कल एक ऐतिहासिक निर्णय में माननीय सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने वर्षों से लंबित राम जन्मभूमि केस का निस्तारण करते हुए विवादित भूमि रामलला को सौंप दी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पाँच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने निर्णय श्रीराम जन्मभूमि न्यास के पक्ष में सुनाया। इसके अलावा सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए कोर्ट ने अयोध्या में 5 एकड़ की वैकल्पिक भूमि पर मस्जिद बनाने का भी निर्णय सुनाया।
देशभर में जहां इस निर्णय का स्वागत हो रहा है, और सुप्रीम कोर्ट के इस पीठ को उनकी परिपक्वता के लिए जमकर सराहा गया, तो वहीं कुछ लोगों को यह आनंद का माहौल भी रास नहीं आया। अभी कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के झटके से हमारी लिबरल बिरादरी को उबरे कुछ समय भी नहीं हुआ था की अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले के निस्तारण ने मानो उनके मुंह से निवाला ही छीन लिया हो। बौखलाहट में उन्होंने जमकर भारत, भारतीयों एवं सनातन धर्म की खिल्ली उड़ाई और उन्हें अपमानित करने का जी भरकर प्रयास किया।
इस निर्णय की निंदा करने में सबसे आगे रही पत्रकार राणा अय्यूब, जिन्होंने इस निर्णय को ‘majoritarian’ यानि बहुसंख्यकवादी करार दिया। इसके बाद तो इन्होंने मानो पूरी ट्वीट माला निकालने की ठान ली। एक के बाद एक किए गए ट्वीट में उनकी कुंठा साफ दिख रही थी। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, “हर युग में यह तानाशाह ही रहा है जिसने अपने आप को देशभक्ति और धर्म का चोगा पहनाकर लोगों को भ्रमित करने का काम करता है”।
In every age it has been the tyrant, the oppressor and the exploiter who has wrapped himself in the cloak of patriotism, or religion, or both to deceive and overawe the People. https://t.co/nFkAEX4Rqx
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) November 9, 2019
यही नहीं, जब आडवाणी का इस निर्णय पर बयान आया, तो उन्हें एक हत्यारे की संज्ञा देते हुए इन्होंने ट्वीट किया, “हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करे तो चर्चा नहीं होता”। जब निर्णय आया भी नहीं था, तब भी इन्होंने एक बेहद भड़काऊ ट्वीट पोस्ट किया था, जिसके लिए इन्हें अमेठी पुलिस से चेतावनी भी मिली थी।
Tomorrow is a big day for India. The Babri Masjid, a monument of faith for Indian muslims was demolished on 6th Dec 1992 by those in power today. It changed my life and a generation of Muslims who were 'othered' overnight. I hope my country does not disappoint me tomorrow.
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) November 8, 2019
परंतु राणा अय्यूब अकेली नहीं थी, जिन्हें इस निर्णय से आघात पहुंचा था। कभी राम मंदिर का मज़ाक उड़ाने वाले स्वघोषित फ़ैक्ट चेकर प्रतीक सिन्हा भी इस निर्णय से काफी बौखलाए हुए दिखे। इस निर्णय को संक्षेप में बताते हुए प्रतीक बाबू कहते हैं, “एक गुंडे ने स्कूल में एक बच्चे का सैंडविच छीन लिया। उसके बचाव में आए उस बच्चे के दोस्त को भी पीट दिया। शिक्षक ने बीचबचाव करते हुए गुंडे को सैंडविच थमा दी, जबकि बच्चे को सूखी ब्रेड का एक टुकड़ा थमा दिया। प्रधानाचार्य ने शिक्षक की इस सोच की प्रशंसा करते हुए इसे एक ‘संयमित निर्णय’ बताया”। प्रतीक के इस ट्वीट की सोशल मीडिया पर जमकर खिल्ली उड़ाई गयी, और पत्रकार अभिजीत अय्यर मित्रा ने चुटकी लेते हुए कहा, “ऐसे लोगों को कुढ़ता देख, पता नहीं क्यों हमें मज़ा बहुत आता है। हमेशा की तरह ये ‘फ़ैक्ट चेक’ वाले प्रोपगैंडिस्ट आपको कभी नहीं बताएँगे कि सैंडविच वाले बच्चे ने उस सैंडविच के लिए कितना संघर्ष किया था”।
https://twitter.com/Iyervval/status/1193370106392244224
