राहुल गांधी अपने अनोखे बयानों के लिए मीडिया में हमेशा बने रहते हैं। कई बार तो वे कुछ ऐसा बोल देते हैं कि वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और बड़े-बड़े पॉलिसी मेकर भी अपना माथा पकड़कर बैठ जाते हैं। याद होगा कि राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था- ”ऐसी मशीन लगाउंगा, इधर से आलू घुसेगा और उस साइड से सोना निकलेगा। इस साइड से आलू डालो, उधर से सोना निकालो। इतना पैसा बनेगा, आपको पता नहीं होगा क्या करना है पैसों का।”
ठीक इसी तरह राहुल गांधी ने फिर से देशवासियों को अपने बयान से मनोरंजित किया है। दरअसल, झारखंड विधानसभा चुनाव प्रचार में राहुल गांधी एक रैली को संबोधित कर रहे थे उस दौरान उन्होंने 15 मिनट में देश की अर्थिव्यवस्था सुधारने का एक सुपर आइडिया दिया। राहुल ने कहा- ‘नरेंद्र मोदी सिर्फ अपने अमीर दोस्तों की मदद करते हैं, जितना पैसा मोदी सरकार ने अमीरों को दिया है अगर वही देश के गरीबों को दे दें, तो देश की अर्थव्यवस्था 15 मिनट में खड़ी हो जाएगी। क्योंकि गरीब के पास जब पैसा होगा तो वो सामान खरीदेंगे।’
अमेठी के लोगों को आलू से इतना सोना निकालकर दिया कि उन्होंने सत्ता से ही उखाड़ फेंका!
राहुल गांधी की पार्टी को देश ने 70 सालों तक सत्ता में बिठाया लेकिन वे देश की अर्थव्यवस्था को सुधार नहीं सके लेकिन आज खुले मंच से तर्क दे रहे हैं कि वे मात्र 15 मिनट में देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर ला देंगे। अगर उन्ही की पैत्रिक संसदीय क्षेत्र अमेठी की बात करें तो उन्होंने कई सालों तक जनता को इतना आलू से सोना निकाल कर दिया कि लोगों ने अमेठी से ही उन्हें उखाड़ फेंका। वो तो वायनाड सीट से भी चुनाव लड़े थे वरना राहुल गांधी और कांग्रेस की इज्जत मटियामेट हो गई होती।
राहुल बाबा की न्याय स्कीम जिसे कांग्रेस के किसी सीएम ने नहीं स्वीकारा
राहुल गांधी की आर्थिक नीति कुछ इस प्रकार रही है कि उन्ही की पार्टी के नेता उसे समर्थन नहीं करते। लोकसभा चुनाव से पहले अपने चुनावी घोषणापत्र में राहुल ने कांग्रेस की तरफ से न्याय स्कीम लॉन्च करने की बात की लेकिन न तो चुनाव जीत पाए न ही उनकी न्याय स्कीम सफल हो पाई। न्याय स्कीम लॉन्च करने से पहले देश के कई अर्थशास्त्रियों ने कहा था कि यह स्कीम केवल एक खोखला वादा भर है इसे पूरा करने में कांग्रेस के पसीने छूट जाएगें। दरअसल, कांग्रेस पार्टी सरकार में आने पर देश की 20 फ़ीसदी निर्धन परिवारों को 72 हज़ार रुपये सालाना मदद करने का वादा की थी। यानी छह हज़ार रुपये प्रति माह की मदद की बात कही गई थी। आज हालत यह है कि न्याय स्कीम कांग्रेस शासित राज्यों में भी वहां के मुख्यमंत्रियों ने लागू नहीं किया। यानी ये राहुल जी की निजी आर्थिक नीति थी। इसे कांग्रेस के अन्य नेता कोई तव्वजो नहीं देते।
राहुल गांधी ने एक बार तो नहरों की सिंचाई की बात की थी
साल 2001 की बात है राहुल गांधी सार्वजनिक मंचों पर दहाड़ने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि राहुल गांधी वहां भी कुछ नहीं कर सके। उन्होंने रायबलेली की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सरकार आई तो हम नहरों की सिंचाई के लिए बेहतर इंतजाम करेंगे। राहुल के मुंह से यह बयान सुनकर रैली में उपस्थित लोग हंसहंस कर गिर गए। यहां तक की मंच पर उपस्थित कांग्रेस के नेता भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए। जब कांग्रेस के सांसद सतीश शर्मा को लगा कि स्थिति सुधारनी पड़ेगी तो धीरे से वे कान में बोले कि नहरों की सिंचाई नहीं, खेतों की सिंचाई के इंतजाम के बारे में कहिए।
कोका कोला कंपनी शुरू करने वाला शिकंजी बेचता था
दिल्ली में आयोजित एक ओबीसी सभा को राहुल गांधी संबोधित कर रहे थे उस दौरान भी उन्होंने एक अजीबोगरीब बयान दिया जिससे वे पूरी मीडिया में हफ्तों तक छाए रहे। उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने कहा- ‘कोका-कोला कंपनी को शुरू करने वाला एक शिकंजी बेचने वाला व्यक्ति था, जहां उसके एक्सपीरियंस और हुनर का आदर हुआ, पैसा मिला, कोका-कोला कंपनी बनी। इसी तरह मैक्डोनाल्ड्स का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा कि मैक्डोनाल्ड्स को एक ढाबा चलाने वाले ने शुरू किया था। इस बयान के बाद तो राहुल गांधी की खूब खिंचाई हुई। राहुल के बचाव में पार्टी के दिग्गजों को आना पड़ा।
अगर राहुल के सभी बयानों को लिखा जाए तो एक हास्य उपन्यास तैयार हो जाएगा
ये तो राहुल गांधी के कुछ गिने चुने ही बयान थे अगर उनके सभी बयानों को लिखा जाए तो एक हास्य उपन्यास तैयार हो जाएगी। राहुल गांधी वास्तव में एक ऐसे नेता हैं जो राजनीति जमीन पर नहीं सीखे हैं वे महलों में बैठकर गांव के खेती किसानी की बात करते हैं, जिसमें वे आसानी से पकड़ लिए जाते हैं कि राहुल को जमीनी ज्ञान रच मात्र भी नहीं है। बस वो हवा में तीर छोड़ते हैं, जो आखिर में उन्ही को घायल करती है।