इन दिनों कांग्रेस में लगातार नेताओं की गुटबाजी चल रही है। चाहे वह पार्टी की विचारधारा से हटकर बयान देने की हो या फिर पार्टी में लीडरशीप को लेकर एक दूसरे के खिलाफ उतरने की, हर मोर्चे पर कांग्रेस में गुटबाजी चल रही है। इसी सिलसिले में खबर आ रही है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर दिग्गज कांग्रेसी नेताओं में घमासान मचा हुआ है। दरअसल, मौजूदा अध्यक्ष कमलनाथ का कार्यकाल खत्म होने वाला है ऐसे में कांग्रेस पार्टी राज्य के नए पार्टी अध्यक्ष का ऐलान करने वाली है।
ऐसे में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी बचाने के लिए सीएम कमलनाथ ने एड़ी चोटी एक कर दिया है, इस सिलसिले में वे कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी किए। दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। कमलनाथ बाहर निकले और मीडिया से बातचीत में कहा- ”संगठन को लेकर हमारे बीच चर्चा हुई जोकि पूरी तरह सफल रही।” जब मीडिया ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी पर कमलनाथ से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि- “मुझे ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी की जानकारी नहीं है। मुझे नहीं लगता है कि वे पार्टी से नाखुश हैं। हमनें सोनिया गांधी के सामने नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात रखी है।”
बता दें कि मध्यप्रदेश के कई दिग्गज नेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए गोलबंदी कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी है। सिंधिया के समर्थक मंत्री और नेता बार-बार उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग अलग-अलग मंच से उठा चुके हैं। इसके बावजूद पार्टी पार्टी में उनकी अनदेखी की जा रही है। जिससे स्थानीय कार्यकर्ता नाराज हैं।
इस मामले में नाराजगी व्यक्त करते हुए दतिया से कांग्रेस नेता अशोक दांगी ने कहा है कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर रखा जाता है व उन्हें प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जाता तो वे 500 कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। वहीं चौंकाने वाली खबर आ रही है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अल्टीमेटम दिया है। दावा किया जा रहा है कि अपने अल्टीमेटम में उन्होंने सोनिया गांधी से कहा है कि अगर उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनाया गया, तो वह इस्तीफा दे देंगे और पार्टी भी छोड़ देंगे। जिसके बाद से उनकी भाजपा में जाने की चर्चा तेज हो गई है। हालांकि पार्टी ने इस बात का खंडन किया है।
Congress leader Ashok Dangi from Datia, Madhya Pradesh has issued a press note saying, "if Jyotiraditya Scindia is kept away from state politics then he (Dangi) along with 500 people will resign from the party." pic.twitter.com/n83LKXTmfm
— ANI (@ANI) August 30, 2019
इन तमाम बातों से सिद्ध हो गया है कि कांग्रेस पार्टी एक बार फिर अपने महत्वपूर्ण और युवा नेता को नजरअंदाज कर रही है। बता दें कि कभी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर चर्चा में रहे सिंधिया आज प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ से भी बाहर नजर आ रहे हैं। यह उनकी नाराजगी में साफ झलकती है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब एक बेहतर, लोकप्रिय व युवा नेता को जगह न देकर कांग्रेस एक पुराने व विवादों में रहने वाले बुजुर्ग नेता को बड़ी जिम्मेदारी सौंप रही है। इस मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की कड़वाहट किसी से छिपी नहीं है। सचिन पायलट हमेशा युवाओं की पसंद रहे हैं और पार्टी का युवा नेतृत्व भी चाहता था कि उन्हें सीएम की कुर्सी दी जाए। हालांकि उन्हें डिप्टी सीएम से ही संतोष करना पड़ा। इसी वजह से राजस्थान कांग्रेस में दो गुट बन गए हैं। एक गुट उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थन में है, वहीं दूसरा अशोक गहलोत के समर्थन में। ऐसे में अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट एक-दूसरे के खेमे पर नजर रखते हैं।
खैर, कांग्रेस हाईकमान जो भी निर्णय ले लेकिन पार्टी द्वारा युवा नेताओं को किनारे करना बेहद निंदनीय है। अगर मध्यप्रदेश में कांग्रेस हाईकमान सिंधिया को पार्टी अध्यक्ष न बनाकर मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहने वाले कमलनाथ को पार्टी अध्यक्ष बनाती है तो इससे पार्टी को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि 500 स्थानीय नेताओं ने तय कर लिया है कि सिंधिया को अगर किनारे किए तो वे इस्तीफों की झड़ी लगा देंगे। अगर इतने नेता एक बार में ही कांग्रेस छोड़ विरोध में उतर आए तो कमजोर होती पार्टी का क्या हश्र होगा, सभी जानते हैं।