इमरान खान के ‘नए पाकिस्तान’ में गैर-मुस्लिम राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री नहीं बन सकते

इमरान खान

(PC: ARY News)

यूं तो पाकिस्तान सेकुलरिज्म पर भारत को ज्ञान बांटता फिरता है और कश्मीर मुद्दे को बिना वजह उछाल कर अपनी ही फजीहत करवा रहा है, परंतु अपने देश में हो रहे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को नहीं स्वीकार करना चाहता है। अब पाक का ये दोहरा रुख दुनिया के सामने एक बार फिर से आ गया है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय संसद ने उस बिल को खारिज कर दिया है जिसमें किसी गैर-मुस्लिम को पाकिस्तान का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनाए जाने के लिए जरूरी बदलाव करने की बात कही गई थी।

इस बिल को पाकिस्तानी सांसद नवीद आमिर जीवा ने संसद में रखा था। नवीद आमिर जीवा खुद एक ईसाई हैं और पाकिस्तान की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी से जुड़े हुए हैं। इस बात की जानकारी पाकिस्तानी एजेंसी न्यूज इंटरनेशनल ने दी। पाकिस्तानी संसद ने बहुमत के साथ मंगलवार को इस बिल को खारिज कर दिया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 41 और अनुच्छेद 91 में गैर-मुसलमानों को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने की अनुमति देने के लिए संशोधन का प्रस्ताव रखा। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक सांसद पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 41 और अनुच्छेद 91 में एक संशोधन करवाना चाहते थे। इस संशोधन के जरिए वे चाहते थे कि पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों को भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बनने का अधिकार मिले। हालांकि, पाकिस्तान की संसद ने इस बिल को निरस्त कर दिया। इसके बाद साफ हो गया है कि कोई भी गैर-मुस्लिम पाकिस्तान का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री नहीं बन सकता है। यहां पहले से ही किसी मुस्लिम को राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री चुने जाने का प्रावधान है। संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अली मुहम्मद खान ने प्रस्तावित कानून – संविधान (संशोधन) विधेयक 2019 का विरोध करते हुए कहा कि पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य है जहां केवल एक मुस्लिम ही शीर्ष पद पर रह सकता है।

इससे स्पष्ट होता है कि इमरान खान के ‘नए पाकिस्तान’ में अल्पसंख्यकों की क्या दशा है। इमरान खान बार-बार अल्पसंख्यक के मुद्दे पर भारत को घेरने का प्रयास करते हैं। इस पर उनका साथ भारत की लेफ्ट ब्रिगेड पत्रकार भी देता है और वाशिंगटन पोस्ट जैसी अमेरिकी मीडिया में लगातार लेख लिखते हैं। इमरान खान ने खुद को कश्मीर के स्वयंभू दूत के तौर पर पेश करते हुए कहा था कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करना भारत द्वारा सेकुलरिज्म के सिद्धांत को तिलांजलि देना है। उन्होंने यह भी कहा था कि मोदी के लिए भारत केवल हिंदुओं का है जहां अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। हालांकि, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत कितनी बुरी है यह बताने की जरूरत नहीं है।

पाकिस्तान में सिर्फ हिन्दू या सिख ही नहीं वहां के शिया और अहमदिया की हालत और भी बुरी है। पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों की स्थिति बहुत खराब है। अहमदिया लोग खुद को मुसलमान कहते हैं लेकिन 1974 के पाकिस्तान के संविधान में उन्हें गैर- मुस्लिम घोषित किया गया था। अहमदिया समुदाय पाकिस्तान में दूसरे दर्जे का नागरिक बना हुआ है। वो अपनी इबादतगाह को मस्जिद नहीं कह सकते हैं। उनके सार्वजनिक रूप से कुरान की आयतें पढ़ने और हज करने पर भी पाबंदी है। बात यहीं पर नहीं खत्म होती है। अगर कोई अहमदिया अस्सलाम वालेकुम से किसी का अभिवादन कर दे तो उसे जेल में डाल दिया जाता है। पाकिस्तान में जैसे-जैसे चरमपंथ बढ़ा है इन लोगों पर होने वाले हमले भी बढ़े हैं। पिछले कुछ सालों में कई अहमदिया मस्जिदों पर हमला हुआ है।

भारत के अल्पसंख्यक भी यह मानते हैं कि भारत में हर धर्म के लोगों को समान अधिकार और महत्व दिया गया है, और यह पाकिस्तान की तरह नहीं है जो अपने ही देश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करता है। ऐसा लगता है कि भारत को घेरने का प्रयास कर रहे इमरान खान को ऐसा कहते वक्त शायद यह ख्याल नहीं आया कि उनके यहां आज भी कितने अल्पसंख्यक हिन्दू जेलों में कैद हैं। पाकिस्तान का मानवाधिकार रिकॉर्ड किसी से नहीं छुपा है। अल्पसंख्यकों पर निरंतर अत्याचार और धर्म परिवर्तन के लिए ये देश काफी बदनाम रहा है। कहने को तो पाकिस्तान एक लोकतन्त्र है, परंतु यहाँ कोई पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध बोलता है, तो परिणाम काफी घातक होते हैं।

पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल ने बताया था कि अल्पसंख्यक समुदायों के हजारों लोगों को आतंकवाद खत्म करने के नाम पर पाकिस्तान में मौत के घाट उतारा जा रहा है। उनके शब्दों में, ‘निर्दोष पश्तूनों को पाकिस्तान में आतंकवाद खत्म करने के नाम पर मारा जा रहा है। हजारों लोगों को पाकिस्तान आर्मी के यातना केन्द्रों में बंद किया गया है।‘ चीनी लोगों को बसाने के इरादे से बलोच लोगों के गांवों की आगजनी करने के पाकिस्तानी इरादे किसी से नहीं छुपे हैं। पिछले पाँच वर्षों में इस क्षेत्र से रहस्यमयी तरीके से 20,000 से भी ज़्यादा लोग गायब हो चुके हैं। बलोचिस्तान के 57 प्रतिशत से भी ज़्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करते हैं। यहाँ की साक्षारता दर भी काफी कम है, क्योंकि 100 में से लगभग 63 बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक होना एक अभिशाप तो है ही। पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन ने दावा किया है कि हर वर्ष 1000 से ज़्यादा हिन्दू और ईसाई लड़कियों का अपहरण कर उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है, क्योंकि पाकिस्तानी प्रशासन की कृपा से मियां मिठू जैसे कट्टरपंथियों को ऐसे कुकृत्य करने की खुली छूट मिली है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है, “धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध किए जा रहे ईश निंदा हिंसा को सरकारी निष्क्रियता के कारण खुली छूट मिली है। विभाजन के समय पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की कुल आबादी का लगभग 23% से कम होकर मात्र 3% ही बची है। एक ओर इमरान खान भारत के विरुद्ध कश्मीर पर घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं, तो वहीं उनके देश की सेना ने स्वयं देश के अल्पसंख्यकों का जीना मुहाल कर रखा है।

इमरान खान ने UNGA में भी कश्मीर का मुद्दा उठाया था और सबसे घटिया भाषण दिया था। उन्होंने अपने भाषण में पैगंबर का नाम लेते हुए कई बार “ब्लड बाथ”, “radicalization” जैसे शब्दों का प्रयोग कर बंदूक उठाने की धमकी तक दे दी थी। इससे यही स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान के पिया इमरान खान ने नया पाकिस्तान का नारा दिया था लेकिन अब यही नया पाकिस्तान उनके के नेतृत्व में गर्त में जा रहा है जहां से गृह युद्ध के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

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