जम्मू-कश्मीर राज्य से विशेष अधिकार छीनने और राज्य को दो हिस्सों में बांटने के फैसले ने पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ा दी है। पाक अब अमेरिका, यूएन और चीन समेत अंतराष्ट्रीय समुदाय से इस मामले पर हस्तक्षेप करने की गुहार लगा रहा है, लेकिन कोई भी उसके साथ खड़ा होने के लिए तैयार नहीं है। अमेरिका, श्रीलंका, यूएई और मालदीव जैसे देश पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि कश्मीर मुद्दा भारत का आंतरिक मामला है और भारत के पास उसके संबंध में सभी अधिकार सुरक्षित हैं। इस सब के बाद कल यानि शनिवार को रूस ने हमारे शत्रु देश के मुंह पर एक और तमाचा जड़ा है। रूस के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और भारत सरकार का फैसला भारतीय संविधान के तहत ही लिया गया है।
जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले का समर्थन करते हुए रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा ‘हमें उम्मीद है कि भारत-पाकिस्तान के मतभेदों को द्विपक्षीय आधार पर राजनीतिक और राजनयिक तरीकों से हल किया जाएगा। हम भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर में किए गए बदलाव के बाद किसी तरह के तनाव को बढ़ावा नहीं होने देंगे’। बता दें कि भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने वाले फैसले के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी पाकिस्तान के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए बीजिंग के दौर पर गए थे, लेकिन चीन ने भी पाकिस्तान को किनारे करते हुए दोनों देशों को शिमला समझौते के तहत मतभेद सुलझाने को कह दिया। यानि एक तरफ जहां पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर चीन की ओर से निराशा मिली है , वहीं अब रूस ने पाक को उसकी जगह दिखाने का काम किया है।
कश्मीर को लेकर हमारे पड़ोसी देश की ओर से बुधवार को आधिकारिक प्रतिक्रिया आई थी। प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की अध्यक्षता में पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक हुई थी, जिसमें भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते को निलंबित करने की घोषणा की गई, इसके साथ ही एआरवाई टीवी से पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास से वो अपने राजदूत को जल्द बुला लेंगे और इस्लामाबाद से भारतीय राजदूत को वापस जाने को कहेंगे। पाक के केंद्रीय केबिनेट मंत्री फवाद चौधरी ने तो भारत से सभी कूटनीतिक रिश्ते तोड़ने की मांग कर डाली थी।
इसके अलावा इस बैठक में यह भी तय किया गया था कि पाक के स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को कश्मीरियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के रूप में मनाया जाएगा जबकि भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को काले दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पाक द्वारा बौखलाहट में लिए गए कदमों के बाद अमेरिका ने भी पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई थी। पिछले महीने इमरान खान अमेरिका के दौरे पर गए थे जहां उन्होंने ट्रम्प से कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की थी। इसी मुलाक़ात के दौरान ट्रंप ने विवादित बयान दिया था कि भारत अमेरिका द्वारा कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता चाहता है, और इस बयान के बाद पाकिस्तान में जश्न मनाया गया था। इमरान खान की इस अमेरिका यात्रा को काफी सफल बताया गया और ट्रंप के कश्मीर को लेकर दिये गए बयान को पाक की कूटनीतिक जीत बताया गया।
हालांकि, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद अमेरिका ने भी पूरी तरह भारत का साथ दिया। अमेरिका ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया। इस बारे में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टागस ने कहा, ‘अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अमेरिका जम्मू-कश्मीर के घटनाक्रम पर बारीक नजर बनाए हुए है’ इसके साथ ही उन्होंने पाक का नाम लिए बगैर जम्मू-कश्मीर के सभी पक्षों से नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील भी की थी। अमेरिका, चीन और रूस जैसी महाशक्तियों की फटकार के बाद पहले से कूटनीतिक तौर पर कमजोर पड़ चुके पाकिस्तान को जोरदार झटका लगा है। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि कश्मीर मुद्दे पर हल्ला मचाकर और भारत के साथ तनाव बढ़ाकर वह इन महाशक्तियों का समर्थन जुटाने में कामयाब होगा, लेकिन उसे हर जगह से मुंह की खानी पड़ रही है।