चीन अपने फायदे के लिए केन्या को कंगाल कर रहा है, केन्याई लोग विरोध करने सड़कों पर उतर आए हैं

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पूरी दुनिया में अपनी पकड़ बनाने के लिए चीन सभी छोटे देशों को अपने ऋण जाल में फंसा रहा है। चीन के इस जाल में पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, मध्य एशिया के देश बुरी तरह फंस चुके हैं। अब खबर आ रही है कि चीन ने केन्या में एक नया रेल नेटवर्क स्थापित किया है। चीन ने यह रेल नेटवर्क इसलिए बनाया है ताकि वह आस-पास के कई द्वीपों पर अपनी पकड़ बना सके।

बता दें कि केन्या की रेलवे परियोजना एसजीआर के निर्माण के लिए 550 अरब केन्याई शिलिंग उधार दी हुई है। इस रेल नेटवर्क ने बंदरगाह शहर मोम्बासा से राजधानी नैरोबी तक की यात्रा के समय को कम कर दिया है लेकिन यहां के व्यापारी इस रेल सेवा से खुश नहीं हैं।

दरअसल, केन्या के व्यापारी इस रेलवे सेवा का काफी विरोध कर रहे हैं उनका मानना है कि वे सड़क मार्ग से कम पैसे में ट्रक द्वारा भी सामानों की ढुलाई कर सकते हैं लेकिन केन्या की सरकार वहां के व्यापारियों पर दबाव बना रही है कि वे रेलवे की सेवा अनिवार्य रूप से लें। बता दें कि इस परियोजना से धन की पर्याप्त प्राप्ति नहीं हो पा रही और पहले ही साल उसमें 10 अरब केन्याई शिलिंग का नुकसान हुआ है। ऐसे में सरकार मजबूरन वहां के व्यापारियों पर रेलवे सेवा का प्रयोग करने के लिए दबाव बना रही है।

बताया जा रहा है कि नैरोबी ट्रेन डिपो में सामान के क्लियरिंग में अधिक समय देना पड़ रहा है और वहां से सामान उठाकर ट्रक से भेजने की जरूरत पड़ रही है। ऐसा पहले नहीं था, पहले व्यापारी सीधे बंदरगाह से ट्रक द्वारा माल लाते थे लेकिन अब बंदरगाह के अधिकारियों का कहना है कि आपको किसी भी हालत में चीन द्वारा बनाई गई नई रेलवे लाइन का प्रयोग करना ही होगा। यानि मोम्बासा बंदरगाह से सामानों की ढुलाई रेलवे द्वारा अनिवार्य कर दी गई है।

केन्या के कुछ राजनेता चीन की इस परियोजना का काफी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि क्या जरूरत थी रेलवे लाइन पर पैसा कर्ज लेकर बर्बाद करने की? सैकड़ों की संख्या में स्थानीय निवासी, व्यापारी और नेता लोग चीन की इस रेल परियोजना का विरोध कर रहे हैं। डी डब्ल्यू की खबर के अनुसार खून से लिखे तख्ते लेकर ये लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में चीन अपना पैसा वसूलने के लिए श्रीलंका, मालदीव और पाकिस्तान की तर्ज पर केन्या का भी मुम्बासा बंदरगाह अधिग्रहित करने की तैयारी में है।

इसी तरह मध्य एशिया के देशों में चीन के खिलाफ उठती आवाज़ फिर से चीन की कर्ज़ जाल की नीति का खुलासा करती है। चीन पूरी दुनिया में छोटे देशों को लुभावने सपने दिखाकर अपने एजेंडे में फंसाता है और जब तक सामने वाले देश को चीन की चल समझ आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। दक्षिण एशिया में पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव, मध्य एशिया में किर्गिस्तान, और अब केन्या में यही कर रहा है। ऐसे देशों की सूची बहुत लंबी है जो चीन के BRI प्रोजेक्ट से अपने हाथ जला चुके हैं और दुर्भाग्य से भविष्य में ऐसे देशों की सूची लंबी होने का अनुमान है।

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