ये तो आपको पता है कि पाकिस्तानी सरकार और सेना का दिन कश्मीर राग अलापने से शुरू होता है और कश्मीर राग पर आकर खत्म। हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान के लोग भी ऐसा ही सोचते हैं? तो आपको जानकार हैरानी होगी, कि कश्मीर मुद्दा पाकिस्तानियों के लिए कोई मुद्दा है ही नहीं। पाकिस्तान में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर मुद्दा सिर्फ 8 प्रतिशत लोगों के लिए ही महत्वपूर्ण है, जबकि लोगों के लिए महंगाई और रोजगार जैसे मुद्दे सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। ज़ाहिर है, लोगों को कश्मीर से ज़्यादा अपनी रोटी-पानी की चिंता ज़्यादा है, और यह इस रिपोर्ट में दिख भी रहा है। इमरान खान के सत्ता में आने के बाद से ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ICU में पड़ी है, और महंगाई पाकिस्तान में सातवें आसमान पर है।
इमरान खान पिछले वर्ष जब सत्ता में आए थे, तो पाकिस्तान में महंगाई दर 7 प्रतिशत से कम ही थी। हालांकि, आज वह साढ़े 12 प्रतिशत तक जा पहुंची है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले एक साल के अंदर पाकिस्तानी रुपये की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। आज से एक साल पहले जहां 1 यूएस डॉलर की कीमत 120 पाकिस्तानी रुपये थी तो वहीं अब यह कीमत 160 के पार पहुंच चुकी है। इसका खामियाजा पाकिस्तान की जनता को भुगतना पड़ रहा है, और यही कारण है कि सर्वे में शामिल 53 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके लिए महंगाई ही सबसे बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा 23 प्रतिशत लोगों ने यह माना कि रोजगार उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा है और 4 प्रतिशत लोगों ने भ्रष्टाचार पर अपनी चिंता व्यक्त कि और इसे सबसे बड़ा मुद्दा बताया। ये सभी ना सभी मुद्दे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से जुड़े हैं, जो कहीं ना कहीं यह दिखाता हैं कि जिन वादों के साथ इमरान खान सत्ता में आए थे, लोग उन्हें पूरा होता देखना चाहते हैं।
इससे यह भी लगता है कि पिछले 70 सालों में पहली बार पाक की आवाम को ये एहसास हुआ है कि उनके लिए कश्मीर के मुद्दे से बड़ा महंगाई और बेरोजगारी है जिस पर वहां की सरकार ने बिलकुल ध्यान नहीं दिया है।
पाकिस्तान की सेना और सरकार कश्मीर कश्मीर चिल्लाकर महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं।हालांकि, इस रिपोर्ट से यह साफ हो चुका है कि लोगों पर पाकिस्तानी सेना और सरकार के इस प्रोपेगैंडा का कोई फर्क नहीं पड़ रहा। पिछले एक वर्ष के दौरान इमरान खान ने पाक की अर्थव्यवस्था को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर लिटा दिया है। पाकिस्तान को इस वक्त डॉलर्स की सबसे ज़्यादा जरूरत है, और इसके लिए वह चीन और क़तर जैसे देशों से भीख मांगने को मजबूर हो गया है। पिछले कुछ महीनों में वह चीन, सऊदी अरेबिया और क़तर से कर्ज़ लेने के बावजूद IMF के पास जाने को मजबूर हुआ है। पाकिस्तान कर्ज़ में डूबा हुआ है और वहां की सरकार ने लोगों पर भारी टैक्स लगाया है जिसके कारण महंगाई से इस देश में भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं। इसके अलावा आतंक विरोधी गतिविधियों को रोकने में नाकाम रहने के लिए पाक पर एफ़एटीएफ़ द्वारा ब्लैक लिस्ट होने का खतरा भी लगातार मंडरा रहा है। अगर ऐसा होता है, तो पाकिस्तान की मुश्किलों में और इजाफा हो सकता है। इसीलिए लोग अब सरकार से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं है।
लोगों की असंतुष्टि का सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान की सरकार का विकास को लेकर निराशावादी रवैया रहा है। इमरान खान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कोई सकारात्मक बदलाव लाने में असफल रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में कश्मीर को लेकर उनकी सरकार सुपर एक्टिव दिखी है। हालांकि, अब लोगों को भी यह समझ आ चुका है कि कश्मीर कश्मीर चिल्लाकर किसी का पेट नहीं भरने वाला है। पाकिस्तान सरकार का सारा ध्यान कश्मीर में आतंकवाद को फंड करने और दुनियाभर में भारत-विरोधी अभियान चलाने में रहता है, लेकिन वहां की सरकार ने कभी देश के मुद्दों को प्राथमिकता नहीं दी। हालांकि, अच्छी बात यह है कि पाकिस्तानी लोगों को अब इसका आभास हो गया है और वे इस बात को समझ रहे हैं। अब पाकिस्तान की सेना और सरकार के लिए यही अच्छा होगा कि वे कश्मीर राग को छोड़कर देश की अर्थव्यवस्था पर ध्यान दें नहीं तो लोगों का यह गुस्सा पाकिस्तान के लिए अस्तित्व का संकट भी पैदा कर सकता है।