लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद अब भाजपा का फोकस इस साल के अंत में होने वाले अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने पर है। इस साल के अंत तक हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, और भाजपा हरियाणा से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कर भी चुकी है। इन सभी राज्यों में मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को देखें तो ऐसा लग रहा है कि बीजेपी आधी लड़ाई पहले ही जीत चुकी है। महाराष्ट्र में तो मानो भाजपा के मुकाबले विपक्ष दिखाई ही नहीं दे रहा है। एक के बाद एक कांग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अपनी पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल होते जा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष में बिखराव के बाद अब राज्यों के सियासी दांव-पेंच में भी बीजेपी भारी पड़ती नज़र आ रही है। महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन है और राज्य में माहौल ऐसा बन चुका है कि पिछले तीन महीने के भीतर विपक्षी दलों के 18 नेता इस गठबंधन का हिस्सा बन चुके हैं। विपक्षी दल के 11 नेता बीजेपी में और 7 शिवसेना में शामिल हो चुके हैं। आश्चर्य की बात यह है कि 18 में से 12 तो एनसीपी के ही हैं बाकी छह कांग्रेस के हैं। आम चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने कांग्रेस और एनसीपी को बुरी हार का स्वाद चखाया था। 2019 के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से भाजपा और शिवसेना ने 41 सीट पर कब्जा जमाया था। इस बार के विधानसभा चुनाव में तो बीजेपी कुछ ज्यादा ही आक्रामक नजर आ रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने “महाजनादेश यात्रा” के दूसरे चरण के समापन के मौके पर कांग्रेस और राकांपा के नेताओं के बीजेपी में शामिल होने पर दोनों पार्टियों पर को तंज भी कसा था। अमित शाह ने उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे के गृह नगर में कहा था, ‘अगर भाजपा अपने दरवाजे पूरी तरह से खोल दे तो शरद पवार और पृथ्वीराज चव्हाण के सिवाए उनकी पाटियों में कोई नहीं बचेगा।’ बात दें कि पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख हैं जबकि अशोक चव्हाण कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हैं।
एनसीपी में लगातार इस्तीफों का दौर चल रहा है। एक के बाद एक पार्टी के तीन बड़े नेताओं के इस्तीफों से एनसीपी कमजोर होती जा रही है। एनसीपी से इस्तीफा देने वाले शिवेंद्र राजे भोसले, संदीप नाईक और चित्रा वाघ बीजेपी में शामिल हो गये थे। 25 जुलाई को पार्टी के मुंबई प्रमुख सचिन अहीर पहले ही शिवसेना में शामिल हो चुके हैं। वहीं पूर्व मंत्री मधुकर पिचड के बेटे और एनसीपी विधायक वैभव पिचड के भी बीजेपी में शामिल होने की खबर आई थी। इसके अलावा पूर्व सांसद धननजय भीमराव महादिक, उस्मानाबाद से एनसीपी विधायक राणा जगजीत सिंह और माण खटाव विधानसभा से एनसीपी विधायक जयकुमार गोरे भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
अगर ऐसे ही चलता रहा तो विधानसभा चुनाव से पहले ही अमित शाह की कही बात सच भी साबित हो सकती है। हालांकि, बीजेपी और शिवसेना ने 2014 में अपने अपने दम पर चुनाव लड़ा था। वर्ष 2014 की विधानसभा के 288 सीटों में से भाजपा ने 123, शिवसेना ने 63 और विपक्षी पार्टियों में से कांग्रेस 42 तो वहीं एनसीपी 41 सीटों पर ही सिमट गयी थी। इस बार ये दोनों पार्टियां विधानसभा में साथ उतर सकती हैं। हाल के ही एक सर्वे के अनुसार अगर बीजेपी और शिवसेना साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो इस गठबंधन को 229 सीटें मिलने का अनुमान है। बीजेपी के केंद्रीय सूत्रों की माने तो बीजेपी महाराष्ट्र में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ती है तो उसे 160 सीटे मिलेंगी। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी अकेले ही बहुमत का आंकड़ा छू लेगी। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में विकास के लिए आगे बढ़ कर कार्य किया है। सूखे से निपटने की बात हो या महाराष्ट्र को हाइपर लूप जैसी तकनीक के लिए हामी भरनी हो, देवेंद्र फडणवीस ने त्वरित निर्णय लिए हैं जिससे वहाँ की जनता भी भाजपा से खुश नज़र आ रही है। उन्हीं के मजबूत नेतृत्व का नतीजा है कि आज एनडीए राज्य में बेहद मजबूत स्थिति में नज़र आ रही है। मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक एनडीए को राज्य की 200 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।