कर्नाटक में पिछले एक महीने से चल रहे राजनीतिक नाटक का आखिरकार मंगलवार को अंत हो गया और 14 महीने पुरानी कांग्रेस और जेडीएस की अनैतिक गठबंधन सरकार वाली सरकार औंधे मुंह गिर गई। गठबंधन सरकार विधानसभा में विश्वासमत हासिल नहीं कर सकी और विश्वास मत के विरोध में 105 वोट्स पड़े जबकि उसके पक्ष में सिर्फ 99 वोट्स ही पड़े। अब राज्य में भाजपा सरकार बनाने की तैयारी कर रही है और भाजपा नेता बीएस येदूरप्पा शुक्रवार को सीएम पद की शपथ ले सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह सही मायनों में लोकतंत्र और कर्नाटक के लोगों की जीत होगी, क्योंकि वर्ष 2018 में हुए राज्य के विधानसभा चुनावों में कर्नाटक के वोटर्स ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में चुना था, लेकिन सत्ता की भूख में कभी एक-दूसरे के धुर-विरोधी रहे जेडीएस और कांग्रेस साथ आ गए और तब सही मायनों में लोकतंत्र की हत्या हुई थी।
राज्य के चुनावों से पहले तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी हर रैली में कुमारस्वामी और जेडीएस को कौसते थे। अपनी एक जनसभा में तो राहुल गांधी ने जेडीएस को ‘जनता दल संघ परिवार’ बता डाला था और इसे बीजेपी की ‘बी टीम’ तक कह डाला था था, लेकिन चुनावों के नतीजों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में कांग्रेस ने इसी बीजेपी की ‘बी टीम’ के साथ गठबंधन कर लिया। नतीजों में भाजपा को 105 सीटें मिली, जबकि 225 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 113 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता थी। दूसरी तरफ कांग्रेस के पास 79 विधायक थे और जेडीएस को 37 सीटों पर जीत मिली थी। ये दोनों पार्टियां साथ आ गईं और राज्य में दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई। एचडी कुमारस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बने।
कुमारस्वामी मुख्यमंत्री तो बने लेकिन लोगों ने कभी उन्हें दिल से स्वीकार नहीं किया। ये बात कुमारस्वामी भी भली भांति जानते थे और सरकार बनने के महज़ 2 महीनों के अंदर ही उन्होंने जनता के सामने अपनी व्याकुलता को प्रदर्शित करना शुरू कर दिया था। 14 जुलाई 2018 को कुमारस्वामी ने आंसू बहाते हुए कहा था कि वे गठबंधन की सरकार का दर्द सह रहे हैं। तब उन्होंने कहा था ‘आप गुलदस्तों के साथ अपने भाई के सीएम बनने पर बधाई देने आए हैं, और आप सब खुश हैं, लेकिन मैं खुश नहीं हूं। मैं विषकंठ बनकर गठबंधन का जहर पी रहा हूं’।
इसके अलावा इस वर्ष 16 अप्रेल को भी उन्होंने अपने दर्द को सबके सामने बयां किया था। तब उन्होंने कहा था ‘जिस दिन से मैं सीएम बना हूं, तभी से मैं परेशान हूं। हर दिन सरकार गिरने की कयासें लगाई जा रही हैं। अगर मैं गठबंधन की सरकार में ना होता, तो ज्यादा हौसले के साथ अपने फैसले ले सकता था’। साफ था कि कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनने से बिलकुल भी खुश नहीं थे और इसका असर राज्य के प्रशासन पर भी पड़ रहा था। राज्य में कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफ़ी करने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार ऐसा करने में नाकामयाब रही। कुमारस्वामी के शासन काल के दौरान कर्नाटक में कृषि संकट और किसानों की आत्महत्या चरम पर रही। कुमारस्वामी सरकार बनने के बाद से पिछले वर्ष दिसम्बर तक लगभग 250 किसान आत्महत्या कर चुके थे। और इस स्थिति से निपटने में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार पूरी तरह फ़ेल रही थी। पिछले वर्ष नवंबर में मांड्या के एक किसान ने आत्महत्या की और अपने सुसाइड नोट में कुमारस्वामी की सरकार को दोषी बताया था।
यूं तो कर्नाटक में राजनीतिक संकट सरकार बनने के बाद से ही बना हुआ था लेकिन इसकी तीव्रता इस महीने की शुरुआत में तब बढ़ गई जब 1 जुलाई को विजयनगर के विधायक आनंद सिंह ने औने-पौने दाम पर 3,667 एकड़ जमीन जेएसडब्ल्यू स्टील को बेचने को लेकर अपनी नाखुशी प्रकट करते हुए विधानसभा से इस्तीफा दिया। इसके सिर्फ 5 दिनों बाद ही 6 जुलाई को कांग्रेस के नौ और जेडीएस के तीन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में उनकी गैर हाजिरी में इस्तीफा सौंप दिया। ये सब तब हुआ जब कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री अमेरिका में छुट्टियाँ बिता रहे थे। वे 7 जुलाई को अमेरिका से वापस लौटे और 8 जुलाई को बागी विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान देने का लालच देकर सभी मंत्रियों से इस्तीफा ले लिए गया। हालांकि, इसी बीच दो निर्दलीय विधायकों ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर भाजपा का समर्थन करने का ऐलान कर दिया।
इसके बाद कांग्रेस से भी विधायकों के इस्तीफे क सिलसिला शुरू हो गया। 9 जुलाई को कांग्रेस विधायक रोशन बेग ने इस्तीफा दिया और अगले ही दिन 10 जुलाई को कांग्रेस के दो अन्य विधायकों यानि एम टी बी नागराज और डॉ. के सुधाकर ने भी इस्तीफा दे दिया। इन सबके बीच उच्चतम न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में यह साफ किया कि 15 बागी विधायकों को वर्तमान विधानसभा सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसके बाद 23 जुलाई को सदन में विश्वास प्रस्ताव लाया गया और सरकार अल्पमत में आ गई जिसके बाद कल एचडी कुमारस्वामी ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। इस्तीफा सौंपने के बाद एचडी कुमारस्वामी ने बताया की वे अब दुनिया के सबसे खुश इंसान है और उन्हें अब किसी बात की चिंता नहीं है।
जेडीएस और कांग्रेस के अनैतिक गठबंधन वाली सरकार गिरने के बाद अब भाजपा राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करेगी और शुक्रवार को बीएस येदूरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। कल शाम वे अमित शाह से मुलाक़ात करने के लिए दिल्ली भी आए थे। सरकार गिरने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि ‘लालच की जीत’ हुई है, लेकिन सही मायनों में ‘लालच की जीत’ तब हुई थी जब जेडीएस और कांग्रेस ने सत्ता के लालच में जनादेश का मज़ाक बनाते हुए सरकार बनाने का फैसला लिया था। आज लालच की नहीं ‘लोकतंत्र की जीत’ हुई है। जो सत्ता पाने का हकदार था, सत्ता आखिरकार उसी के पास आई है और एक प्रभावी लोकतंत्र में ऐसा ही होना चाहिए। अब राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद राज्य के प्रशासन में सुधार होने की उम्मीद है और इसका सबसे बड़ा फायदा कर्नाटक की जनता को होगा।