कानून से खिलवाड़ कर सार्वजनिक वस्तुओं को नुकसान पहुंचाने वालों से निपटने के लिए सरकार ने एक अच्छा उपाय ढूंढ लिया है। पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस उपाय को ढूंढा और अब रेलवे भी उसी का अनुसरण करने जा रही है। रेलवे भी अब सीएए विरोध के नाम पर परिसंपत्तियों का नुकसान करने वाले उपद्रवियों से ही वसूल करेगी। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद यादव ने इस बात का ऐलान किया।
विनोद यादव ने कहा कि सीएए का विरोध करने के नाम पर उपद्रवियों ने तोड़फोड़ और आगजनी के जरिए विभिन्न जोनों में 80 करोड़ रुपये से अधिक की रेलवे परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है। अब इन्हीं लोगों से वसूली कर नुकसान की भरपाई की जाएगी। रेलवे अफसरों के अनुसार इसके लिए उपद्रवियों के खिलाफ एफआइआर लिखकर रेलवे एक्ट की धारा 151 के तहत मुकदमे कायम किए जाएंगे।
रेलवे एक्ट में रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को सात साल तक की कैद का प्रावधान है। हालांकि, चूंकि कानून-व्यवस्था राज्यों का विषय है। इसलिए उपद्रवियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए रेलवे को राज्यों की सहमति लेनी होगी। असम में भाजपा सरकार होने के कारण ये आसान होगा, जबकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल की सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रुख को देखते हुए ऐसा कर पाना मुश्किल होगा।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा 70 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का नुकसान पूर्वी रेलवे को हुआ है। जबकि 10 करोड़ रुपये का नुकसान पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में हुआ है। इसके अलावा दक्षिण-मध्य रेलवे की परिसंपत्तियों को भी कुछ क्षति पहुंची है, जिसका आंकलन किया जा रहा है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी यही उपाय अपना रही है और वीडियो की मदद से उपद्रवियों को पहचान कर उनसे वसूली कर रही है।
योगी सरकार ने हिंसक प्रदर्शनकारियों को पैसे भरने का नोटिस भेजना भी शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में यूपी के 28 लोगों को 14 लाख रुपए भरने का आदेश दिया गया था। प्रदर्शनकारियों द्वारा 21 दिसंबर को रामपुर में सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ की गई थी। अब रामपुर प्रशासन की तरफ से जिन 28 लोगों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें एक एंब्रॉयडरी वर्कर और मसाला बेचने वाला भी शामिल है। इन लोगों को पहले से ही पुलिस ने हिरासत में लिया हुआ है। प्रशासन ने इन लोगों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का जिम्मेदार माना है। नोटिस में लोगों से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि 14.86 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उनसे क्यों ना वसूली की जाए। यूपी के लखनऊ में हिंसक प्रदर्शनों के बाद सीएम योगी ने ऐलान किया था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले गुंडों से ही इस नुकसान की भरपाई की जाएगी।
यूपी के सीएम और अब रेलवे ने जिस तरह सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचे नुकसान की भरपाई करने का तरीका खोजा है, वह प्रशंसा के लायक है। और सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार और रेलवे ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों की सरकारों को भी इसी तरह हिंसक विरोध प्रदर्शनकारियों से ही सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करने की ज़रूरत है। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना विरोध नहीं कहलाता, बल्कि गुंडागर्दी कहलाता है। यूपी के सीएम ने जिस तरह इन गुंडों को आड़े हाथ लिया है, उसी से इन गुंडों के हौसले पस्त हो सके हैं। अन्यथा, सरकारी संपत्ति को नुकसान होते देख कई राजनेता सिर्फ राजनीतिक रोटियाँ सेकने में ही विश्वास रखते हैं।