नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर देश भर में हिंसक प्रदर्शन देखे गए हैं। और राज्यों में भले ही दंगाइयों पर नरम रुख अपनाया जाता हो, परंतु उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार इन गुंडों पर नरमी बरतने के मूड में तो बिलकुल नहीं दिखती। सीसीटीवी फुटेज, विडियोग्राफी और स्थानीय इंटेलिजेंस के आधार पर राज्य में सीएए के विरोध के नाम पर हिंसा करने वाले दंगाइयों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
राज्यों में कई जिलों को दंगाइयों को चिन्हित कर उनसे सार्वजनिक सम्पत्तियों को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई हेतु लाखों रुपये का मुआवजा भी लिया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा है कि उनकी सरकार हिंसा करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कर उनके संपत्ति का अधिग्रहण करेगी, जिससे सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई की जाएगी। अब तक 130 दंगाइयों को नुकसान की भरपाई हेतु कुल 50 लाख रुपये का भुगतान करने के निर्देश दिये गए हैं।
जहां एक ओर पुलिस दंगाइयों को दंडित करने हेतु कोई कसर नहीं छोड़ रही है, तो वहीं एक अनोखे ऑपरेशन में पुलिस ने छुप कर रह रहे कुछ दंगाइयों को पकड़ने में सफलता पायी थी। दरअसल, आगरा पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ उपद्रवी फ़िरोज़ाबाद में हिंसा करके आगरा भाग आए थे।
अब चूंकि उन्हें आम व्यक्तियों से अलग करना काफी जटिल होता, तो पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए अंडरकवर जाने का निर्णय किया। इसी क्रम में मंटोला पुलिस थाना प्रभारी, सब इंस्पेक्टर सुनील तोमर ने एक केला विक्रेता का भेष धारण करते हुए उन अपराधियों को सफलतापूर्वक हिरासत में ले लिया है। सूत्रों के मुताबिक आगरा पुलिस ने पूरी योजना को न बताते हुए केवल इतनी डीटेल्स ही जारी की है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया था कि कैसे राज्य भर में हिंसक प्रदर्शनों में 263 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। यहाँ ये बताना आवश्यक है कि उनमें से 57 पुलिसकर्मियों को गोलियां लगी है, जिससे स्पष्ट होता है कि दंगाइयों ने किस तरह पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने का प्रयास किया था। यूपी पुलिस ने अब तक 5400 लोगों को हिरासत में लिया और उनमें से 705 अभी न्यायिक हिरासत में है।
यहाँ पर ये बताना अत्यंत आवश्यक है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस को कार्रवाई करने के लिए खुली छूट दी है। उनका संदेश स्पष्ट है – किसी भी स्थिति में अपराधियों पर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। राज्य सरकार द्वारा इस कड़ी कार्रवाई के कारण बंगाल की भांति राज्य को हिंसा की आग में जलने से सफलतापूर्वक बचाया गया है।
उत्तर पुलिस प्रशासन निस्संदेह अपनी कार्रवाई के लिए बधाई के पात्र हैं। वर्षों बाद उन्होंने अपना खोया गौरव वापिस पाया है, और सीएए के विरोध के नाम पर हिंसक प्रदर्शन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई कर उन्होंने जनता के हृदय में अपने लिए एक अलग स्थान बना लिया है। ऐसे गुंडे, जिनका मुख्य ध्येय केवल हिंसा और आगजनी कर राज्य को संकट में डालना है, किसी भी स्थिति में नरमी के योग्य बिलकुल नहीं है। यूपी पुलिस के वर्तमान तौर तरीके सभी प्रकार के अपराधियों के लिए एक स्पष्ट संदेश भेजती है – क़ायदे में रहोगे तो फ़ायदे में रहोगे।