प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में भारी बहुमत के साथ जीतकर आए थे और एनडीए को इन चुनावों में कुल 45 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। यह बात अपने आप में ही इस बात का प्रमाण थी कि पीएम मोदी ने वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2019 तक देश के लिए जो विकास कार्य किए, लोगों ने उन्हें सराहा और दोबारा उनको पीएम बनने का अवसर दिया। हालांकि, देश की विपक्षी पार्टियां अभी भी इस सच को मानने से इंकार करती रही हैं। कांग्रेस को भाजपा की जीत में कभी चुनाव आयोग की कथित निष्पक्षता दिखाई देती है, तो कभी कांग्रेस भाजपा की कथित अति–राष्ट्रवादी नीतियों को दोष देती है, लेकिन अब कांग्रेस के एक ऐसे वरिष्ठ नेता सामने आए हैं, जो राज्यसभा से सांसद हैं, और जिन्होंने खुलकर पीएम मोदी की नीतियों का समर्थन किया है, और उनका नाम है जयराम रमेश।
दरअसल, कांग्रेस नेता ने राजनीतिक विश्लेषक कपिल सतीश कोमीरेड्डी की किताब ‘मालेवॉलेंट रिपब्लिक : ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द न्यू इंडिया’ का विमोचन करते हुए पीएम मोदी की तारीफ की। जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन का मॉडल ‘पूरी तरह नकारात्मक गाथा’ नहीं है। उनके काम के महत्व को स्वीकार नहीं करना और हर समय उन्हें खलनायक की तरह पेश करके कुछ हासिल नहीं होने वाला है। इसके बाद जयराम रमेश ने वो कहा जिसको सुनने के बाद कई कांग्रेसियों को ज़ोर का झटका जरूर लगा होगा। रमेश ने आगे कहा ‘यह वक्त है कि हम मोदी के काम और 2014 से 2019 के बीच उन्होंने जो किया, उसके महत्व को समझें, जिसके कारण वह सत्ता में लौटे। उनके काम की वजह से ही 30 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्ता में उनकी वापसी कराई है’।
इतना ही नहीं, जयराम रमेश ने पीएम मोदी की कई योजनाओं की भी तारीफ की। रमेश ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूजे) का उदाहरण दिया। कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘साल 2019 में राजनीतिक विमर्श में हम सभी ने उनकी एक या दो योजनाओं का मजाक उड़ाया, लेकिन सभी चुनावी अध्ययनों में यह सामने आया कि पीएमयूजे अकेली ऐसी योजना रही, जो उन्हें करोड़ों महिलाओं से जोड़ पाई। इसने उन्हें ऐसा राजनीतिक खिंचाव दिया, जो उनके पास 2014 में नहीं था।’
जयराम रमेश जैसे बड़े कांग्रेसी नेता की स्वीकारोक्ति जहां एक तरफ इस बात का सबूत है कि पीएम मोदी की नीतियों ने आम लोगों के जीवन को आसान बनाया है, तो वहीं उन्होंने इस बात को भी साबित कर दिया कि कांग्रेस सिर्फ विरोध के नाम पर पीएम मोदी की जन–लाभकारी नीतियों का मज़ाक बनाती आई है। जयराम रमेश की छवि एक ऐसे नेता के तौर पर मानी जाती है जो अपनी बात को सबके सामने बेबाकी से रखते हैं। इतना ही नहीं, वे ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने कई मौकों पर अपनी राष्ट्रवादिता को सबके सामने रखा है। जयराम रमेश यूपीए-2 के शासनकाल के दौरान केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री थे और उस वक्त नक्सलियों के विरूद्ध उन्होंने कड़ा रुख अपना रखा था। इतना ही नहीं, उन्होंने माओवादियों की तुलना आतंकवादियों से भी कर डाली थी, को कांग्रेस के अन्य नेता ऐसा बोलने के लिए सपने में भी नहीं सोच सकते थे। वर्ष 2013 में जब कुछ नक्सलवादियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था, तो उसके बाद वे निडर होकर झारखंड के नक्सली प्रभावित दीघा गांव में गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर आए थे। इतना ही नहीं, वर्ष 2010 में जयराम रमेश ने भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम) के दीक्षांत समारोह में यह कहते हुए ‘परंपरागत दीक्षांत गाउन’ सरेआम उतार फेंका था कि यह ‘बर्बर औपनिवेशिक अवशेष’ है। उस वक्त आईआईएफएम के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए रमेश ने कहा था कि आजादी के 60 साल बाद भी मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि हम अब तक ऐसे ‘बर्बर औपनिवेशिक अवशेषों’ से क्यों बँधे हुए हैं’।
ये उदाहरण इस बात को दर्शाने के लिए काफी है कि जयराम रमेश कांग्रेस के अन्य नेताओं की तरह नहीं है जो सिर्फ गंदी राजनीति की काली पट्टी को अपनी आँखों पर बांधकर सच और झूठ में फर्क ही नहीं कर पाते। बल्कि वे कांग्रेस के एक ऐसे वरिष्ठ नेता हैं जो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सच से रूबरू होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कांग्रेस लोकसभा में 52 सीटों पर सिमट चुकी है और ऐसे में वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन उसके लिए बहुत ज़रूरी है। हालांकि, यह कांग्रेस के ऊपर है कि वह जयराम रमेश के सुझावों पर अमल करना चाहती है या नहीं!