27 सितंबर को पाक प्रधानमंत्री जब इमरान खान यूएन से अपनी भद्द पिटवाकर सऊदी से उधार लिए प्लेन में वापस अपने वतन लौट रहे थे, तो बीच रास्ते में ही उनको बताया गया कि उनके प्लेन में कोई खराबी आ गई है जिसके कारण उन्हें वापस न्यूयॉर्क जाना पड़ेगा। इसके बाद इमरान खान वापस न्यूयॉर्क गए, रात तो होटल में ठहरे और फिर अगले दिन वहां से एक साधारण कमर्शियल प्लेन में अपने देश लौटकर आए। सबको लगा कि किस्मत ने इमरान खान का साथ नहीं दिया लेकिन अब पाकिस्तान की ही एक मैगजीन ने बड़ा खुलासा करते हुए लिखा है कि प्लेन में कोई खराबी नहीं आई थी बल्कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने अपने प्लेन को वापस बुलाया था, और वे इमरान खान से बेहद नाराज़ थे।
दरअसल, इस घटना को लेकर पाक की एक पत्रिका ‘फ्राइडे टाइम्स’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान द्वारा दिए गए भाषण से क्राउन प्रिंस नाराज थे, इसीलिए उन्होंने अपना विमान वापस बुलाया’। हालांकि, यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इमरान खान ने अपने भाषण में ऐसा क्या कहा जिससे सऊदी अरब के प्रिंस नाराज़ हो गए और क्या सिर्फ वे इमरान खान के भाषण से ही नाराज़ हुए यह फिर और भी कोई कारण था?
अब अगर इमरान खान के भाषण पर गौर किया जाए, तो उसमें ऐसी कई चीज़ें थी जो इस्लामिक दुनिया में विवादित समझी जाती हैं। उन्होंने अपने भाषण में यह माना की अल-कायदा को खड़ा करने में पाक का ही हाथ था। साथ ही उन्होंने यूएन के मंच से दुनिया को न्यूक्लियर जंग की धमकी दी। इसके अलावा उन्होंने कश्मीर मुद्दे को हिन्दू और मुस्लिमों की लड़ाई दिखाने का भी प्रयास किया। पाक की पत्रिका के मुताबिक सऊदी अरब पाकिस्तान से नाराज़ होने के यही कारण थे। हालांकि, इन सब के अलावा और भी ऐसा कुछ हो सकता है जिसके कारण सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस इमरान खान से गुस्सा हो सकते हैं।
दरअसल, अमेरिका में एक हफ्ते तक चले यूएन की आम सभा के दौरान पाक ने तुर्की और मलेशिया के साथ मिलकर एक अलग इस्लामिक ब्लॉक को खड़ा करने की दिशा में कदम उठाए। पाकिस्तान ने मलेशिया और तुर्की के साथ मिलकर खुद को इस्लामिक देशों के प्रतिनिधि के तौर पर पेश किया। इसके अलावा तीनों देशों ने साथ में मिलकर एक इस्लामिक चैनल को लॉंच करने की भी घोषणा की है। बता दें कि अब तक सऊदी अरब ही अपने आप को इस्लामिक देशों का एकमात्र प्रतिनिधि मानता रहा है और अपने वर्चस्व को स्थापित करने के लिए वह कई देशों में फंडिंग भी करता रहा है। सऊदी अरब पूरी दुनिया में वहाबी इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए आखिर हर साल करोड़ों खर्च क्यों करता है, सिर्फ इसलिए ताकि इस्लामिक दुनिया में सिर्फ उसी का वर्चस्व रह सके। ऐसे में वह पाक को या किसी अन्य देश को उसकी जगह बिलकुल नहीं लेने देगा। खासकर ऐसी स्थिति में जब सऊदी अरब पाकिस्तान को इतनी बड़ी आर्थिक सहायता देता है, और पाक कई मायनों में सऊदी अरब पर ही निर्भर है।
अगर ऐसा सच है तो ना सिर्फ पाक अपने एक और महत्वपूर्ण साथी को कूटनीतिक तौर पर खोने के दरवाजे पर खड़ा है बल्कि उसे इसका आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। पिछले वर्ष अक्तूबर में भी सऊदी अरब ने पाक को 3 अरब यूएस डॉलर का कर्ज़ दिया था और अभी भी पाक को किसी भी समय और फंडस की ज़रूरत पड़ सकती है। सऊदी अरब का नाराज़ होना पाक के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा और अब यह सपना सच होता दिखाई दे रहा है।