राजदीप सरदेसाई को मानो इस निर्णय से विशेष आघात पहुंचा था। उन्होंने इंडिया टुडे पर इस निर्णय के संदर्भ में अपनी चर्चा में राणा अय्यूब की भांति इसे एक ‘majoritarian’ निर्णय घोषित किया, जिसके लिए उन्हें तुरंत आलोचना भी झेलनी पड़ी।
इसके अलावा द हिन्दू ग्रुप की को चेयरमैन मालिनी पारथासारथी ने भी इस निर्णय पर अपनी कुंठा उजागर करते हुए ट्वीट किया, “ये भारत के लिए निश्चित ही एक बहुत बुरा दिन है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक आस्था को सर्वोपरि मानते हुए राम जन्मस्थान के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया। संविधान में लाखों भारतीयों की आस्था अब डावांडोल हो रही है क्योंकि अब उग्रवाद को पुरुस्कृत किया जा रहा है”।
इस ट्वीट पर श्रीहर्षा हेगड़े नामक एक व्यक्ति ने चुटकी लेते हुए कहा कि पीएमओ और गृह मंत्रालय को अब सरयू नदी के तट पर एक मानसिक चिकित्सालय का निर्माण कर ही देना चाहिए। इस ट्वीट का इशारा सुब्रह्मण्यम स्वामी के उस ट्वीट की ओर था, जब उन्होंने 2017 में राम मंदिर विरोधियों के लिए एक मानसिक चिकित्सालय का अयोध्या में निर्माण करने का सुझाव दिया था।
Certainly a regressive day for India with the Supreme Court upholding religious faith & claimed prior antiquity in deciding in favour of Ram Janmasthan. The faith of millions of Indians in the Constitution hangs in the balance as vigilante vandalism appears to have been rewarded!
— Malini Parthasarathy (@MaliniP) November 9, 2019
https://twitter.com/HEGD4101/status/1193344765036597248
अब ऐसे में हमारे बॉलीवुड के लेफ्ट लिबरल कैसे पीछे रहते? एक्ट्रेस तापसी पन्नू ने ट्विटर पर इस निर्णय के उपलक्ष्य में ट्वीट किया, “हो गया। बस। अब?” हालांकि सोशल मीडिया यूज़र्स को उनकी हिपोक्रेसी एक्स्पोज़ करने में ज़्यादा समय नहीं लगा, क्योंकि उन्होंने करतारपुर कॉरीडोर के उद्घाटन पर इस ट्वीट से कुछ ही घंटे पहले यह ट्वीट किया था, “#KartarpurCorridor शुक्राना की प्रार्थना शुरू हो”। मतलब इनकी आस्था, आस्था है और हमारी आस्था फुटबॉल है, नहीं तापसी जी?
Ho gaya. Bas. Ab ?
— taapsee pannu (@taapsee) November 9, 2019
#KartarpurCorridor let the prayers of shukrana begin….
— taapsee pannu (@taapsee) November 9, 2019
अपने ट्वीट और बड़बोलेपन के लिए अक्सर विवादों में रहने वाली स्वरा भास्कर को इस निर्णय से कुछ ज़्यादा ही सदमा लगा, जो उनके ट्वीट में साफ झलक रहा था। उन्होंने लिखा, “रघुपति राघव राजा राम, सबको सन्मति दे भगवान।” यानि बोलना तो बहुत कुछ चाहती थीं पर सदमें में उन्होंने राम नाम जपना ही उचित समझा।
रघुपति राघव राजा राम..
सब को सन्मति दे भगवान।— Swara Bhasker (@ReallySwara) November 8, 2019
द क्विंट के पत्रकार सुरेश मैथ्यू तो इस निर्णय के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे उत्सव से ही भयभीत हो गए। उन्होंने ट्वीट किया, “मुंबई में पूरे गोरेगांव में पटाखे फोड़े जा रहे हैं। अच्छे से दिख रहा है कितनी मैच्योर डेमोक्रेसी है। अंत में बहुसंख्यकों का ही बोलबाला रहता था।
Fire crackers being burst in Mumbai all around Goregaon. So much for signs of a "mature democracy", "spirit of solidarity, unity" and talk of "commitment to peaceful coexistence". The smugness of majoritarian entitlement prevails in the end.
— Suresh Mathew (@Suresh_Mathew_) November 9, 2019
सच बोलें तो हमारे लेफ्ट लिबरल्स के वर्षों के बनाए प्रोपगैंडा पर अपने परिपक्व निर्णय से माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेर दिया। वर्षों तक देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने वाले लोग देश में न्याय और शांति से भला कैसे प्रसन्न हो सकते हैं? अब जितना भी आँसू बहाना है बहा लीजिये लिबरलों, क्योंकि अब पछताय होत क्या, जब चिड़िया चुग गयी खेत!