एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी व विपक्ष का दोहरा चरित्र सबके सामने बेनकाब हुआ है। सोशल मीडिया पर कल यानी मंगलवार से ही एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से अनुच्छेद 370 पर सवाल करने पर उनके निजी सचिव संदीप सिंह ने एबीपी टीवी चैनल के रिपोर्टर को धमकाते हुए हाथा-पाई की और भगा दिया। यह सब घटना प्रियंका गांधी की आँखों के सामने हुआ लेकिन उन्होंने एक शब्द तक नहीं बोला।
दरअसल, प्रियंका गांधी सोनभद्र हत्याकांड के पीड़ितों से मिलने पहुंचीं थीं। तभी एबीपी टीवी चैनल के रिपोर्टर ने पूछा, ‘हम आपसे दो मिनट चाहते हैं और 370 पर आपकी राय जानना चाहते हैं।’ इस पर प्रियंका ने कहा कि अभी हम इनसे मिलने आए हैं और हमें इनसे मिलने दीजिए।
लेकिन आदतन रिपोर्टर ने एक बार फिर सवाल पूछने की कोशिश की तो प्रियंका के निजी सचिव व जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष संदीप सिंह ने रिपोर्टर को धमकाते हुए कहा, ‘सुनो सुनो, ठोक के यहीं बजा दूंगा। मारूंगा तो गिर जाओगे।’ इस पर रिपोर्टर प्रियंका गांधी से कहता है कि देखिए कांग्रेस कार्यकर्ता कैसे कैमरे पर धक्का मार रहे हैं।
See the inside story with me how @AbpGanga journalist hackled by Congress goon and our reporter call @priyankagandhi again and again for her attention. pic.twitter.com/n8vTO5LL45
— राजकिशोर Rajkishor (@RajkishorLive) August 13, 2019
बात यही नहीं खत्म हुई, रिपोर्टर ने संदीप से कहा कि आप मुझे ठोक के बजाओगे, धमकी दोगे। इस पर संदीप ने रिपोर्टर पर बीजेपी से पैसा लेकर काम करने का आरोप लगाया और कहा, ‘बीजेपी से पैसा लेकर आए हो…बीजेपी ने पैसा देकर भेजा है तुम्हें तो मुझे कोई मतलब नहीं है। बीजेपी से पैसा लेकर हमें डिस्टर्ब मत करो।’ इस पर रिपोर्टर ने जवाब देते हुए कहा कि हम यहां किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं।
इतना ही नहीं, प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह ने नीतेश पांडेय नाम के पीड़ित पत्रकार को जान से मारने की धमकी भी दी और अपशब्द भी कहे। इसके साथ ही संदीप सिंह ने एबीपी गंगा के कैमरामैन को भी गालियां दीं। इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद प्रियंका गांधी वहां मौन खड़ी रहीं। उन्होंने अपने निजी सचिव संदीप सिंह को रोका तक नहीं और बिना कुछ कहे वहां से चली गईं।
बता दें कि चुनाव से पहले प्रियंका गांधी ने एक घायल पत्रकार का जूता उठाकर ये सन्देश देने की कोशिश की थी कि यदि उनकी सरकार बनी तो उनके यही प्रयास रहेंगे कि पत्रकारों को उनकी खोई हुई ताकत मिलेगी। लेकिन मंगलवार को उनकी चुप्पी ने यह उजागर कर दिया कि जूता उठाना केवल उनका चुनावी स्टंट था। कोई कितना भी ढोंग कर ले, इंटरनेट के इस जमाने में सच्चाई बाहर आ ही जाती है।
सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि कश्मीर में मीडिया और संचार सेवा पर सवाल खड़ा करने वाला लुटियन्स मीडिया भी मौन धारण किया हुआ है। प्रशांत कनौजिया जैसे निम्न स्तर के पत्रकार की गिरफ्तारी पर आसमान सिर पर उठाने वाली यही मीडिया वर्ग शांत है और किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दे रही है।
एडिटर्स गिल्ड के चेयरमैन शेखर गुप्ता ने भी इस मामले पर एक ट्वीट कर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपने ट्वीट में ना तो प्रियंका गांधी को पत्रकार से बदसलूकी के लिए जिम्मेदार ठहराया, और ना ही प्रियंका गांधी से माफी मांगने को कहा।
What kind of language and physical intimidation is this. The worst goons in UP politics won’t threaten to thrash journalists. Will be a disappointment and surprise if Priyanka, so polite herself, doesn’t banish the guy at once, and apologises to the journalist https://t.co/Xcx0gOKAQZ
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) August 13, 2019
इसके अलावा मुख्यधारा मीडिया के भी वे सभी पत्रकार चुप हैं जो बात बार पर मोदी सरकार पर पत्रकारों और मीडिया की आज़ादी के हनन का आरोप लगाते रहते हैं। ऐसे पत्रकारों में निष्पक्ष पत्रकार ‘रवीश कुमार’, राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त का नाम आता है। इन सभी पत्रकारों ने इस पूरे प्रकरण पर अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है, और ना ही इसको लेकर कांग्रेस या प्रियंका गांधी की आलोचना की है।
कुछ दिनों पहले एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय के घर में फर्जी कंपनियों द्वारा करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोप में छापा पड़ा जिसके बाद इसे भी प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया गया था जबकि मीडिया संस्थान से जुड़े किसी भी कार्यालय में कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। उस समय यही लुटियन्स मीडिया ने हो-हल्ला मचा कर आसमान सिर पर उठा लिया था लेकिन इस बार सीधे-सीधे पत्रकार को धमकी दी जा रही है फिर भी सभी मौन धारण किए हुए हैं। आम जनता अब यह सब न सिर्फ देख रही है बल्कि समझ भी रही है कि पत्रकारों का एक विशेष समूह किस तरह अपनी विचारधारा को बचाने के चक्कर में दिन-ब-दिन अभिव्यक्ति की “छद्म” आजादी को बचाने लिए प्रोपेगेंडा करता है। इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर कांग्रेस, और छद्म बुद्धिजीवियों का असली चेहरा बेनकाब कर दिया है।