सोशल मीडिया पर हाल ही में एक स्क्रीनशॉट वायरल हुआ है, जिसमें कथित तौर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत, एनडीए सरकार और भाजपा पार्टी से जुड़े कई अहम हस्तियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इनमें से कुछ लोगों की एक प्राथमिक सूची तैयार कर किसी स्थानीय अखबार में प्रकाशित की गयी है, जिसकी एक कटिंग सोशल मीडिया पर किसी यूजर ने पोस्ट की थी –
I confirm to the twitter world that " Raj Foundation " is my foundation and thank you for exposing me 😉🙏 pic.twitter.com/QR02JVyf14
— Superastar Raj 🇮🇳 (@NagpurKaRajini) August 28, 2019
इस सूची के अनुसार हमारे गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह, आरएसएस सर संघचालक अथवा प्रमुख मोहन भागवत, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, भाजपा के दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी, कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह, उद्योगपति मुकेश अंबानी और ज़ी मीडिया ग्रुप के मालिक सुभाष चंद्रा जैसे हस्तियों का नाम शामिल है। आरोप है कि इनके पास स्विस बैंक के खातों में अकूत संपत्तियाँ जमा हैं, जिनमें से कुछ की संपत्तियाँ देखकर तो आप चकरा ही जाएंगे।
दरअसल, इन आकड़ों को देखा जाए तो पता चलता है कि हमारे देश में खोजी पत्रकार कम, और फेंकू प्रोपगेंडावादी ज़्यादा भरे हुए हैं। उक्त आंकड़ों को देखा जाए तो अमेरिका, रूस जैसे महाशक्ति देशों की पूरी आर्थिक बजट भी कम नजर आएगी। यकीन नहीं आता तो यह देख लीजिये –
स्क्रीनशॉट में मोहन भागवत की संपत्ति करीब 56 लाख करोड़ डॉलर बताई गई है, जो अमेरिका के वर्तमान जीडीपी से तीन गुना ज़्यादा है। मतलब कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इतने अमीर हैं कि ज़रूरत पड़े तो तीन अमेरिका खरीद सकते हैं। इसी प्रकार से एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके बंगारु दत्तात्रेय की भी काफी विशाल संपत्ति दिखाई गयी है। अमित शाह के पास भी इस स्क्रीनशॉट के हिसाब से इतना काला धन है कि वे भी लगभग आधा अमेरिका या तीन यूके खरीद लेंगे।
बात यहीं पर नहीं रुकती। पत्रकार बाबू ने तो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ शिवराज सिंह चौहान की अघोषित संपत्ति 22 लाख करोड़ डॉलर बता दी। अरे भैया, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अमेरिका से भी ज़्यादा धनी कब हो गए? माना कि विपक्षी नेता व्यापम केस में ‘मामाजी’ को फँसाने के ख्वाब देख रहे थे, पर ये तो उस कथित घोटाले से कहीं कई गुना ज्यादा निकल गया।
वैसे ‘पत्रकार’ महोदय की पोल तभी खुल गयी जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के कालेधन का हिसाब महज 15,040 डॉलर, यानी लगभग 11 लाख रुपये रखा गया, जो स्मृति ईरानी के 2 महीने के वेतन बराबर भी नहीं होगा। माना की विचारधारा की लड़ाई में काफी कुछ जायज़ होता है, मगर यह? पत्रकार बाबू, फेंकने की भी सीमा होती है। कुछ तो लिहाज करो पत्रकारिता का। पत्रकार बाबू के फेंकने की इस कला पर लोगों ने उसी तरह ठहाके लगाए जिस तरह हाल ही में एक पैराग्लाइडर की ‘जटिल समस्याओं’ पर एक ‘मार्मिक’ वीडियो ने लोगों को खूब गुदगुदाया। एक यूज़र तो स्मृति ईरानी की संपत्ति देखकर अपने ही अकाउंट का दुखड़ा गाने लगे, तो एक यूज़र ने पत्रकार महोदय के फेंकने की शैली पर ही एक चुटीला तंज़ पोस्ट किया –
https://twitter.com/subah_e_banaras/status/1166627732614242305?s=09
https://twitter.com/nonexpertvivek/status/1166645156709203968
हालांकि इतना रायता फैलाने के बाद भी हमारे पत्रकार महोदय की अंतरात्मा जीवित रही, इसलिए उनके लाख प्रयासों के बाद भी लिबरल बिरादरी का दुःस्वप्न कहे जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम इस सूची में कहीं भी शामिल नहीं था। शायद पत्रकार महोदय का मन भी कहता होगा, ‘रहन दे बिटुआ, इतना फेंकना सेहत के लिए ठीक नाहीं हाई!”