चुनाव आते ही आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार ने अपना रंग दिखा दिया है। दरअसल, केजरीवाल सरकार ने कन्हैया कुमार व 9 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं दी है। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल सरकार को अपनी रिपोर्ट भी सौंपी लेकिन उन्होंने इसे नकार दिया। इसके साथ ही उनका ये कहना है कि पुलिस ने जो भी सबूत पेश किए हैं उससे कन्हैया कुमार, उमर खालिद समेत अन्य आरोपी छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा नहीं बनता है।
मालूम हो कि जेएनयू मामले में दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। यह चार्जशीट सेक्शन 124 A, 323, 465, 471, 143, 149, 147 व 120 B के तहत पेश की गई है। इस मामले में आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट और बशरत के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। चार्जशीट में यह स्पष्ट है कि, कन्हैया कुमार ने देश विरोधी नारे लगाए थे। इसके लिए चार्जशीट में गवाहों का हवाला भी दिया गया है।
बता दें कि पुलिस को कन्हैया कुमार का भाषण देते हुए एक वीडियो भी मिला था। इसके साथ ही कहा गया है कि, कन्हैया को पूरे कार्यक्रम की पहले से जानकारी थी। कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और 7 अन्य कश्मीरी छात्रों के नाम चार्जशीट में कॉलम नंबर 11 में रखे गए हैं। कॉलम नंबर 11 से तात्पर्य है कि इन आरोपियों के खिलाफ पुलिस के पास पुख्ता सबूत मौजूद है। इन दस आरोपियों के अलावा 36 अन्य लोगों के नाम पुलिस ने कॉलम नंबर 12 में रखे हैं। कॉलम नंबर 12 वाले नामों में डी राजा की बेटी अपराजिता और शेहला राशिद का नाम भी शामिल है। कॉलम नंबर 12 से तात्पर्य है कि, ये आरोपी तो हैं लेकिन जांच में पुलिस को इनके खिलाफ सबूत नहीं मिल पाए।
जांच में यह कहा गया है कि कन्हैया ने प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया था। पुलिस ने मामले में सबूत के लिए घटना से जुड़े कई वीडियो फुटेज सीबीआई की सीएफएसएल में जांच के लिए दिये थे जो कि सही पाए गए थे। साथ ही पुलिस ने सबूत के तौर पर लोगों के बयान, मोबाइल फुटेज, फेसबुक पोस्ट, बैनर और पोस्टर भी लिए थे। बता दें कि, पुलिस ने घटना के बाद कन्हैया कुमार, उमर खालिद, और अनिबर्न भट्टाचार्य के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार भी किया था। उसके बाद सभी आरोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई थी हालांकि दिल्ली सरकार के ऊपर था कि वे आगे की कार्रवाई के लिए मंजूरी देंगे तो मामला कोर्ट तक जाएगा वरना नहीं।
ऐसे में जेएनयू के टुकड़े-टुकड़े गैंग को केजरीवाल सरकार से मिली क्लिन चीट से साफ जाहिर होता है कि वे दिल्ली पुलिस से अपनी कड़वाहट का बदला ले रहे हैं। बता दें कि दिल्ली पुलिस पर केजरीवाल हमेशा से ही आरोप लगाते रहे हैं। अगर केजरीवाल सरकार को लगता है कि टुकड़े-टुकड़े गैंग निर्दोश है तो मामला कोर्ट तक क्यों नहीं जाने देना चाहती? मामला कोर्ट में जाएगा तो सब दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। लेकिन केजरीवाल सरकार इस मामले को कत्तई कोर्ट तक नहीं पहुंचने देना चाहती। उन्हें डर है कि अगर कोर्ट में इन देशविरोधी तत्वों का खुलासा हो गया तो एक खास का वोट कट जाएगा जो आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिलने वाला है।
ऐसे में केजरीवाल सरकार ने टुकड़े-टुकड़े गैंग को क्लिन चीट देकर राजनीतिक लाभ लेने के साथ साथ दिल्ली पुलिस से अपना बदला लिया है।