जब से लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को हार मिली है, पार्टी द्वारा समर्थित लेफ्ट लिबरल ब्रिगेड, विशेषकर मीडिया चैनलों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अपुष्ट सूत्रों की मानें तो इन्हीं में से एक चैनल तिरंगा टीवी, जिसने भाजपा के विरुद्ध बढ़-चढ़कर चुनाव प्रचार किया था, अब तंगहाल हो चुकी है। बात तो यहां तक पहुंच गयी है कि चैनल अघोषित रूप से छंटनी करने लगा है।
Bhadas4media.com की रेपोर्ट्स के अनुसार लोकसभा के चुनावों के बाद से विभिन्न स्तरों पर तिरंगा टीवी ने अपने कर्मचारियों की छंटनी प्रारम्भ कर दी है। ये वही तिरंगा टीवी है, जिसके प्रोमोटरों में विवादित कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल भी शामिल हैं, और जिनके पत्रकारों में बरखा दत्त, करण थापर जैसे चर्चित नाम भी शामिल है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, ‘खबर है कि यहां कार्यरत ढेर सारे मीडियाकर्मियों को कार्यमुक्त कर दिया गया है।ये छंटनी असाइनमेंट, आउटपुट, प्रोडक्शन, वीडियो एडिटिंग, प्रोमो समेत कई विभागों में किया गया है. बताया जा रहा है कि तकरीबन दर्जन भर मीडियाकर्मी हटाए गए हैं. अच्छी नौकरी छोड़कर तिरंगा टीवी से जुड़े पत्रकारों को सिर्फ एक महीने की एक्स्ट्रा सेलरी देकर मझधार में छोड़ दिया गया है. चुनाव खत्म होने की वजह से अभी इन पत्रकारों को नई नौकरी मिलना भी मुश्किल है।’
Bhadas4media.com की रिपोर्ट्स की अनाधिकारिक रूप से पुष्टि करते हुए कई कर्मचारियों ने तिरंगा टीवी के प्रबंधन को रूखे व्यवहार के लिए निशाने पर लिया है। कर्मचारियों के ट्वीट के अनुसार केवल एक महीने के अतिरिक्त वेतन के अलावा तिरंगा टीवी के उच्च प्रबंधन ने किसी भी प्रकार से आश्वासन देने से मना कर दिया है।
साथ ही कंपनी में छंटनी अभी भी अनवरत जारी है। Bhadas4media.com की रिपोर्ट्स आगे बताते हैं, ‘सोमवार को आई लिस्ट में आउटपुट से 2 प्रोड्यूसर्स, एक कॉपी राइटर को अलविदा कह दिया गया। असाइनमेंट से भी एक कर्मचारी को निकाला गया है। उधर ग्राफ़िक्स टीम पर भी मैनेजमेंट की गाज गिरी। वहां एक सीनियर ग्राफ़िक्स डिज़ाइनर को एक महीने की अधिक सैलरी देकर निकाल दिया गया।
निकाले गए पत्रकार की मांग है कि मार्केट के हालात देखते हुए कम से कम तीन महीने की सैलरी दी जानी चाहिए थी। लेकिन मैनेजमेंट और कपिल सिब्बल की पत्नी प्रोमिला सिब्बल की तानाशाही के चलते पत्रकारों को सिर्फ एक महीने की सैलरी का लॉलीपॉप देकर ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। निकाले गए पत्रकार कपिल सिब्बल से मिलकर 3 महीने के अतिरिक्त वेतन की मांग करने वाले हैं।’
हालांकि, यह पहला ऐसा अवसर नहीं है जब तिरंगा टीवी को अनियमितताओं के लिए घेरा गया हो। बालाकोट के हवाई हमलों से कुछ ही समय पहले जब पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता भारत को धमकियां दे रहे थे, तो बिना स्वीकृति तिरंगा टीवी और 11 अन्य चैनलों को यह भाषण प्रकाशित करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
यदि तिरंगा टीवी में छटनी की रिपोर्ट सच है तो यह कांग्रेस के साथ लेफ्ट लिबरल ब्रिगेड के अस्तित्व पर भी गहरा प्रश्नचिन्ह खड़े कर देते हैं। ये वही लेफ्ट लिबरल ब्रिगेड है जो कांग्रेस के साथ मिलकर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं, भले ही उनका स्त्रोत बाद में एक अश्लील वैबसाइट में परिवर्तित हो जाये। इनका केवल एक ही ध्येय है : कैसे भी करके पीएम मोदी को नीचा दिखाना, चाहे बाद में अपने ही मोहरों की बलि क्यों न चढ़ानी पड़े, जैसे हाल ही में तिरंगा टीवी ने किया है।