लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने राज्य विधान मंडलों के कामकाज को सुव्यवस्थित, कागजमुक्त बनाने, आचार संहिता तैयार करने एवं कार्यवाही में व्यवधान को समाप्त करने जैसे विषयों पर राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों की दो समितियां गठित करने की घोषणा की। वह राज्यों के विधानसभा के अध्यक्षों की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे। बता दें कि ओम बिड़ला की अध्यक्षता में बुधवार को संसद भवन परिसर में एक बैठक हुई जिसमें देश के 30 राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष एवं विधान परिषद के सभापति शामिल हुए। इस बैठक में विधायी कार्य और विधानसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए चर्चा की गई। बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला ने कहा कि सभी विधानसभा अध्यक्ष एवं विधान परिषद के सभापतियों का मानना है कि सदन लोकतंत्र के मंदिर है और जनता के प्रति उनकी जवाबदेही है। उन्होंने आगे कहा “सदन में कानून बनाते समय सार्थक चर्चा हो, लेकिन किसी भी कारण से सदन बाधित न हो और कार्यवाही में कोई व्यवधान न उत्पन्न किया जाए।”
लोकसभा ही नहीं राज्यों की विधानसभाओं की कार्यवाही में व्यवधान रोकने के साथ हंगामे और नारेबाजी पर विराम लगाने के लिए एक विधायी आचार संहिता बनाई जाएगी। इसे तैयार करने के लिए राज्य विधानसभा अध्यक्षों की एक समिति बनाने का फैसला किया गया है। इस विषय पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा “बेशक विपक्ष के बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन नारेबाजी करना या वेल में आकर प्लेकार्ड दिखाते हुए हंगामा करना अभिव्यक्ति नहीं है। इससे सदन बाधित होता है और इसीलिए विधानसभा अध्यक्षों व विधान परिषद के सभापतियों के साथ बुधवार को हुई बैठक में आचार संहिता बनाने पर आम सहमति बनी।” उन्होंने आगे कहा, “विधानसभा अध्यक्षों की समिति नवंबर में अपनी रिपोर्ट देहरादून में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में देगी और वहां आचार संहिता के बारे में इसी के आधार पर फैसला लिया जाएगा।”
बता दें कि विधायी सदन में अक्सर शोर-शराबे देखे जाते हैं, कई बार तो विपक्षी नेता विरोध करने का हर स्तर पार कर जाते हैं और लोकतंत्र के मंदिर की मर्यादा भूल जाते हैं। हाल ही में सपा के आज़म खान ने एक महिला सांसद पर बेहद ही घटिया टिप्पणी की थी जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई। ऐसे ही अनेक राज्यों से भी सदन में मारपीट, कुर्सी तोड़ने व अभद्र तरिके से विरोध की खबरें आती रहती हैं। अब इस आचार संहिता के लागू हो जाने से सदन की कार्यवाही में सुधार आएगा और समय का सदुपयोग भी होगा।
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने देश भर के विधान मंडलों का डिजिटलीकरण करने करने पर भी जोर दिए। इस विषय पर उन्होंने कहा, ”यह देखते हुए कि इस डिजिटल युग में, जहां डिजिटल दुनिया में नए बदलाव होते रहते हैं, लोकसभा और सभी राज्य विधानमंडलों में ‘एक भारत’ की संकल्पना के अनुरूप एक जैसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है। लोकसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि सभी पीठासीन अधिकारियों ने सर्वसम्मति से इस बात से सहमति जताई है कि एक समिति इस मुद्दे पर विचार करेगी कि ‘नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा)’ को राज्य विधानमंडलों में कैसे लागू किया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि ई-नेवा के माध्यम से पेपरलेस पहल के लिए लोकसभा तकनीकी एवं वित्तीय सहायता दोनों प्रदान करेगा। ओम बिरला ने बताया कि 10वीं युवा संसद का आयोजन दिल्ली में होगा। वहीं, 2020 राष्ट्रमंडल संसद का आयोजन उत्तर प्रदेश की विधानसभा में होगा।
इस बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया कि ओम बिड़ला लोकसभा की कार्यप्रणाली की काया बदलने के बाद अब राज्यों के विधानसभा और विधान परिषदों की भी कायाकल्प बदलने वाले हैं। अध्यक्ष पद के अपने पहले कार्यकाल में ही ओम बिड़ला ने इतिहास रचते हुए लोकसभा की उपयोगिता 125 प्रतिशत बढ़ा कर वर्ष 1952 के बाद सबसे उपयोगी सत्र बनाया। इसके अलावा कई छोटे-छोटे लेकिन प्रभावी कदम उठाकर ओम बिड़ला ने संसद की मर्यादा फिर से लौटा दी है। अब राज्यों के विधान मंडलों का भी वे इसी तरह काया बदलेंगे।