अगर आपके घर में 100 वर्षों से अधिक पुरानी कोई चीज़ रखी है तो आप जल्द से जल्द एएसआई यानि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के चलाए जा रहे अभियान के तहत उन्हें रजिस्टर करा दें अन्यथा आपको जेल और जुर्माना दोनों ही भुगतना पड़ सकता है।
जी हाँ आपने सही सुना!! भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानि “आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया” ने पुरावशेष यानि Antiquity को संरक्षित व संग्रहित करने के लिए देश भर में एक अभियान चला रही है। यह अभियान 13 सितंबर से 28 सितंम्बर, 2019 तक चलेगा तथा इस दौरान किसी भी 100 साल पुरानी कलाकृतियों या पुरावशेषों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।
एसआई के अधिक्षक बसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि, “बिना पंजीकरण के किसी भी पुरावशेष को रखना गैरकानूनी है, इसलिए पंजीकरण कराना आवश्यक है। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को इस बात से अवगत कराना है कि वे इन 15 दिनों के अंदर अपने पुरावशेषों व बहुमूल्य कलाकृतियों को हमारे साथ पंजीकृत कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, “जो संस्था या व्यक्ति पंजीकरण कराएगा उसे एक पंजीकरण प्रमाणपत्र दिया जाएगा और हम सभी वस्तुओं का डेटाबेस भी तैयार करेंगे।
उन्होंने बताया कि, “लोग किसी भी प्राचीन पुरावशेष यानि Antiquity को पंजीकृत करवा सकते हैं जो 100 वर्ष से अधिक पुराना हो। इस अभियान के दौरान प्राचीन मूर्तिकला, लकड़ी का Antiquity या कोई पांडुलिपि हो तो उसे रजिस्टर करवाया जा सकता है। पंजीकरण प्रक्रिया के बाद इन Antiquity का मूल्यांकन किया जा सकेगा।”
बता दें कि पुरावशेष और कला खजाने अधिनियम 1972 और अधिनियम 1973 के तहत व्यक्तियों, या संस्थानों द्वारा रखे गए पुरावशेषों का पंजीकरण और फिर पंजीकरण के बाद सरकार के हवाले करना अनिवार्य है। अधिनियम की धारा 14 (3) के अनुसार, उप-धारा (1) के तहत जारी अधिसूचना में किसी भी 100 वर्षों से पुरानी वस्तु के मालिक को पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
पुरावशेष रखने वाले लोगों को पंजीकरण कराने जाते समय प्रत्येक पुरावशेष यानि Antiquity की पोस्टकार्ड साइज़ के तीन फोटो तथा 3 निर्धारित आवेदन पत्र का फोटोकॉपी अपने साथ रखना होगा। यह आवेदन पत्र VII को ASI की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। एक बार इन प्राचीन वस्तुओं का पंजीकरण कराने के बाद, इसे बेचने या किसी और को सौंपने से पहले एएसआई की स्वीकृति आवश्यक होगी।
एएसआई अधीक्षक मनोज सक्सेना ने बताया कि इस पंजीकरण अभियान से एएसआई न केवल मालिकों का उनके कलाकृतियों को संरक्षित करने में मदद करेगा, बल्कि इस कदम से प्राचीन वस्तुओं की तस्करी को कम करने में भी मदद मिलेगी क्योंकि एक पंजीकृत प्राचीन वस्तु को हवाई अड्डों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की कस्टम ब्रांच के माध्यम से गुजरना होगा।”
एएसआई 25 सितंबर से 28 सितंबर तक एक प्रदर्शनी भी लगाएगा और अगर किसी को अपनी प्राचीन वस्तुओं को दिखाने में दिलचस्पी है, तो उन्हें इस प्रदर्शनी में दिखाने का मौका मिलेगा।
बता दें कि प्राचीन मंदिरों में हजारों मूर्तियां और कलाकृतियां यूं ही पड़ी रहती हैं और उनका देखभाल कोई नहीं करता, लेकिन यही मूर्तियां जब चोर तस्करी कर अमेरिका पहुंचाते हैं तो वो करोड़ों में बिकती हैं। ऐसे ही भारत में न जाने कितने पुरावशेष मौजूद होंगे। ये मूर्तियां और कलाकृतियां देश की धरोधर और संपदा हैं जो आप को देश पर गर्व करने का मौका देती हैं। इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट के संस्थापक अऩुराग सक्सेना अनुसार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके बड़े-बड़े तस्कर बैठे हैं और हमें इसकी भनक भी नहीं लगती। किसी गांव से जब कोई मूर्ति चोरी होती है तो लोग बस अंदाजा लगाते हैं कि इन मूर्तियों को विदेशी बाजार में बेच दिया गया होगा। यूनेस्को के अनुसार भारत से लगभग 50 हज़ार ऐतिहासिक कलाकृतिया चोरी हुईं हैं।
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस संबंध में एक (2119) रिज्योल्यूशन भी पास किया था। इसके अनुसार बहुत से देशों से जो मूर्तियां चोरी हो रही हैं, वो आईएस (इस्लामिक स्टेट) या ऐसे ही अन्य संगठन करवा रहे हैं, जो उसके लिए टेरर फंडिंग के स्रोत हैं। न्यूयॉर्क में एक तस्कर के यहाँ छापा पड़ा तो उसमें 106 मिलियन डॉलर (लगभग 7 अरब रुपए) की मूर्तियां बरामद की गईं थीं। ऑस्ट्रेलिया के म्यूजियम में रखी 500 साल पुरानी नटराज (भगवान शिव) की मूर्ति चोरी की निकली और आर्ट गैलरी ने इस बात की पुष्टि की थी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का अपने देश की पुरानी कलाकृतियों, मूर्तियों और पुरावशेषों को चोरी से बचाने के लिए यह कदम सराहनीय है। इसमें सभी देशवाशियों को आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए।