों में उन्होंने महिला की 400 मीटर की व्यक्तिगत स्पर्धा में अपने से कई गुना शक्तिशाली धविकाओं को पछाड़ते हुए रजत पदक जीतने में सफल रही थीं।
ये इसलिए भी अभूतपूर्व था क्योंकि इससे पहले भारत ने इस स्पर्धा में आखिरी बार रजत पदक 2006 के एशियाई खेलों में जीता था, जब मंजीत कौर ने रजत पदक पर कब्जा जमाया था। इसके साथ ही साथ हिमा दास ने 18वें एशियाई खेलों के 10वें दिन चार गुणा 400 मीटर मिश्रित रिले में रजत पदक जीता था। जकार्ता में जारी 18वें एशियाई खेलों के 12वें दिन महिलाओं की चार गुणा 400 मीटर रिले स्पर्धा में स्वर्ण पदक जिताने में भी एक अहम भूमिका निभाई है।
हिमा के इस उत्कृष्ट प्रदर्शन से प्रसन्न होकर केंद्र सरकार ने उन्हें पिछले ही वर्ष अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया है। इस के साथ साथ ही हिमा दास ने इंडियन ऑयल की अपनी नौकरी से मिलने वाले वेतन में आधा वेतन असम बाढ़ के राहत कार्य हेतु दान कर पूरे देश के लिए एक मिसाल के रूप में सामने आई है। हम आशा करते हैं कि हिमा दास ऐसे ही देश को गौरवान्वित करती रहे और वे टोक्यो ओलंपिक में स्वतंत्र भारत को उसका बहुप्रतीक्षित एथलेटिक्स पदक दिलाने में भी सफल रहें।