जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में वापसी किए हैं, और जब से उन्होने तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 जैसे अहम मुद्दों पर व्यापक बदलावों की दिशा में सार्थक प्रयास किए हैं, हमारे वामपंथी बुद्धिजीवियों, विशेषकर हमारी फेक न्यूज़ ब्रिगेड को बहुत गहरा झटका लगा है। अब जब भी वे अपनी भ्रामक खबरें प्रकाशित करतें हैं, तो उन्हे जनता द्वारा नकारने में ज़रा भी समय नहीं लगता।
हताशा और कुंठा में डूबे हुए फेक न्यूज़ ब्रिगेड ने अपने आप को जिंदा रखने के लिए एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर मुद्दे को भड़काने का प्रयास किया है। वह चाहे ‘द वायर’ हो, या फिर ‘द क्विंट’, हमारी फेक न्यूज़ ब्रिगेड ने जम्मू-कश्मीर में वर्षों के बाद आई शांति को बिगाड़ने का हरसंभव प्रयास किया। इसे हमारी विडम्बना कहें या हमारे शत्रुओं का सौभाग्य, पर इसी फेक न्यूज़ ब्रिगेड द्वारा फैलाये जा रहे भ्रामक खबरों का इस्तेमाल हमारे घरेलू व बाहरी दुश्मन कर रहे हैं। यही नहीं, हमारे शत्रुओं की भाषा बोलते हुये द वायर ने तो जम्मू–कश्मीर राज्य को ‘विवादित जम्मू-कश्मीर’ अथवा ‘इंडियन ऑक्यूपाइड जम्मू-कश्मीर ’ तक की संज्ञा दे डाली –
All concerns and worries are deeply appreciated but we were not low on medical stocks even for a single day. No interruption in supplies. Still open to help individual cases, if any.
https://t.co/MZDlX8bDNC— Shahid Choudhary (@listenshahid) August 23, 2019
द वायर ने इस मुद्दे पर ये भ्रम फैलाने की कोशिश की कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति ज़रूरत से ज़्यादा बिगड़ चुकी है और वहाँ सुरक्षाबल ‘निरीह जनता’ पर पैलेट गन्स के साथ–साथ असली गोलियों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। स्थानीय पुलिस और केन्द्र सरकार के लाख बार इन अफवाहों का खंडन करने के बावजूद द वायर न केवल ऐसी भ्रामक खबरें फैलाने में जारी रहा, बल्कि उन खबरों के आधार पर अपना भारत विरोधी प्रोपेगैंडा चलाया जिसके लिए पहले बीबीसी भारत सरकार से फटकार खा चुकी है। भारत सरकार द्वारा इन अफवाहों का खंडन करने और बीबीसी एवं अल जज़ीरा से मूल फुटेज की मांग करने के बावजूद दोनों एजेंसियों ने भारत और जम्मू-कश्मीर के विरुद्ध अपना प्रोपगैंडा जारी रखा।
पर बात यहीं पर नहीं रुकी। भारत विरोधी रुख और अपने वामपंथी प्रोपगैंडा के लिए हर समय आलोचना झेलने वाली चैनल एनडीटीवी ने भी जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर जमकर भ्रामक खबरें फैलाई। श्रीनिवासन जैन द्वारा संचालित ‘रिऐलिटी चेक’ के माध्यम से जम्मू-कश्मीर की जो नकारात्मक छवि पेश करने का प्रयास किया गया, उसे हमारे शत्रु देश की सत्ताधारी पार्टी ने जमकर फ़ायदा उठाया और उसे अपने आधिकारिक हैंडल से प्रकाशित कर दुनिया के सामने कश्मीर मुद्दे की एक नकारात्मक छवि पेश करने का प्रयास भी किया।
द वायर के अलावा सागरिका घोष, कविता कृष्णन, जीन ड्रेज़े, शेहला राशिद शोरा जैसे कई अति वामपंथियों ने भी जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर दुनिया भर में फेक न्यूज फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। चाहे सेना के कथित अत्याचारों पर शहला राशिद और सागरिका घोष की झूठी अफवाहें हों, या फिर कविता कृष्णन और जीन ड्रेज़े के भ्रामक डॉक्युमेंट्री हो, जिनके प्रेस कॉन्फ्रेंस पर स्वयं प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने लताड़ लगा दी थी। ऐसे ना जाने कितने उदाहरण हैं, जिसमें हमारे देश की लेफ्ट लिबरल मीडिया ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर स्थिति को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
इसी कड़ी में एक मामला और सामने आया है जिसमें अपनी सीमाएं लांघते हुये द वायर ने एक और विवादित लेख प्रकाशित किया, जिसमें उन्होने ये अफवाह फैलाई है कि जम्मू-कश्मीर में कथित रूप से आवश्यक दवाओं की कमी हो गयी है। हालांकि स्थानीय प्रशासन ने तुरंत इन अफवाहों का खंडन करते हुये कहा कि ऐसी कोई स्थिति नहीं है, और द वायर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।
सच पूछें तो ऐसी खबरें फैलाकर हमारे देश की फेक न्यूज़ ब्रिगेड केवल अपनी कुंठा जगजाहिर कर रही है। उन्हे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि जनता ने उनकी भ्रामक खबरों पर विश्वास करने से इनकार कर दिया है, और अब सरकार उनकी गीदड़ भभकियों में नहीं आने वाली। यदि ऐसे ही चलता रहा, तो वह दिन दूर नहीं, जब ये केवल हंसी का पात्र बनकर रह जाएंगे, और इनकी भ्रामक खबरों पर लोग उसी तरह से ध्यान देना बंद कर देगे, जैसे ‘भेड़िया आया’ की झूठी चीख़ों के बाद लोगों ने एक शरारती गड़रिये पर ध्यान देना बंद किया था।