लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद अब भाजपा का फोकस इस साल के अंत तक होने वाले अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने पर है। इस साल के अंत तक हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, और भाजपा हरियाणा से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कर भी चुकी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हरियाणा के जींद में आस्था रैली का आयोजन किया और लोगों से भाजपा को 75 सीटों पर जीत दिलाकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का मौका देने की अपील की। अमित शाह ने इस दौरान मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान उठाए गए बड़े कदमों को प्रकाशित किया। इसके अलावा भाजपा पिछले पाँच सालों के दौरान खट्टर सरकार की उपलब्धियों का भी उल्लेख करने की कोशिश करेगी। खट्टर सरकार ने राज्य में भ्रष्टाचार पर काफी हद तक काबू पाया है, इसके अलावा राज्य में लिंगानुपात सुधारने में भी भाजपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। ऐसे में आने वाले चुनावों में भाजपा की स्थिति बेहद मजबूत रहने वाली है।
कभी अपराध और गुंडागर्दी में अव्वल रहे उत्तरप्रदेश को जिस तरह से योगी आदित्यनाथ ने सीएम पद संभालने के बाद अपराध मुक्त करने की दिशा में काम किया, ठीक उसी तरह से सीएम मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा में सरकारी विभागों में नौकरियों में हो रहे घोटालों को सुधारने का काम किया है। सीएम खट्टर ने राज्य में सरकारी नौकरी का सपना देख रहे युवाओं को साकार करने के लिए विभागों से भ्रष्टाचार खत्म कर नौकरी उपलब्ध कराये जाने के रास्ते को आसान किया। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2016 में सीएम खट्टर ने यह ऐलान किया था कि उनकी सरकार हर वर्ष युवाओं को 10 हजार से अधिक नौकरियां उपलब्ध कराने की दिशा में काम करेंगी। साथ ही हरियाणा सरकार ने नौकरियों में होने वाले घोटाले को पूरी तरह से खत्म करने का प्रयास किया और जो अधिकारी या कर्मचारी घोटालेबाजी में लिप्त थे, उनके खिलाफ सख्त कारवाई की गई।
इसी के साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों के दौरान राज्य के लिंगानुपात में बड़ा सुधार देखने को मिला है। वर्ष 2015 में जब हरियाणा के पानीपत से प्रधानमंत्री मोदी ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की थी, तब हरियाणा में लिंगानुपात के आंकड़े बड़े चिंताजनक थे। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में प्रति 1000 लड़कों पर सिर्फ 834 लड़कियां थी, लेकिन राज्य सरकार की मेहनत के बदौलत आज यह संख्या 933 तक पहुंच चुकी है और इसमें लगातार सुधार देखने को मिल रहा है।
बेशक यह हरियाणा जैसे राज्य के लिए गर्व की बात है लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सरकार द्वारा कड़ी मेहनत की गई। एक तरफ जहां बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक किया गया, तो वहीं सरकार द्वारा भ्रूण जांच केन्द्रों पर उचित कार्रवाई करने में भी सक्रिय भूमिका निभाई गई। सरकार ने बड़े पैमाने पर जागरूक अभियान चलाये, जिसके तहत गांवो और अस्पतालों में बेटी के जन्म पर खुशी मनाने की रीति को बढ़ावा दिया गया। इसके अलावा गणतन्त्र दिवस और स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर लड़कियों से ध्वजारोहण करवाया गया ताकि समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया जा सके। ग्राम पंचायतों को लिंगानुपात में सुधार करने के लिए पुरुस्कृत किया गया और शहरों में प्रभात फेरियों का आयोजन किया गया। इतने विस्तृत जागरूक अभियान का ही यह नतीजा निकला कि लोगों ने बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी अपनाना शुरू कर दिया।
दूसरी तरफ सरकार ने भ्रूण हत्या और भ्रूण जांच के खिलाफ सख्त कानून बनाए और उन्हें सख्ती से लागू भी किया गया। हरियाणा सरकार ने प्री-कॉन्सेप्शन एक्ट, प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक एक्ट और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 584 एफ़आईआर दर्ज की गई, जो कि वर्ष 2015 के बाद से किसी भी राज्य के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा है। इसके अलावा हरियाणा सरकार द्वारा 1000 से ज़्यादा डॉक्टर्स, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों, अल्ट्रासाउंड टेकनीशियन्स को गिरफ्तार भी किया गया।
इसके अलावा भाजपा को केंद्र सरकार द्वारा लिए गए देशहित में बड़े फैसलों का भी फायदा मिल सकता है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भाजपा अनुच्छेद 370 और ट्रिपल तलाक को लेकर साहसिक फैसले ले चुकी है, और जाहिर है कि भाजपा इन मुद्दों को चुनावों में जरूर उठाएगी।
वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो हरियाणा में भाजपा के विपक्ष में कोई मजबूत पार्टी या चेहरा भी नहीं है। कांग्रेस पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की बेरुखी से पहले ही कमजोर पड़ चुकी है, वहीं इंडियन नेशनल लोकदल के टूटने से एक अलग पार्टी, जननायक जनता पार्टी बनने के बाद इनेलो भी जमीनी स्तर पर पूरी तरह बेजान हो चुकी है।
यानि एक तरफ जहां भाजपा बड़ी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है, तो वहीं विपक्ष के नाम पर हरियाणा में कोई बड़ा चेहरा या बड़ी पार्टी है ही नहीं है। यानि भाजपा ने इन चुनावों के लिए जो 75 सीटों का लक्ष्य रखा है, उसे पाने में भाजपा को बड़ी मुश्किल नहीं होने वाली है। वर्ष 2014 में भाजपा ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 47 सीटों पर जीत हासिल की थी और राज्य में खट्टर सरकार बनी थी। अब भाजपा का लक्ष्य 75 सीटों पर जीत हासिल करने का है और मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार भाजपा को यह लक्ष्य प्राप्त करने में कोई परेशानी भी नहीं होनी चाहिए।