भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को निर्विरोध उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्य चुन लिया गया। ये सीट वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के असामयिक निधन से खाली हो गयी थी। एएनआई से बातचीत के दौरान सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “सभी कार्यकर्ताओं को पार्टी उचित दायित्व सौंपती है, और पार्टी के निर्देशानुसार मैं भी अपना दायित्व निभा रहा हूं”। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के उपस्थिति में अभी शुक्रवार को सुधांशु त्रिवेदी ने अपना नामांकन दाखिल किया।
सुधांशु त्रिवेदी का नामांकन भले ही कुछ लोगों को चकित करे, परंतु उत्तर प्रदेश में भाजपा के बहुमत को देखते हुए निर्णय उन्हीं के पक्ष में आना तय था। भाजपा में ऊंचे से ऊंचे पद पर आसीन होने के लिए व्यक्ति को परिश्रम के अलावा कोई विकल्प नहीं दिया जाता है। सुधांशु त्रिवेदी ने भी इसी मार्ग को अपनाकर भाजपा में अपनी पहचान बनाई है, और समय-समय पर अपने पार्टी की स्वच्छ छवि को बरकरार रखा है।
लखनऊ से संबंध रखने वाली सुधांशु त्रिवेदी मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पीएचडी कर चुके हैं और महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय यूनिवर्सिटी सहित कई विश्वविद्यालयों में वो पढ़ा भी चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने से पहले सुधांशु त्रिवेदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार के रूप में काम करते थे, और ऐसा करने वे सबसे युवा सलाहकार थे।
सुधांशु त्रिवेदी ने तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के राजनीतिक सलाहकार के तौर पर भी काम किया है, और 2014 में भाजपा की ऐतिहासिक जीत में उन्होंने एक अहम भूमिका निभाई थी। वे भाजपा के मीडिया एवं कम्युनिकेशन के कोर टीम के सदस्य भी थे, जिसमें भाजपा के प्रमुख नेता जैसे दिवंगत नेता अरुण जेटली, सुषमा स्वराज एवं वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह शामिल थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सुधांशु त्रिवेदी को राजस्थान का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था, जहां भाजपा ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर ही दम लिया था।
2014 के बाद सुधांशु त्रिवेदी भारतीय टेलिविजन पर जाना माना नाम बन चुके थे। अंग्रेज़ी और हिन्दी दोनों में ही निपुण होने के कारण उन्हें भारतीय संस्कृति से जुड़े कई अहम पहलुओं की जानकारी थी। सनातन संस्कृति से जुड़ी कोई भी जानकारी चाहिए हो, सुधांशु त्रिवेदी आपकी सेवा में तुरंत उपस्थित हो जाते। उन्हें सनातन संस्कृति का काफी गहरा ज्ञान है।
एक परिपक्व प्रवक्ता होने के कारण सुधांशु त्रिवेदी ने कई अवसरों पर पार्टी के लिए संकटमोचक का भी काम किया है। अपने तर्क को कुशलता से रखने में इनका कोई सानी है। यही नहीं, सुधांशु का किसी भी विषय पर तर्क और उनका टोन निस्संदेह प्रशंसनीय है। वाद-विवाद पर बेहद संयमित आवाज़ में तर्क पर ध्यान देने वाले सुधांशु त्रिवेदी जिस तरह अपने विरोधियों को मौन होने पर विवश कर देते हैं, वैसे कोई भी नहीं कर पाता।
अपने पार्टी को काफी निष्ठा और लगन से अपनी सेवाएं देने के बाद सुधांशु त्रिवेदी का राज्य सभा के लिए नामांकित उनके परिश्रम के लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं है। यही बात भाजपा को बाकी वंशवादी पार्टियों से अलग रखती है, क्योंकि भाजपा वंशवाद से ऊपर योग्यता को प्राथमिकता देती है। एक समय रविशंकर प्रसाद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हुआ करते थे। आज वे केंद्र सरकार में वरिष्ठ मंत्री है। इससे हमें पार्टी में योग्यता के पुरुसकृत होते रहने की उम्मीद बंधी हुई है, और हमें आशा है की सुधांशु त्रिवेदी की भांति अन्य योग्यवान नेताओं को भी पार्टी में अहम पद दिये जाते रहेंगे।