कल यानी सोमवार को भारत के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा गया। गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में संकल्प पेश करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद अनुच्छेद 370 के खंड 1 को छोड़कर बाकी सभी खंड जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होंगे। इसी के साथ अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे केन्द्रशासित प्रदेशों में बांटने का प्रस्ताव रखा गया। कल इस बिल को राज्यसभा से पास करा लिया गया जहां इस बिल के समर्थन में 125 वोट्स पड़े जबकि बिल के विरोध में सिर्फ 61 वोट्स ही पड़े। लोकसभा से पास होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश माने जाएंगे, और जम्मू-कश्मीर के पास दिल्ली की तरह ही अपनी विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तरह एक केन्द्रशासित प्रदेश होगा, जिसके पास अपनी विधानसभा नहीं होगी। दोनों केंद्र शासित प्रदेश में केंद्र सरकार की पुलिस व्यवस्था होगी, जिसे गृह मंत्रालय द्वारा मॉनिटर किया जाएगा।
लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग किया जाना लद्दाख के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि दशकों से केंद्र और राज्य सरकारों का फोकस सिर्फ कश्मीर तक ही सीमित रहा है। कश्मीर के राजनेताओं के पास ही सत्ता रहती थी, और इन राजनेताओं ने कभी भी लद्दाख के विकास के बारे में नहीं सोचा। लद्दाख को एक केंद्रशासित प्रदेश बनाने के बाद अब क्षेत्र का आर्थिक विकास तेज़ गति से हो सकेगा। अगर जम्मू-कश्मीर सरकारों ने कभी लद्दाख पर अपना ध्यान केन्द्रित किया होता तो इसे एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में बदला जा सकता था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
हालांकि, वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद इस प्रदेश को विकसित करने के हर प्रयास किए गए। ठीक इसी वर्ष फरवरी में पीएम मोदी लद्दाख के लेह में गए थे और उन्होंने वहां तीन हज़ार करोड़ करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया था। तब पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि अगर इस क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थान स्थापित कर दिए जाएं, तो पूरे देश से छात्र यहां आकर पढ़ना चाहेंगे। इसके अलावा पीएम मोदी पिछले वर्ष मई में कश्मीर घाटी को लद्दाख क्षेत्र से हर मौसम में जोड़ने वाली जोजिला सुरंग परियोजना का शिलान्यास कर चुके हैं। अब जब लद्दाख एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया है, तो पीएम मोदी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार सीधे तौर पर यहां के विकास कार्यों को मॉनिटर कर पाएगी, और यहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार देखने को मिलेगा।
लद्दाख प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है और यहां सिंधु, श्योक और नुबरा जैसे नदियां बहती हैं। इन नदियों पर जल-विद्युत परियोजनाओं को विकसित किया जा सकता है जिससे ना सिर्फ लद्दाख बल्कि कारगिल में भी बिजली की समस्या को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा इस क्षेत्र में पर्यटन की भी काफी संभावनाएं हैं। नीले पानी और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पांगोंग त्सो झील लद्दाख के खूबसूरत जगहों में से एक है। लद्दाख में 22 किलोमीटर लंबा द्रांग द्रंग ग्लेशियर है जो कि पर्यटकों का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। इसे 35 साल पहले पहली बार विदेशी पर्यटकों के लिए खोला गया था। उन दिनों अधिकांश पर्यटक लद्दाख की संस्कृति देखने आते थे। यहां के पर्वत शिखर हमेशा से ही पर्वतारोहियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। अब लद्दाख के एक केन्द्रशासित प्रदेश बनने से इस क्षेत्र को मुख्यधारा से जोड़ा जा सकेगा और यहां पर्यटन के सभी अवसरों को भुनाया जा सकेगा। अभी हर वर्ष लद्दाख में 3 लाख से ज़्यादा पर्यटक घूमने आते हैं, और आने वाले सालों में यह संख्या और ज़्यादा बढ़ने के अनुमान हैं।
इसके अलावा लद्दाख खनिज पदार्थों का भी भंडार है। यहां लाइमस्टोन, ग्रेनाइट और यूरेनियम जैसे खनिज पदार्थों की भरमार है और अगर इस क्षेत्र में इनसे संबन्धित उद्योग स्थापित कर दिए जाएं, तो यहां रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। अब जब इस क्षेत्र का नियंत्रण सीधा केंद्र सरकार के पास आ जाएगा, तो इस क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा मिल सकेगा।
मोदी सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा खुशी लद्दाखवासियों को मिली है जो लंबे समय से मांग करते आएं हैं कि उनके क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाए, ताकि यहां के स्थानीय लोग मुख्य धारा में आ सकें। मोदी सरकार ने अब उन्हें न्याय दिलाया है, और इसके लिए मोदी सरकार की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। हमें उम्मीद है कि आगे भी मोदी सरकार इसी तरह देशहित में साहसिक फैसले लेती रहेगी।