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राजनाथ सिंह भारतीय सेना के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं, सेना होगी और भी मजबूत

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
22 August 2019
in रक्षा
सेना मु्ख्यालय

PC: Amar Ujala

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लंबे समय से चल रहे सेना में बदलाव की मांग को हरी झंडी मिल गयी है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना मुख्यालय के पुनर्गठन के कई प्रस्तावों को बुधवार को मंजूरी दे दी। यह मंज़ूरी सेना मुख्यालय द्वारा करवाए गए विस्तृत आंतरिक अध्ययन के आधार पर दी गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना मुख्यालय से 206 अधिकारियों को फील्ड में भेजने, एक अलग सतर्कता सेल बनाने और मानवाधिकार मुद्दों पर अनुभाग बनाने समेत सेना में पहले चरण के सुधारों को मंजूरी दे दी है।

तीनों सेनाओं के प्रतिनिधित्‍व सहित सेना प्रमुख यानी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के अधीन एक अलग सतर्कता सेल बनाया जाएगा। फिलहाल अनेक एजेंसियों के माध्‍यम से सेना प्रमुख के लिए सतर्कता संबंधी निर्णय लिया जाता है और इसमें किसी एक एजेंसी का हस्‍तक्षेप नहीं है। अब सेना प्रमुख के अधीन एक स्‍वतंत्र सतर्कता प्रकोष्‍ठ (Independent vigilance cell) को चालू किया जाएगा। इसके अनुसार, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सेना प्रमुख के अधीन सीधे-सीधे अपर महानिदेशक (सतर्कता) को पद को स्‍थापित किया जाएगा। इसमें कर्नल स्तर के भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना से तीन अधिकारी शामिल होंगे। यह सेना मुख्‍यालय के मौजूदा पदों के तहत ही किया जाएगा।

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इन बदलावों की सबसे खास बात सेना में मानवधिकार सेल का गठन है। मानवाधिकारों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उप-सेना प्रमुख के अधीन केंद्रित एक मानवाधिकार सेल बनाया जाएगा। पारदर्शिता बढ़ाने के लिए तथा जांच विशेषज्ञता सुनिश्चित करने के लिए, इस सेल में एसएसपी या एसपी रैंक के एक पुलिस अधिकारी को भी नियुक्त किया जाएगा। मानवाधिकार से जुड़े पहलू और मूल्यों के पालन के लिए, उप-सेना प्रमुख के अधीन डाइरेक्टर जेनरल यानि मेजर जनरल रैंक के अधिकारी के नेतृत्‍व में एक विशेष मानवाधिकार सेल स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। यह मानव संसाधन संबंधी किसी प्रकार के उल्लंघन की रिपोर्ट की जांच करने के लिए शीर्ष स्तर होगा।

आर्मी द्वारा विशेष मानवाधिकार सेल के लिए एक आईपीएस अधिकारी को नियुक्त करने का निर्णय बेहद शानदार है जिससे सेना व पुलिस अधिकारी अपने-अपने साझा अनुभवों से बेहतर कार्य कर सकते हैं।
एक और बदलाव में मंत्रालय ने 206 सैन्य अधिकारियों को सेना मुख्यालय से फील्ड एरिया पर भेजने का फैसला किया है। वे विभिन्न सैन्य यूनिट्स के लिए उपलब्ध होंगे। जिन अधिकारियों को स्थानांतरित किया जाएगा उनमें तीन मेजर जनरल, आठ ब्रिगेडियर, नौ कर्नल और 186 लेफ्टिनेंट कर्नल/मेजर हैं।

पुनर्गठन योजना के तहत आर्मी हेडक्वार्टर में 20 प्रतिशत अधिकारियों की संख्या को कम करेगी, दो हथियारों की एजेंसी का विलय करेगी और एक नया डिप्टी चीफ का पद बनाएगी जिसका काम सैन्य सूचनाओं, ऑपरेशनों और लॉजिस्टिक विंग के बीच समन्वय स्थापित करना होगा।  इस तरह का फैसला इसलिए लिया जा रहा है जिससे 13 लाख की संख्या वाली भारतीय सेना को 21वीं सदी की आधुनिक सैन्य संपन्न शक्ति बनाया जा सके। आर्मी ने इस पुनर्गठन से पहले इसे लेकर चार अध्ययन कराए थे। यह पुनर्गठन उन्हीं चार में से एक अध्ययन का नतीज़ है।
पहला अध्ययन ‘री-ऑर्गनाइजेशन ऐंड राइट-साइजिंग ऑफ द इंडियन आर्मी’ ऑपरेशनल स्ट्रक्चर को दक्ष बनाने और भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य से किया गया है। खासकर पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं को ध्यान में रखा गया है। दूसरा अध्ययन सेना मुख्यालय के री-ऑर्गनाइजेशन से जुड़ा था। तीसरा अध्ययन अफसरों के काडर की समीक्षा पर केंद्रित था कि कैसे ऑफिसरों के काडर को आकांक्षाओं के अनुरूप बनाया जाए। चौथा अध्ययन रैंक के हिसाब से जिम्मेदारियों की समीक्षा के लिए था।
बता दें कि स्वतन्त्रता दिवस के दिन भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की घोषणा कर भारतीय सैन्य शक्ति को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया था।
केंद्र सरकार यह फैसला निश्चित ही सेना के तीनों अंगो में बेहतर समन्वय और युद्ध की चुनौतियों से निपटने के लिए सेना और ज्यादा चुस्त, घातक और क्षमता-आधारित बल बनेगी। इस कदम से न केवल हमारे पड़ोसी देश, बल्कि कई अन्य देश भी देख सकते हैं कि आज भारत अपनी रक्षा नीतियों, सामरिक महत्व और नेतृत्व के मामले में कितनी मजबूत स्थिति में है और यहां सबसे महत्वपूर्ण यह भी है कि यह पूरी कवायद ऐसे संकटपूर्ण समय में हुई है, जब हाल के वर्षों में पाकिस्तान और चीन के साथ सीमाओं पर तनाव बढ़ा है और जिसका हमारी सेना ने मुंह तोड़ जवाब भी दिया है।

Tags: भारतीय सेनारक्षा मंत्रालयराजनाथ सिंहसेना
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