पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा जब दूसरी बार सत्ता में आई तो सभी को उम्मीद थी कि अमित शाह को महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया जाएगा। कईयों ने तो यह अनुमान भी लगाया था कि उन्हें गृह मंत्रालय ही मिलेगा, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि सिर्फ 6 महीनों के अंदर में ही पीएम मोदी के नेतृत्व में गृहमंत्री अमित शाह इस तरह से लगातार बिल पास करवाएंगे।
हालांकि किसी के सोचने से कुछ नहीं होता और सच्चाई यह है कि 6 महीनों में ही इन दोनों की जोड़ी ने देश में कभी असंभव मान लिए गए मामलों और विषयों को अपने निर्णायक और स्पष्ट दूर दृष्टि से संभव बनाया। मोदी और शाह ने मिलकर सिर्फ एक दो विषयों पर ही ऐतिहासिक फैसले नहीं लिए बल्कि कई मामलों पर कड़े फैसले लिए जिसे शाश्वत सत्य मान लिया गया था कि इन मुद्दों को किसी की भी सरकार सुलझा नहीं सकती। शाह और मोदी की जोड़ी ने मिलकर न सिर्फ उससे जनता के सामने रखा बल्कि उसका हल भी निकाला।
इसकी शुरुआत हुई अनुच्छेद 370 पर बहस और फिर उसे संसद में पेश करने से। इन दोनों की जोड़ी ने न सिर्फ वर्षों से विवादित इस मुद्दे को संसद में पेश किया बल्कि पारित भी कराया और उसे शांतिपूर्ण तरिके इम्प्लीमेंट भी कराया। किसी भी प्रकार की गोलीबारी में किसी की जान नहीं गयी। इतिहास की इस गलती को 72 वर्षों तक किसी ने आंख उठाकर देखने की भी कोशिश नहीं की। अनुच्छेद 370 हटाना तो दूर की बात इसे संविधान में बनाए रखने के लिए कई तिकड़म लगाई गयी थी।
नेशनल कान्फ्रेंस और PDP जैसी पार्टियों के लिए तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 आम लोगों के बीच भ्रम पैदा करने का एक सहारा बन चुका था जिससे वे लोगों को गुमराह कर बार-बार सत्ता में आते रहे। कांग्रेस भी आराम से इनका ही साथ देती रही क्योंकि यह सब किया धारा ही उन्हीं का था।
मोदी-शाह के आने से पहले जब भी बीजेपी ने 370 का मामला उठाया तब कांग्रेस और उसके चाटुकार मीडियाकर्मियों ने मामले को इस तरह से तोड़ मरोड़कर जनता के सामने रखा कि सभी को यही लगने लगा कि भाजपा 370 के बारे में बात कर गुनाह कर रही है। सभी यही दावा करते थे कि अनुच्छेद 370 को हटाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। कई नेताओं ने ऑन रिकॉर्ड इसे न हटाने का दावा किया था और BJP को खुली चुनौती दी थी कि दम हो तो कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाकर दिखाएं।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि जम्मू कश्मीर और भारत के बीच जो भी रिश्ता या लिंक है वह केवल अनुच्छेद 370 के आधार पर है, अगर इसे हटाया गया तो फिर जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रहेगा।
Mark my words & save this tweet – long after Modi Govt is a distant memory either J&K won't be part of India or Art 370 will still exist 2/n
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 27, 2014
Art 370 is the ONLY constitutional link between J&K & rest of India. Talk of revocation of not just ill informed it's irresponsible. 3/3
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 27, 2014
यही नहीं कई पत्रकारों ने भी अलग अलग तरीके से इसे असंभव मान लिया था। परंतु मोदी-शाह की जोड़ी ने इस असंभव को संभव बनाते हुए 5 अगस्त 2019 को इतिहास लिख दिया और अनुच्छेद 370 का नामों निशान मिटा दिया।
इसी तरह कड़ी में राम मंदिर का मामला भी है। हालांकि यह मामला कोर्ट के अधीन था लेकिन कानून व्यवस्था तो सरकार के जिम्मे ही थी। अयोध्या मामले को भी असंभव मान लिया गया था और यह कहा जा रहा था कि इसका अब कुछ नहीं हो सकता है और हिंदुओं को अपनी जमीन छोड़नी पड़ेगी नहीं तो फिर बंटवारा किया जाएगा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह निर्णय कर लिया था कि अब बहुत हो चुका और इस पर फैसला हो जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने रोज़ सुनवाई करने का निर्णय लिया और अंतत: फैसला हिंदुओं के पक्ष में आया। हालांकि कयास ये भी लगाए जा रहे थे कि फैसला आने पर दंगा भड़क सकता है लेकिन सरकार ने जमीनी स्तर पर भी इतनी सजगता दिखाई कि कहीं से भी कोई अनहोनी की खबर नहीं आई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दोनों ही समुदाय बेहद खुश हैं।
अब इसी तरह से जब यह नागरिकता संशोधन बिल के बारे में बात चल रही थी तो विपक्षी दल और एलिट पत्रकार यही रायता फैला रहे हैं कि मोदी सरकार गलत कर रही है। लेकिन यही लोग उस वक्त अपने मुंह पर पट्टी बांधकर चुप हो जाते हैं जब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदुओं के साथ वहां की सरकार और बहुसंख्यक जनता दुर्व्यवहार करती है। तब ये उन इस्लामिक दंगाईयों पर चुप्पी साध लेते हैं। लेकिन अब यही काम सरकार संवैधानिक तरिके से हल कर रही है तो इन लिबरलों को भारत पाकिस्तान बनते हुए नजर आ रहा है। ये कह रहे हैं कि यह बिल मुस्लिम विरोधी है और इससे दंगे भड़क सकते हैं। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ और मोदी-शाह की जोड़ी ने इस असंभव को भी संभव कर दिखाया। यह इन दोनों की करिश्मा ही है जो जनता ने 303 का आंकड़ा दिया और फिर इन दोनों ने एक बेहतरीन साझेदारी करते हुए देश की दशा और दिशा दोनों को बदलने के लिए उपयोग कर रहे हैं।
जब इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में 300 से अधिक सीटें मिलीं तो यह स्पष्ट हो गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टक्कर में कोई नहीं है। उस समय यह आस लगाई गयी थी कि इस बार पहले से अधिक करिश्मा होगा। प्रधानमंत्री ने भी सभी की उम्मीदों के अनुरूप गृह मंत्रालय अमित शाह को सौंप दिया। गृह मंत्रालय संभालने के बाद 3 महीनों में ही अमित शाह ने वह सब कुछ कर दिखाया जिसके लिए लोग “असंभव” शब्द का प्रयोग करते थे।
प्रधानमंत्री मोदी पहले कार्यकाल में भी इतने ही निर्णायक थे लेकिन उस समय होने वाले इन बदलावों की नींव रखी जा रही थी और जब वह दूसरे कार्यकाल में प्रचंड बहुमत के साथ आए तो फिर मोदी और शाह ने मिलकर इन सभी असंभव और अनहोनी की संज्ञा के अलंकृत किए जा चुके मामलों को सुलझा कर देश को एक नए दौर में प्रवेश कराया जहां एक ओर देश की जड़े सनातन धर्म से जुड़ी हैं तो वहीं दूसरी ओर हम मंगल और चांद की ऊंचाई छु रहे हैं।