ममता बनर्जी के बाद अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन भी अब जाने-माने राजनीतिक रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर का सहारा ले रहे हैं। तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए कमल हसन ने प्रशांत किशोर का सहारा लिया है ताकि वो उनकी रणनीतियों की बदौलत अपनी लोकप्रियता को वोटों में बदल सकें।
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार कमल हासन की राजनीतिक पार्टी मक्कल नीधि मय्यम (MNM) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि जल्द ही इसकी अधिकारिक घोषणा होगी कि पार्टी के लिए प्रशांत किशोर काम करने वाले हैं। बता दें कि उत्तर भारत में सफलता का स्वाद चखने के बाद यह तमिलनाडु में प्रशांत किशोर के लिए यह पहला अवसर होगा जब वो दक्षिण की पार्टी के लिए काम करेंगे।
दरअसल, कमल हासन को लगता है कि राज्य में उनकी पार्टी AIADMK को कड़ी टक्कर देने में सक्षम हैं। जिस तरह से उनकी पार्टी ने राज्य के शहरी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया है उन्हें लगता है कि नगर पंचायत चुनाव में AIADMK ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायेगी। ऐसे में वो 2021 विधानसभा चुनावों की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। यहां तक कि अपनी लोकप्रियता का भी पूरा लाभ उठाना चाहते हैं। परन्तु 2019 के लोकसभा चुनावों में कमल हासन की पार्टी मक्कल निधी मय्यम (MNM) के प्रदर्शन पर नजर डालें तो इस पार्टी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। तमिलनाडु में पार्टी का एक भी संसद सीट नहीं जीत सका था और पार्टी के पक्ष में लगभग 4% वोट ही पड़े थे। पार्टी के इतने बुरे प्रदर्शन के बावजूद उन्हें उम्मीद है कि वो तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में जरुर कोई बड़ा फेरबदल करने में कामयाब होंगे।
हालांकि, कमल हासन भूल रहे हैं कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से हिंदू विरोधी बयान दिए थे उससे भी उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उनके देश को बांटने वाले बयान का असर तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिल सकता है। लोकसभा चुनावों के दौरान कमल हासन ने तमिलनाडु के अरावाकुरुची विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान देश को बांटने वाली बात कही थी। उन्होंने कहा था कि, भारत की आजादी के बाद पहला आतंकवादी एक हिंदू था। जिसके बाद उनकी खूब आलोचना हुई थी। हालात ऐसे बन गये थे कि हासन ने कुछ दिनों के लिए खुद को मीडिया और पब्लिक डोमेन से दूर कर लिया था।
अब वो अपनी छवि को सुधारने और तमिलनाडु की जनता के बीच अपनी छवि को मजबूत करने के लिए राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर का सहारा ले रहे हैं। ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में पीके द्वारा ममता बनर्जी के लिए बनाये गयी रणनीतियों से कमल हासन काफी प्रभावित हुए हैं। हो भी क्यों क्योंकि ममता बनर्जी भी अपनी हिंदू विरोधी बयानों की वजह से चर्चा में रही हैं परन्तु प्रशांत किशोर के दिए मन्त्रों पर वो खूब अमल कर रही हैं और यही वजह है कि वो आजकल काफी शांत नजर आ रही हैं। अब तमिलनाडु में अपने पैर जमाने और वोटर्स को रिझाने के लिए हासन ने चुनावी रणनीतिकार पीके से हाथ मिलाया है। बस इसकी अधिकारिक घोषणा होनी बाकी है।
परन्तु कमल हासन ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि प्रशांत किशोर की रणनीतियां कई बार फेल भी हुईं है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार इसका बड़ा उदाहरण है। इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर ने काम किया था। पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर ने टीएमसी से हाथ मिलाया लेकिन यहां भी इस पार्टी की स्थिति को वो मजबूत करने में सफल होते नहीं दिख रहे। अब कमल हासन को प्रशांत किशोर की रणनीतियों से कितना लाभ मिलेगा ये आने वाला वक्त ही बताएगा।