वर्ष 2008 में मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा तंत्र में भारी चूक सामने आई थी। इस भयावह चूक के बाद यूपीए सरकार ने 2 निर्णय लिए उनमें से पहला राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की स्थापना और दूसरा नेटग्रिड यानि नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड की शुरुआत करना। यह दोनों ही संस्था यूपीए सरकार की उपलब्धि मानी जाएगी लेकिन इन दोनों संस्थाओं ने कभी अपनी कार्य क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया। हालांकि, मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही देश के आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों से निपटने के लिए एनआईए को मजबूत किया और उसकी ताकत बढ़ाई जिसके बाद एनआईए ने अपनी कार्य क्षमता के अनुरूप काम करना शुरू किया। वही नेटग्रिड वर्षों से सुस्त पड़ा रहा। बता दें कि नैटग्रिड खुफिया जानकारी जुटाने और संदिग्ध आतंकियों का पता लगाने के लिए बनाया जा रहा एक डाटा बैंक है।
अब गृहमंत्री अमित शाह इस पर संज्ञान लेते हुए एक उच्चस्तरीय बैठक करने जा रहे हैं जिसका मकसद इसे फिर से शुरू करने का है। इस बैठक में उच्च अधिकारी अमित शाह के समक्ष नेटग्रिड प्रोजेक्ट को लेकर अपना प्रेजेंटेशन पेश देंगे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्री न सिर्फ नेटग्रिड को पुनर्जीवित करना चाहते हैं बल्कि साल के अंत तक इसे चालू कर सुरक्षा तंत्र के लिए उपयोग भी करना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार नेटग्रिड में दो अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है कि जो यह पता लगाएंगे कि आखिर इस प्रोजक्ट में बाधा कहां आई है और ये क्यों अभी तक इतना मजबूत नहीं हो सका है। पहले अधिकारी सौरभ गुप्ता हैं जिनकी ढाई महीने पहले ही नेटग्रिड में नियुक्ति की गई थी। दूसरे महत्वपूर्ण अधिकारी आशीष गुप्ता हैं जो पुराने सरकारी अधिकारी हैं। इन पर साल 2014 से नेटग्रिड को जीवंत करने का जिम्मा है, वहीं साल 2016 में केंद्र सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अफसर अशोक पटनायक को नैटग्रिड का सीईओ नियुक्त किया था। दिल्ली के अंधेरिया मोड़ पर नेटग्रिड का दफ्तर लगभग तैयार हो चुका है जहां वैज्ञानिक उपकरणों से लेकर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगाई जानी हैं। हालांकि, काम खत्म करने की डेडलाइन दिसंबर तक रखी गई है और तभी इस प्रोजेक्ट का विधिवत तरीके से उद्घाटन हो पाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी सूरत में अगर कोई देरी हो भी जाती है तो मार्च तक इसे शुरू कर ही दिया जाएगा।
बता दें कि नेटग्रिड भारत सरकार की सुरक्षा एजेंसियों को जोड़ने वाली एक खुफिया ग्रिड है जो सभी एजेंसियों का डाटा एक-दूसरे के साथ साझा करने के मकसद से वर्ष 2009 में बनाई गई थी। मुंबई में हुए आतंकी हमलों और सुरक्षा तंत्र में बड़ी चूक के बाद देश में ‘नेटग्रिड’ जैसी एजेंसी को बनाने की जरूरत महसूस की गयी थी। हालांकि, इसके गठन के बाद से ही कई तरह की बाधाओं के चलते यह अपना काम सुचारू ढंग से से नहीं कर पाई है। आज भी नैटग्रिड संघर्ष ही कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि एक बार यह एजेंसी फिर से शुरू हो गई तो आतंकी संगठनों और संदिग्धों को ट्रैक करने में काफी मदद मिलेगी। सूत्र ने बताया कि अगर किसी संदिग्ध को पकड़ने से पहले उसकी सारी जानकारी नेटग्रिड के पास होगी तो यह काम काफी आसान हो जाएगा। इससे एक क्लिक में ही संदिग्ध का मोबाइल नंबर से लेकर उसकी संपत्ति, मौजूदा लोकेशन, बैंक खाते और यात्रा की जानकारी हासिल हो सकेगी। नेटग्रिड के पास सारा डाटा मौजूद होने पर इसे आईबी, रॉ, सीबीआई, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, डीआरआई, ईडी, नॉरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय, कस्टम, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड और वित्तीय इंटेलिजेंस यूनिट के साथ आसानी से साझा किया जा सकेगा। इससे एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल भी बढ़ेगा।
नेटग्रिड के शुरू हो जाने से देश की आंतरिक सुरक्षा बेहद मजबूत हो जाएगी साथ ही जो गलती मुंबई हमलों के दौरान हुई थी उससे भी बचा जा सकेगा। अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और वहां बड़े सुधार लाने के बाद अब अपना ध्यान देश की आंतरिक सुरक्षा पर केन्द्रित किया है। एक तरफ उन्होंने बजट सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण बिल जैसे एनआईए संशोधन बिल, यूएपीए संशोधन बिल पारित करवा देश की सुरक्षा तंत्र को और मजबूत बनाया वहीं, दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद जड़ से खत्म करने के लिए अनुच्छेद 370 के खंड 1 को छोड़कर सभी खंडों को निरस्त कर दिया और साथ ही जम्मू कश्मीर में शांति बहाली के लिए राज्य को दो हिस्सों में भी बांटने का फैसला लिया। जिस तरह से वह एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं उससे अब यही लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक होगा।