हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दखल के बीच इंडियन नेवी ने भारतीय जल सीमा के नजदीक चीन के युद्ध पोत और पनडुब्बी का पता लगाया है। 27 हजार टन से ज्यादा वजन की विमानवाहक युद्धपोत जियान-32 सितंबर की शुरुआत में दक्षिण हिंद महासागर में श्रीलंका के पास देखा गया है। इन युद्धपोतों का पता लगाने के लिए नौसेना ने ये तस्वीर पी-81 मेरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट ने ली है। न्यूज एजेंसी ANI द्वारा प्राप्त तस्वीरों में चीनी लैंडिंग प्लेटफ़ार्म डॉक प्लेन ज़ियान-32 को हिन्द महासागर के दक्षिणी क्षेत्र से गुजरते हुये देखा जा सकता है। पी-81 टोही विमान ने इन गतिविधियों की न केवल तस्वीरें ली हैं, बल्कि चीनी जहाजों की गतिविधियों पर अभी भी अपनी नज़र रखी हुई हैं।
The P-8I tracked another Chinese frigate that is part of its anti piracy escort task force deployed in Gulf of Aden to provide security to Chinese merchant vessels from Somali sea pirates.Pic taken when the frigate was passing through Indian Ocean.(Pic source:Indian Navy sources) https://t.co/qWRbiPTxCg pic.twitter.com/XeAdpiAVNY
— ANI (@ANI) September 16, 2019
बता दें कि इससे पहले भी भारतीय नौसेना ने चीनी गतिविधियों को हिन्द महासागर में पकड़ा था। डोकलाम में तनाव के दौरान भी भारतीय नौसेना ने चीनी नौसेना की एक युआन क्लास सब्मरीन डिटेक्ट की थी। हिन्द महासागर पर चीन के नियंत्रण की मंशा किसी से छुपी नहीं है, लेकिन भारत को अच्छी तरह पता है कि चीन की अवैध गतिविधियों को कैसे नियंत्रण में रखना है। इसीलिए भारतीय नौसेना चीन की हरकतों पर लगातार नजर रखी हुई हैं। इससे पहले चीन ने जिबूती में अपना सैन्य अड्डा बनाया ताकि हिंद महासागर पर नजर रख सके। उसी समय से भारत चीन की गतिविधियों को लेकर अलर्ट है।
उस दौरान हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार एक नौसेना अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा था “हमने एक चीनी युद्धपोत को पिछले हफ्ते हिन्द महासागर में डिटेक्ट किया था और हमें शक है कि यह जिबूती की ओर बढ़ रहा है”। इसी अधिकारी ने आगे बताया “जिबूती में चीनी गतिविधियों की निगरानी हम इसलिए कर रहे हैं ताकि हिंद महासागर क्षेत्र में शांति बना रहे। भारतीय हितों की रक्षा करने के लिए चौबीसों घंटे लगभग 50 भारतीय युद्धपोत तैनात हैं।
वहीं चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नीति से भारत अनजान नहीं है। इस नीति के तहत चीन, भारत को हिंद महासागर में घेरने की कोशिश कर रहा है। चीन भारत के कई पड़ोसी देशों में अपने सैन्य और नौसैन्य अड्डे स्थापित किया है, ताकि युद्ध के हालात में चारों ओर से भारत पर हमला कर सके। ऐसे देशों में श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान शामिल हैं। चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का अधिग्रहण भी अपनी स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स योजना के तहत किया है। हालांकि ये अधिग्रहण व्यापार के लिए किए गए हैं, लेकिन इसके सामरिक (Defence) उद्देश्य ज्यादा बड़े हैं।
यहाँ पर गौर करने वाली बात यह है कि समय आने पर इस क्षेत्र में चीन छह से सात युद्धपोत सदैव संचालित करता है, जिससे अदन की खाड़ी में पाइरेसी पर लगाम लगाया जा सके। हालांकि सूत्रों के अनुसार चीनी नौसेना का असल उद्देश्य हिन्द महासागर में अपना दबदबा स्थापित करना है।
दिलचस्प बात तो यह है कि जिन पी 81 spy aircraft के कारण चीन की नापाक गतिविधियों का पता चल पाया, उन्हें भारत ने 2008 में हुये 26/11 हमले के एवज में अमेरिका से खरीदा था। इन्हें 2013 में तैनात किया गया था और 2016 तक ऐसे चार और एयरक्राफ्ट जोड़े गए। इसी कारण चीन की कई गतिविधियों के बावजूद भारत न केवल सजग है, बल्कि हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम भी है।
2019 की शुरुआत में पीएम मोदी ने मालदीव में एक नए प्रकार के रडार सिस्टम का उदघाटन किया था। इसका मुख्य उद्देश्य हिन्द महासागर क्षेत्र में चीनी गतिविधियों पर नज़र रखना है। इससे स्पष्ट है कि भारत हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के सतर्क हो चुका है में जानता है की किस प्रकार से उसकी गतिविधियों पर पर्याप्त नज़र रखनी ज़रूरी है और इसी दिशा में भारत बेहद सराहनीय प्रयास कर रहा है। जिस तरह से भारत चीन की हर गतिविधि पर नज़र रख रहा है, उससे स्पष्ट है कि हिन्द महासागर में चीन का दबदबा कायम करना बिलकुल भी सरल नहीं होगा, और भारत का संदेश भी स्पष्ट है – हम किसी को नहीं छेड़ते, पर छेड़े जाने पर छोड़ते भी नहीं हैं।