आम आदमी पार्टी के समर्थक ब्लॉगर ध्रुव राठी के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट ने मानहानि के लिए सिविल और क्रिमिनल केस पर समन जारी किया है। यह केस सोशल मीडिया एक्टिविस्ट और बीजेपी समर्थक विकाश पांडेय ने यूट्यूब पर एक भ्रामक वीडियो के लिए किया था। इस वीडियो को ध्रुव राठी ने बनाया था जिसे अरविंद केजरीवाल ने भी अपना समर्थन देते हुए शेयर किया था जिसके बाद उनपर भी मानहानि का केस किया गया था। पटियाला हाउस कोर्ट अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक सप्ताह पहले ही समन जारी कर चुका है। और अब यह ध्रुव राठी के खिलाफ भी जारी कर दिया गया।
Finally, summons issued to @dhruv_rathee & accomplice in the fake video case in criminal as well as civil defamation case!
Thank you @raghav355 & @ThisIsTheMukesh. You have pursued this cases for more than a year with me. कहते हैं ना, देर है लेकिन अंधेर नही… https://t.co/HyDbfRWhFN— Vikas Pandey (Sankrityayan) Modi ji’s Family (@MODIfiedVikas) July 23, 2019
विकास पांडेयपेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और सोशल मीडिया पर ‘आई सपोर्ट नमो’ नाम का एक पेज चलाते है। सोशल मीडिया पर इस पेज को लाखों लोगों द्वारा फॉलो और पसंद किया जाता है। जबकि ध्रुव राठी आम आदमी द्वारा समर्थित एक यूट्यूबर है जिन्हें कई बार भ्रामक खबरे फैलाते पकड़ा गया है। इनका एजेंडा प्रमुख तौर पर प्रधानमंत्री के खिलाफ ही होता है और ऐसा लगता है कि किसी राजनीतिक पार्टी के खास प्रतीनिधि है।
✌️Great news coming in!✌️ Dilli ka Malik @ArvindKejriwal has been issued the summon! All thanks to my very talented lawyers @raghav355 and @ThisIsTheMukesh 👍.
Cases against fake video maker @dhruv_rathee are also in progress in separate court. 😊 https://t.co/oPnPiIzHUD— Vikas Pandey (Sankrityayan) Modi ji’s Family (@MODIfiedVikas) July 17, 2019
वर्ष 2018 में ध्रुव राठी ने विकास पांडेय के खिलाफ एक वीडियो बनाया था जिसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी शेयर किया था। इसके बाद विकास ने इन दोनों के विरुद्ध मानहानि का केस दर्ज कराया था।
Friends, I have initiated Civil defamation suite against Mr. @dhruv_rathee. Hon. Court has taken cognisance of my suite. He had made false claims against me in a popular video saying I offered bribes of huge amount to someone without ANY proof. Read:https://t.co/9m7f0n1ujz [1/3]
— Vikas Pandey (Sankrityayan) Modi ji’s Family (@MODIfiedVikas) October 1, 2018
दरअसल, इसी वर्ष ध्रुव राठी और उनके सहयोगी महावीर प्रसाद ने बीजेपी आईटी सेल के खिलाफ गलत और भ्रामक खबर फैलाने की कोशिश की थी। महावीर प्रसाद ने खुद को बीजेपी के आईटी सेल का पूर्व सदस्य होने का दावा किया था और कहा था कि विकास पांडेय भी बीजेपी आईटी सेल के लिए काम करते है। इसके बाद एक वीडियो जारी किया गया था जिसमें यह कहा गया था कि विकास पांडेय ने महावीर प्रसाद से ध्रुव राठी को बदनाम करने के एवज में 50 लाख की रिश्वत की पेशकश की थी।
ध्रुव ने भी दावा किया कि उन्होंने महावीर को कॉल रिकॉर्ड करने के लिए एक एप्लिकेशन डाउनलोड करने को कहा था। इन सभी दावों का आधार इसी कॉल रिकॉर्डिंग को बताया जा रहा था। लेकिन बाद में ध्रुव ने स्वीकार किया कि उनके पास ‘50 लाख के रिश्वत की पेशकश’वाली कॉल रिकॉर्डिंग नहीं है। यह आश्चर्य की बात है कि बिना किसी सबूत के ही घूस का आरोप लगाया गया था। ध्रुव ने अपने वीडियो में यह भी दावा किया था कि विकास ने महावीर को अभिषेक मिश्रा नाम के व्यक्ति के द्वारा रिश्वत पेश करवायी थी। लेकिन महावीर और अभिषेक मिश्रा के कॉल रिकॉर्डिंग में कुछ भी ऐसा नहीं मिला जो विकास पांडेय द्वारा रिश्वत की पेशकश से जुड़ी हो। ध्रुव राठी ने यह भी स्वीकार किया था कि इस दावे के लिए भी उनके पास सबूत नहीं है और कहा था कि वह रिश्वत वाली रिकॉर्डिंग महीनों से ढूंढ रहे है लेकिन उन्हें नहीं मिल रही है। यह हैरान कर देने वाली बात है कि बिना किसी सबूत के किसी पर भी रिश्वत लेने के आरोप लगाए जा रहे थे और विकास को बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें फैलाई जा रही थी।
ध्रुव राठी ने एक और आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए अभिषेक मिश्रा से यह स्वीकार करने को कहा था कि विकास पांडेयऔर बीजेपी ने देश को बर्बाद करने का प्लान बनाया है। इस प्रकार की टिप्पणी कर राठी ने सीधे तौर पर विकास की छवि खराब करने की कोशिश की और वो भी बिना किसी प्रमाण के। वीडियो को ज्यादा लोगों तक पाहुकने के लिए राठी ने भ्रामक टाइटल भी दिया था।
विकास ने सही फैसला लेते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ केस किया ताकि ये कभी किसी और की छवि खराब करने की कोशिश न करे। ऐसे में जब इन दोनों को पटियाला कोर्ट का समन का ऑर्डर आ चुका है, तो बाद में इन्हें माफी माँगनी पड़ सकती है और हर्जाना भी देना पड़ सकता है।