पिछले कई दिनों से देश में एक अलग तरह का उबाल देखने को मिल रहा है। आखिर हो भी क्यों न? रोज़ ही किसी न किसी प्रकार की रेप की खबरें सुनने को आ रही हैं। कुछ ही दिन पहले यह हैदराबाद से खबर आई थी, उससे पहले उन्नाव। उन्नाव से तो मानो रेप की खबर रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके शासन व्यवस्था के लिए जाना जाता था और जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी तब यह उम्मीद लगाई गई थी कि योगी सपा से मिले भ्रष्टतंत्र को सुधारेंगे और शासन व्यवस्था दुरुस्त करेंगे। उन्होंने यही किया भी लेकिन फिर से हालत खराब हो चुकी है।
उन्नाव यूपी के दो बड़े शहरों के बीच बसा हुआ है। ये दो बड़े शहर कानपुर और राजधानी लखनऊ हैं। इस लोकसभा क्षेत्र से आते हैं भाजपा के सांसद साक्षी महाराज, जो अपने बड़बोलेपन के लिए बदनाम रहते हैं। नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार उन्नाव में इस वर्ष जनवरी से नवंबर के बीच रेप के 86 मामले दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो जनवरी से नवंबर के बीच महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के भी 185 मामले उन्नाव से सामने आए हैं।
उन्नाव से कई शीर्ष राजनेता ताल्लुक रखते हैं। इनमें उत्तर प्रदेश विधानसभा के स्पीकर हृदयनारायण दीक्षित, यूपी के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक और बीजेपी सांसद साक्षी महाराज शामिल हैं। इतने बड़े नेताओं के होने के बाद भी इस एक वर्ष में एक ही शहर से इस तरह की खबरें आना शर्म की बात है।
इन मामलों से सबसे अहम मामला है कुलदीप सेंगर का जिससे उन्नाव सभी की नज़रों में चढ़ा। विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगा रेप का आरोप, फिर उसके बाद पीड़िता का एक्सीडेंट हुआ जिससे उन्नाव पूरे भारत में बहस का एक केंद्र बन गया।
रेप पीड़िता को उसके गांव के ही कुछ आरोपियों ने डंडे और चाकू से मारा और फिर पेट्रोल छिड़कर आग के हवाले कर दिया जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन जिंदगी और मौत की जंग में पीड़िता ने हार मान ली और सफदरजंग अस्पताल में उसकी मौत हो गई। इन सबके बीच कई ऐसे मामले ऐसे भी हैं जिन पर मीडिया की नज़र ही नहीं पड़ी।
बीजेपी के नेता व उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज अपने क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के बजाए कुलदीप सेंगर जैसे रेप के आरोपी को जन्मदिन की बधाई देते हैं और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन पर कोई कार्रवाई नहीं करता है। इससे शर्मनाक और क्या हो सकता है।
इससे तो यही संदेश जाता है कि बीजेपी के नेता एक रेप आरोपी के साथ हैं और उसने जो कुकर्म किया उससे उन्हें (साक्षी महाराज) कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में तो वहां के अपराधियों का मन नहीं बढ़ेगा तो क्या होगा। यहां गौर करने वाली बात ये है कि जब नेता ही अपने जिले में अपराधियों को सपोर्ट करेगा यानि जन्मदिन की बधाई देगा तो वहां के रेपिस्ट मानसिकता वाले लोगों में क्या संदेश जाएगा? इससे न सिर्फ पार्टी की बदनामी हुई बल्कि लोगों का गुस्सा सड़कों और सोशल मीडिया पर भी देखने को मिला।
योगी सरकार ने सत्ता में आते ही सपा सरकार के गुंडाराज को अपने एनकाउंटर से तहस नहस कर दिया था। कई अपराधियों ने तो स्वयं हथियार डाल दिए थे। रिकॉर्ड देखें तो मार्च 2017 में यूपी में योगी सरकार सत्ता में आई और 20 मार्च 2017 से 25 मार्च 2018 के बीच राज्य में 1,478 से अधिक पुलिस एनकाउंटर हुए। सबसे अधिक एनकाउंटर 569 मेरठ जोन में हुआ। बरेली 253 एनकाउंटर के साथ दूसरे नंबर पर रहा। इस कड़ी में में अगला नाम आगरा का आता है जहाँ 241 एनकाउंटर हुए। इससे अचानक से उत्तर प्रदेश की शासन व्यवस्था में सुधार देखने को मिला। लेकिन पिछले एक वर्ष में अपराधों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि मौजूदा हालात बदल चुके हैं, ऐसा लग रहा है कि यूपी पुलिस आराम फरमाने लगी है और उन्नाव जैसे शहर में तो जैसे रेपिस्टों का दबदबा हो गया है। हर महीने बेटियां दरिंदो के हत्थे चढ़ रही हैं। यहां न्याय व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अब यह समझना होगा कि यूपी में अपराधियों में भय है लेकिन सामूहिक बलात्कार मामले में जमानत पर चल रहे अपराधी जब पीड़िता को जिंदा जलाने का दुस्साहस रखते हों, उससे तो यही स्पष्ट होता है कि प्रदेश में क़ानून व्यवस्था पूरी तरह फेल हो चुकी है।
उन्नाव में हुए इन मामलों में आखिर किसकी जवाबदेही बनती है? योगी आदित्यनाथ को जवाब देना होगा। सिर्फ मुख्यमंत्री को ही नहीं बल्कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को भी जवाब देना होगा कि आखिर साक्षी महाराज जैसे बड़बोले नेताओं को टिकट क्यों देते हैं जो रेप के मामले में दोषी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भेजता है?
योगी आदित्यनाथ को जनता ने सपा के गुंडाराज को खत्म करने के लिए सत्ता में बिठाया था लेकिन अगर वही तस्वीर भाजपा की योगी सरकार में भी दिखेगी तो इससे शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता। यह फिर से भय में जी रही जनता के मुंह पर तमाचे जैसा है।
अब बहुत हो चुका और मुख्यमंत्री को यह निश्चित करना होगा कि वह अपराध रोकना चाहते है तो वापस 2017 वाले मोड में तुरंत आएं और सिर्फ उन्नाव ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त करें।