रांची की निचली अदालत ने ऋचा भारती के मामले में अपना फैसला बदल दिया है। अदालत ने अपना फैसला बदलते हुए अपने कुरान की 5 प्रति बांटने के शर्त को अब हटा कर सिर्फ बॉन्ड पर जमानत देने की सहमती दे दी है। दरअसल ऋचा भारती को एक फेसबुक पोस्ट के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद जब अदालत में सुनवाई हुई तो न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह ने ऋचा भारती को सजा सुनाते हुए सशर्त जमानत दी थी। जज ने शर्त यह रखी थी की वह सात हजार के दो निजी बॉन्ड जमा करे तथा 15 दिनों के अंदर पांच कुरान की प्रति बांटे जिसमें एक कुरान शिकायतकर्ता मंसूर खलीफा को भी देने को कहा गया था।
साथ ही अदालत ने यह कहा कि अगर इसकी अवहेलना की गई तो जमानत रद्द हो सकती है। ऋचा भारती सोमवार को सात हजार के दो निजी बांड जमा करने के बाद जेल से बाहर आ आ गई परन्तु उन्होंने ने अदालत के कुरान बांटने के फैसले को मानने से इंकार कर दिया था। अदालत के इस फैसले के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। रांची के बार असोशिएशन के वकीलों ने जिला न्यायाधीश मनीष कुमार सिंह की अदालत का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया था। यहां तक कि उन्हें पद से हटाने की मांग तक उठाई जा रही थी। सोशल मीडिया पर भी खूब प्रदर्शन हुए और ऋचा के समर्थन में फ़ंड रेजिंग भी की गयी थी। देश के कई बड़े नेता व अधिवक्ताओं ने रांची के अदालत की कुरान बंटवाने की शर्त को असंवैधानिक बताया था। साथ ही उच्च न्यायालय भी जाने की बात कही गयी थी।
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ऋचा भारती को उसके अदालत का विरोध करने के लिए काफी सराहा गया था। उसने साफ मना करते हुए कहा था कि मैं कोर्ट का आदेश नहीं मानने जा रही हूं। आज मुझे कुरान बांटने के लिए कह रहे हैं, कल कहेंगे इस्लाम स्वीकार कर लो, कहेंगे, नमाज पढ़ लो, कुछ और कर लो। यह कहां तक जायज है।“ ऋचा ने ये भी कहा कि ‘मुझे किसी धर्म से बैर नही, लेकिन मैं कुरान नही बांटूंगी।’
रिचा भारती के लिए और सभी हिंदुओं के लिए यह बहुत बड़ी जीत मानी जा सकती है। जिस तरह से इस मामले पर सभी हिन्दू एकजुट हुये और एक साथ विरोध प्रदर्शन किया वह एक महत्वपूर्ण कदम था और इससे कोर्ट को अपना फैसला बदलना पड़ा।