बड़बोले महातिर मोहम्मद पागल हो गए हैं, जिन्होंने चीन के सामने घुटने टेक दिये

महातिर मोहम्मद

PC: MSN.com

94 वर्ष की उम्र के मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद आजकल ऐसा बर्ताव कर रहे हैं कि अब उनके लिए पागल शब्द का प्रयोग करना भी पागल शब्द के साथ अन्याय होगा। वे मलेशिया की आर्थिक स्थिति को तो बद से बदतर करने में लगे ही हैं, साथ ही मलेशिया को सुरक्षा के तौर पर भी कमज़ोर करने में जुटे हैं और अब तो ऐसा लग रहा है कि वो पूरी तरह चीन की कठपुतली की तरह बर्ताव कर रहे हैं। दरअसल, अपने ताज़ा बयान में अब महातिर ने कहा है कि मलेशिया चीन की तुलना में बेहद कमजोर देश है और मलेशिया साउथ चाइना सी पर अपने दावे को छोड़ रहा है। साथ में उन्होंने यह भी कहा है कि साउथ चाइना सी पर चीन का दावा करना चीन की चिंता है, मलेशिया की नहीं। इसी के साथ महातिर ने स्पष्ट कर दिया है कि वे मलेशिया के प्रधानमंत्री की तरह नहीं बल्कि चीन के हितैषी के तौर पर काम कर रहे हैं, और मलेशिया के लोगों को जल्द से जल्द इस बूढ़े प्रधानमंत्री से छुटकारा पाने की ज़रूरत है।

महातिर मोहम्मद ने बीते 4 नवंबर को कहा कि वे दक्षिण चीन सागर में केवल फ्री मूवमेंट चाहते हैं और अब तक चीन ने मेलशिया को तंग करने वाला कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। उन्होंने यह भी कहा कि साउथ चाइना सी में मलेशिया किसी भी हिस्से पर अपना दावा नहीं ठोक रहा है। महातिर मोहम्मद का यह बयान इसलिए हैरान करने वाला है क्योंकि ऐतिहासिक तौर पर मलेशिया साउथ चाइना सी के एक हिस्से पर अपना दावा ठोकता आया है।

साउथ चाइना सी में सिर्फ फ्री मूवमेंट की बात कहकर महातिर ने मलेशिया के लोगों के हितों को नकारा है, क्योंकि समुद्र का यह हिस्सा प्राकृतिक संसाधनो से संपन्न है और ऐसे में मलेशिया के प्रधानमंत्री ने बड़ी ही कायरता के साथ मलेशिया की इस संपत्ति को चीन को सौंपने का ऐलान कर दिया है।

इसके साथ ही महातिर मोहम्मद ने मलेशिया को चीन से कमजोर कहकर मलेशिया के लोगों के आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाया है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि महातिर मोहम्मद मलेशिया की जनता के प्रतिनिधि बिलकुल नहीं हो सकते हैं क्योंकि वे अपने ही लोगों को कमजोर बताने को तुले हुए हैं और अपनी ही संपत्ति को थाली में रखकर चीन को परोस रहे हैं।

बता दें कि महातिर मोहम्मद पिछले 1 महीने से लगातार ऐसे कदम उठा रहे हैं जो मलेशिया के हितों के विपरीत हैं, और आने वाले वक्त में मलेशिया की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए बुरे साबित होंगे। अगस्त महीने में उन्होंने यूएन में कश्मीर मुद्दे को उठाया था जिसने नई दिल्ली को बहुत आहत कर दिया था। इसके बाद मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं ईस्ट एशिया समिट के दौरान भी महातिर ने चीन का बचाव करते हुए अमेरिका पर निशाना साधा। दरअसल, एक कार्यक्रम के दौरान RCEP के मुद्दे पर बोलते हुए महातिर ने कहा था कि अमेरिका जानबूझकर ASEAN देशों को टार्गेट कर रहा है ताकि अपनी शत्रुतापूर्ण व्यापार नीति के माध्यम से वह एक-एक करके सभी देशों को निशाना बना सके। महातिर मोहम्मद ऐसे समय में अमेरिका पर हमले कर रहे हैं जब खुद मलेशिया का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस है। वर्ष 2018 में अमेरिका के साथ मलेशिया का ट्रेड सरप्लस 26.5 बिलियन यूएस डॉलर था। वही मलेशिया उस चीन की गोद में बैठकर अमेरिका को गाली दे रहा है जिसके साथ उसका ट्रेड डेफ़िसिट है। यह दिखाता है कि मलेशिया ASEAN देशों में ASEAN के हितों के विरुद्ध चीन के हितों के लिए काम कर रहा है।

मलेशिया के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाकर अब महातिर ने मलेशिया के सुरक्षा हितों के साथ समझौता करना शुरू कर दिया है, जो यह दर्शाता है कि वे मलेशिया के पीएम पद पर बने रहने के बिलकुल भी लायक नहीं हैं, और जल्द से जल्द उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। महातिर के नेतृत्व में मलेशिया का चीन की उँगलियों पर नाचना शर्मनाक है और यह किसी भी सूरत में मलेशिया के लोगों के लिए न्यायपूर्ण नहीं होगा।

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