आपको याद होगा इस वर्ष मई में अमेरिका द्वारा चीनी कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते गूगल ने चीनी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी हुवावे को सॉफ्टवेयर सपोर्ट देना बंद कर दिया था। इसका सीधा मतलब यह था कि भविष्य में हुवावे के स्मार्टफोन्स में किसी भी गूगल सेवा जैसे की यूट्यूब, जी-मेल का लाभ उठाना असंभव हो गया था। हाल ही आई कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हुवावे इस प्रतिबंध के बाद अपने यूजर्स को सभी गूगल की सेवाएं प्रदान कर रहा था, और गूगल के प्रतिबंधो से बचने के लिए उसने ‘बैकडोर’ को इजात कर लिया था। इसी बैकडोर सिस्टम के जरिये हुवावे के मेट 30 और मेट 30 प्रो के यूजर्स गूगल की सेवाओं का फायदा उठा पा रहे थे और इसके लिए हुवावे एक थर्ड पार्टी एप की सहायता ले रहा था। हालांकि, जिस लिंक से उस एप को download किया जा रहा था, वह लिंक अब काम करना बंद कर चुका है और साथ ही जिन्होंने उस एप को पहले से इंस्टाल किया हुआ है, उनकी एप्स ने भी काम करना बंद कर दिया है।
दरअसल, मीडिया पोर्टल मीडियम के लिए लिखते हुए सिक्योरिटी रिसर्चर जॉन वू ने 1 अक्टूबर को खुलासा किया था कि हुवावे के मेट सीरीज़ के फोन अभी भी एक ‘बैकडोर’ के जरिये गूगल प्ले स्टोर और फिर गूगल की अन्य सेवाओं का लाभ अपने यूजर्स को दे पा रहे हैं और ये सब एक थर्ड पार्टी एप की मदद से किया जा रहा था। इस एप का नाम था ‘LZplay’। सभी मेट यूजर्स इस एप के माध्यम से गूगल प्ले की सेवाओं का लाभ उठा रहे थे। जॉन वू ने अपने लेख में यह भी दावा किया है कि हुवावे ने इस एप को कुछ special permissions दी हुई थी, जो आमतौर पर किसी भी Android फोन में किसी एप को नहीं दी जाती है। हालांकि, हुवावे ने अभी ‘LZplay’ के साथ किसी भी तरह के संबंध होने से साफ इंकार कर दिया है। वहीं गूगल ने भी इस मामले पर अपनी टिप्पणी करने से मना कर दिया है। हालांकि, इतना साफ है कि अब इस सिस्टम ने भी हुवावे फोन पर काम करना बंद कर दिया है और अब हुवावे के मेट सीरीज़ के यूजर्स गूगल की सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे। यानि हुवावे पर जो प्रतिबंध इस वर्ष मई में लगाया गया था, वह अब जाकर सही से लागू हुआ है।
बता दें कि मई में अमेरिका ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर अमेरिकी कंपनियों द्वारा किसी भी चीनी कंपनी को सॉफ्टवेयर सपोर्ट देने पर प्रतिबंध लगा दिया था। पिछले एक साल की बात करें सुरक्षा कारणों की वजह से हुवावे को दुनियाभर में कई देशों के विरोध का सामना करना पड़ा है। हुवावे 5जी तकनीक का पूरी दुनिया में प्रसार करने पर काम कर रहा है लेकिन अमेरिका, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस कंपनी पर इन देशों की सुरक्षा से समझौता करने और चीनी सेना के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। इन देशों का मानना है कि Huawei कंपनी चीनी सरकार के प्रभाव में काम करती है और सुरक्षा के लिहाज से यह इन देशों के लिए खतरा साबित हो सकती है। इन सभी देशों द्वारा Huawei पर कार्रवाई के बाद भारत में भी हुवावे पर प्रतिबंध की मांग उठनी शुरू हुई थी। हालांकि, भारत ने हुवावे को लेकर अपने रुख को अभी तक स्पष्ट नहीं किया है।
भविष्य में आने वाले हुवावे के नये मॉडल्स में गूगल की सेवाएं उपलब्ध न होने की वजह से इस फोन की सेल में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। चीन में तो हुवावे की सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि चीन में गूगल पहले से ही प्रतिबंधित है। वहीं, भारत जैसे देशों में हुवावे को अन्य कंपनियों से मात मिल सकती है, क्योंकि पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में android phones को अधिक यूज किया जाता है। यही नहीं भारतीय यूजर्स के बीच गूगल की सुविधाएं बेहद लोकप्रिय भी हैं। ऐसे में अब यही कहा जा सकता है कि भविष्य में हुवावे के लिए कोई शुभ संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं और इस कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।