सोचिए अगर कोई देश आतंक को खत्म करने के बहाने मासूम नागरिकों पर बम के गोले दाग रहा हो और स्कूलों पर हमला कर रहा हो, तो आप उस देश को आतंकवादी नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे? आजकल तुर्की सीरिया में ठीक ऐसे ही हमलों को अंजाम दे रहा है। तुर्की की सेना और उसके द्वारा समर्थित उग्रवादी संगठन आम लोगों को निशाना बना रहे हैं और उनकी मदद करने वाले लोगों को भी मौत के घाट उतार रहे हैं। दुनियाभर में मानवाधिकारों की समीक्षा करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सीरिया में तुर्की द्वारा किए जा रहे वॉरक्राइम्स को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की है, इस रिपोर्ट में इस बात का साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि तुर्की समर्थित उग्रवादी महिलाओं और बच्चों पर भी जमकर ज़ुल्म ढा रहे हैं और वे बिना किसी खौफ के लोगों के मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तुर्की की सेना सीरिया में केमिकल हथियारों का भी इस्तेमाल कर रही है।
बता दें कि 9 अक्टूबर को तुर्की ने सीरिया में हमले करना शुरू किए थे। तुर्की ने कहा था कि वह उत्तर-पूर्व सीरिया में सीरियाई शरणार्थियों के लिए एक सेफ ज़ोन स्थापित करना चाहता है। हालांकि, इस आड़ में उसने आईएसआईएस के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने वाले कुर्द लड़ाकों पर हमला करना शुरू कर दिया, जिन्हें वह अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। हालांकि, इन हमलों में वह अब आम नागरिकों को भी निशाना बना रहा है। कुर्दी स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक तुर्की ने अब तक सीरिया में 218 नागरिकों को मार गिराया है जिनमे से 18 बच्चे हैं।
तुर्की द्वारा समर्थित उग्रवादी संगठन अहरार-अल-शार्किया ही तुर्की के समर्थन के बाद इन हमलों को अंजाम दे रहा है। इस संगठन के आतंकियों ने तुर्की की फ्यूचर सीरियन पार्टी की महिला नेता हेवरीन खलाफ की भी हत्या कर दी। एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक उसने खलाफ की हत्या की एक सत्यापित वीडियो और उसकी हेल्थ रिपोर्ट का अध्ययन किया। उस महिला नेता को उसकी गाड़ी से उतार कर पीटा गया, उसके साथ रेप किया गया और बाद में गोली मारकर हत्या कर दी गयी। बाद में उन आतंकवादियों ने खलाफ के मृत शरीर के साथ फोटो खिंचवाई और खलाफ के बॉडीगार्ड को भी जान से मार दिया। जब एमनेस्टी रिपोर्ट ने खलाफ़ की हेल्थ रिपोर्ट का अध्ययन किया तो और भी कई खौफनाक खुलासे हुए। हेवरीन खलाफ के दोनों टांगों की हड्डियाँ टूटी हुई थीं, इसके साथ ही उनके चेहरे और सर की हड्डियाँ भी टूटी हुई थीं, और बालों से पकड़कर ज़ोर से खींचे जाने पर उसके सिर के बाल और सिर की चमड़ी भी उखड़ी हुई थी।
इसके अलावा एमनेस्टी की इस रिपोर्ट में एक अन्य कुर्द लड़ाके की आपबीती भी लिखी गयी है। उस कुर्द लड़ाके के मुताबिक 10 अक्टूबर के बाद से ही तुर्की सीरिया में रिहायशी इलाकों पर हमला कर रहा है जिसमें एक-एक हमले में सीरिया के कामिशली में अपने घर के पास खेल रहे 2 बच्चे बुरी तरह घायल हो गए। उनमें से एक 11 साल का लड़का था तो वहीं एक 8 साल की बच्ची थी। उस कुर्द लड़ाके ने उस लड़के को बचाने की कोशिश की, लेकिन हमले के कारण उसकी छाती पूरी तरह उखड़ चुकी थी और उस लड़के को सांस लेने भी काफी तकलीफ हो रही थी। बाद में उस लड़के ने दम तोड़ दिया। वहीं उसकी बहन को भी गंभीर चोटें आई हुई थी और डॉक्टर्स को उसे बचाने के लिए उसकी घुटने के नीचे की टांग को काटना पड़ा।
एमनेस्टी की इस रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की के हमलों की वजह से अब तक 1 लाख लोग सीरिया में विस्थापित हो चुके हैं और वहां बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया है। लोगों के पास खाने-पीने की वस्तुओं की कमी हो रही है और उन्हें लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यहां तक कि केमिकल हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इन्हीं केमिकल हथियारों की चपेट में आए एक 21 वर्षीय कुर्द लड़ाके ने उसकी फोटो खींच रहे फोटो जर्नलिस्ट्स से कहा कि मुझे जलाने वालों और बाकी सभी को जलाने वाले जानवरों को यदि तुम रोक पाते, तो कितना अच्छा होता। वहीं तुर्की ने अपने हमलो में केमिकल हथियारों के इस्तेमाल किए जाने की खबरों को झूठ कहा है, हालांकि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान उन सत्यापित वीडियो को नहीं झुठला सकते जिनमें हमलों के कारण दर्द से कराह रहे लोगों की तस्वीरें कैद हैं। यूएन की केमिकल हथियारों के इस्तेमाल पर निगरानी रखने वाली संस्था ने तुर्की द्वारा किए गए हमलों की जांच की बात कही है।
तुर्की द्वारा किए जा रहे ये वॉरक्राइम्स किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जा सकते। इस देश को ना सिर्फ NATO से बाहर कर देना चाहिए बल्कि तुर्की और इसके राष्ट्रपति एर्दोगान पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने चाहिए। निंदनीय और जघन्य अपराधों के लिए तुर्की की ज़िम्मेदारी तय करनी ही होगी। यही मानवता की भलाई में है।