लगता है हमारे पड़ोसी देश की मुश्किलें अभी शायद ही कम होंगी। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारे पड़ोसी देश को एक गहरा झटका लगा जब फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के एशिया पैसिफिक ग्रुप ने पाकिस्तान को ‘ब्लैकलिस्ट’ में शामिल कर दिया है। एफएटीएफ विश्व में एक एंटी मनी लॉन्ड्रिंग वॉचडॉग के तौर पर जाना जाता है, और इसीलिए यह निर्णय कई मायनों में पाक के लिए किसी सदमे से कम नहीं है।
उक्त निर्णय को FATF के एपीजी ने ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में हाल ही में संपन्न हुए बैठक में लिया गया है। ये निर्णय पाकिस्तान के पाँच वर्ष के म्यूच्यूअल इवैल्यूएशन के आंकलन पर लिया गया है। बुधवार को ही पाक ने एफएटीएफ के निर्देशानुसार अपनी 27 सूत्रीय एक्शन प्लान की रिपोर्ट पेश की थी ये रिपोर्ट पिछले साल जून में एफएटीएफ द्वारा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए सौंपे गये 27 सूत्रीय एक्शन प्लान पर आधारित थी। एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के एशिया पैसिफिक ग्रुप के इस निर्णय के बाद लगता है कि इस बार भी हमारे पड़ोसी देश की दाल FATF के समक्ष नहीं गल पायी। हमारे पड़ोसी देश ने उक्त बैठक के दौरान जितनी भी दलीलें दी, उसमें से एक से भी एपीजी संतुष्ट नहीं दिखी
एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) एफएटीएफ से संबद्ध नौ क्षेत्रीय संगठनों में से एक है। इंडिया टुडे के सूत्रों की माने तो एफएटीएफ के एशिया पैसिफिक ग्रुप ने पाया है कि पाकिस्तान ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण संबंधी 40 अनुपालन मानकों में से 32 का पालन नहीं किया है। एपीजी ने पाकिस्तान के लिए आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने वाले 11 प्रभावशाली मानक तय किए थे जिसमें से पाकिस्तान 11 में से 10 में फिसड्डी साबित हुआ है। इसके साथ ही एपीजी के अधिकारी ने कहा कि काफी प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान 41 सदस्यीय पैनल के सामने किसी भी पैरामीटर खरा नहीं उतर पाया। अब पाक के सामने अक्टूबर में ओवरऑल एफएटीएफ के ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने का खतरा मंडरा रहा है।
अभी ओवरऑल लिस्ट में पाक पहले ही ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल हो चुका है। जब पाक को ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल किया गया था, तभी ये पाया गया था कि आतंकवाद को रोकने में हमारा पड़ोसी देश आवश्यक 27 बिंदुओं के एक्शन प्लान में से 25 को पूरा करने में असफल रहा है। ऐसे में आज का निर्णय पाक के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा। हमारा पड़ोसी देश पहले ही कर्ज़ और आर्थिक संकट के बोझ तले डूबा हुआ है। ऐसे में इस निर्णय से पाकिस्तान को भविष्य में और भी ज़्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता था।
वैसे हमारे पड़ोसी देश के नेतृत्व को देखकर ऐसा बिलकुल नहीं लगता कि वे अपने देश को इस संकट से बाहर निकालने के लिए तनिक भी प्रयासरत हैं। एपीजी के निर्णय से पहले इमरान खान ने इसका ठीकरा भारत पर फोड़ने का प्रयास करते हुए कहा, ‘हमने हिंदुस्तान के साथ अपने रिश्ते सामान्य करने की खूब कोशिश की, पर उन्होंने हमेशा मौके का गलत फ़ायदा उठाया। वो तो हमें एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट कराये जाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं”।
हमारा पड़ोसी देश हमेशा किसी भी आतंकवादी गतिविधि में लिप्त होने की बात को नकारता रहा है, लेकिन हर बार उसकी पोल खुलने के कारण उसे मुंह की खानी पड़ती है। पाकिस्तान के दोहरे मापदण्डों की हाल ही में अमेरिका के उच्चाधिकारी तक आलोचना कर चुके हैं। यदि पाक अब भी नहीं चेता तो वह दिन दूर नहीं, जब उसे आधिकारिक रूप से दिवालिया घोषित कर दिया जाएगा, और बिना एक गोली दागे ही पाक का सम्पूर्ण विनाश हो जाएगा।