जब से सौरव गांगुली ने बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष के पद को संभाला है, बोर्ड के प्रशासन में जैसे एक नई जान आ गयी हो। दादा के नाम से चर्चित सौरव गांगुली अब बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर भारतीय क्रिकेट के पुनरुत्थान में जुट गए हैं।
23 अक्टूबर को पदभार ग्रहण करने के बाद से ही सौरव गांगुली ने एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने दिया है। उन्होंने क्रिकेट के पुनरुत्थान हेतु कई अनोखे कदम उठाए हैं। ऐसा ही एक अनोखा विचार है एक सुपर ODI सिरीज़ का आयोजन कराना, जिसमें विश्व के शीर्ष चार टीम्स भाग लेंगे। यह सिरीज का विचार गांगुली के मस्तिष्क से उत्पन्न हुआ है। हालांकि, इसे ऑस्ट्रेलिया एवं इंग्लैंड ने अभी आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है, परंतु वे इसका हिस्सा बनने के इच्छुक अवश्य दिखाई दे रहे हैं।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सीईओ केविन रॉबर्ट्स ने सौरव गांगुली के विचार का स्वागत करते हुए कहा है, “ये बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के उनकी अनोखी सोचा का हिस्सा है”। उन्होंने आगे ये भी कहा, “उनके संक्षिप्त कार्यकाल में ही कोलकाता में में सफलतापूर्वक एक डे नाइट टेस्ट का आयोजन हुआ, और उसके परिणाम भी काफी अच्छे रहे। अब सुपर सीरीज का प्रस्ताव भी उम्दा है”।
बांग्लादेश के साथ अभी कुछ ही हफ्तों पहले संपन्न हुआ डे नाइट टेस्ट मैच अपने आप में काफी अनोखा था, क्योंकि प्रमुख टेस्ट देशों में भारत अंतिम ऐसा देश था जिसने इस सब फॉर्मैट को स्वीकार किया था। बीसीसीआई ने ज़ोर शोर से भारत के प्रथम पिंक बॉल टेस्ट का प्रचार किया था, जैसे उदाहरण के लिए कोलकाता के कई अहम पर्यटन स्थलों को गुलाबी रोशनी में दिखाया गया था, जिसके कारण दर्शकों में इस मैच को लेकर गजब का उत्साह उत्पन्न हुआ था।
इसके अलावा दादा ने अपना ध्यान राष्ट्रीय क्रिकेट अकादेमी के पुनरुत्थान और संरक्षण की ओर दिया, जिसके प्रशासन की बागडोर अभी पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ के हाथ में है। 2000 में एनसीए की स्थापना देश के कोने कोने से युवा प्रतिभा को तराशने हेतु हुई थी। कभी देश के लिए युवा खिलाड़ियों को तैयार करने वाली एनसीए आज केवल घायल खिलाड़ियों के लिए रिहैबिलिटेशन सेंटर बनकर रह चुकी है। ऐसे में सौरव गांगुली के नेतृत्व में बीसीसीआई ने कमान अपने हाथ में लेते हुए एनसीए के पुनरुत्थान के लिए पृष्ठभूमि तैयार करने का निर्णय किया है, जिससे एनसीए एक स्टेट ऑफ द आर्ट फैसिलिटी बनेगी, जहां से देश के लिए उच्च कोटी के प्रथम श्रेणी एवं अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर तैयार होंगे। अब चूंकि सौरव गांगुली बीसीसीआई के प्रमुख हैं, और राहुल द्रविड़ एनसीए के, इसलिए अब क्रिकेट वर्षों बाद एक सही ट्रैक पर जाता दिखाई दे रहा है।
ये सौरव गांगुली द्वारा उठाए जा रहे सुधारों और अनोखे विचारों का ही कमाल है कि उन्हें और बीसीसीआई दोनों को एक बार क्रिकेट के जगत में सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है। सबसे उत्कृष्ट बात तो यह है कि यह केवल प्रारम्भ है, आगे आगे देखते जाइए दादा क्या कमाल दिखाते हैं!