शिवसेना ने कुर्सी की लालच में जिस तरह से कांग्रेस और एनसीपी का दामन थामा है उससे अब साफ सिद्ध हो गया है कि बाला साहेब ठाकरे की विरासत पर दावा करने का अधिकार उनके पास नहीं बचा है। अपने राजनीतिक जीवन के 5 दशकों में बालासाहेब ठाकरे ने हमेशा कांग्रेस और एनसीपी को विरोधी पार्टियों के रूप में देखा। बाला साहब ठाकरे कांग्रेस पार्टी के मुखर विरोधी थे। खासकर 90 के दशक के आखिर में सोनिया ने पार्टी को नियंत्रित करना शुरू किया था। ठाकरे ने सोनिया गांधी के राजनीति में प्रवेश का जमकर विरोध किया था और कहा था कि एक इटालियन महिला द्वारा शासित होने के बजाय देश को ब्रिटिश को सौंपना बेहतर होगा। अपनी मृत्यु से कुछ दिन ही पहले बाला साहेब ठाकरे ने एक जनसभा में कहा था- ”कांग्रेस पार्टी कैंसर के समान है। राज्य और केंद्र से कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंको। ये पार्टी एक कैंसर है।”
फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को बालासाहेब की विरासत धूमिल करने के लिए विधानसभा में जमकर लताड़ लगाई। उद्धव ठाकरे द्वारा अपने पिता बालासाहेब ठाकरे से मुख्यमंत्री बनने के वादे पर फडणवीस ने चुटकी लेते हुए कहा कि क्या उन्होंने (उद्धव ठाकरे) बाला साहेब ठाकरे को सूचित किया था कि कांग्रेस और एनसीपी की मदद से लक्ष्य को हासिल करेंगे।
पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने जलियांवाला बाग हत्याकांड का जामिया हिंसा से तुलना करने पर जमकर लताड़ लगाई
बैसाखी का दिन था जब जनरल डायर ने अपने पुलिसकर्मियों के साथ हजारों प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया। उस दिन हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी अमृतसर के जलियांवाला बाग में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। तभी जनरल डायर की कायर सेना ने निहत्थे लोगों पर गोलियों की बौछारें कर दीं। जिसमें लगभग हजारों लोग मारे गए। इसी हत्याकांड को लेकर सेक्युलर उद्धव ठाकरे ने एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है था – ‘जामिया मिल्लिया इस्लामिया में जो हुआ, वह जलियांवाला बाग जैसा था। विद्यार्थी ‘युवा बम’ सरीखे होते हैं। इसलिए हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि विद्यार्थियों के साथ वह न किया जाए, जो सरकार कर रही है।’
पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे की गैर जिम्मेदाराना और निंदनीय तुलना के लिए जमकर खिंचाई की है। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस ने बाला साहेब ठाकरे की विरासत की धज्जियां उड़ाने वाले उद्धव को जमकर लताड़ लगाई है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- ‘मुख्यमंत्री उद्धव जी ठाकरे द्वारा जामिया विश्वविद्यालय की घटना को जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसा बताना उन सभी शहीदों के लिए बहुत बड़ा अपमान है, जिन्होंने हमारे राष्ट्र के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है।’
Equating Jamia University incident with Jallianwala bagh massacre by CM Uddhav ji Thackeray is big big insult to all the martyrs who have sacrificed their life for our Nation.
Entire Nation & Maharashtra wants to know if Uddhav ji agrees with these slogans? pic.twitter.com/qFZ823AGLC
— Devendra Fadnavis (Modi Ka Parivar) (@Dev_Fadnavis) December 17, 2019
आगे उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘इस तरह के विरोध का समर्थन कर शिव सेना ने यह साबित कर दिया है कि निजी स्वार्थ के लिए वह कितना नीचे गिर चुकी है।’
By promoting and encouraging such agitations, it is now very clear to what extent ShivSena has stooped down on compromises for personal greeds ! pic.twitter.com/tPTTPfnVOG
— Devendra Fadnavis (Modi Ka Parivar) (@Dev_Fadnavis) December 17, 2019
अगले ट्वीट में सीएए और एनआरसी पर स्पष्ट करते हुए, देवेंद्र फड़नवीस ने राज्य को यह भी बताया कि एनआरसी और सीएए के बीच कोई संबंध नहीं है। उन्होंने लोगों से इस मुद्दे से जुड़ी गलत सूचना को रोकने का आग्रह किया है।
There is no relation between #NRC & #CAA.
Stop spreading misinformation campaign.
एनआरसी आणि सीएए यांचा काहीच संबंध नाही !
नागरिकांमध्ये भ्रम पसरवू नका! pic.twitter.com/w2xbuEhGvC— Devendra Fadnavis (Modi Ka Parivar) (@Dev_Fadnavis) December 18, 2019
इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ठाकरे ने यहां विधानभवन के बाहर मीडिया से हुई बातचीत में कहा था कि इस तरह की कार्रवाई से भय का माहौल बनाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा- ”समाज में जानबूझकर अशांति का माहौल बनाने का प्रयास किया गया है। जिस तरह से पुलिस ने परिसर में जबरदस्ती घुसकर छात्रों पर गोलियां चलाईं, वह जलियांवाला बाग नरसंहार के जैसा है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस देश या राज्य के युवा नाराज होते हैं वहां शांति स्थापित नहीं हो सकती। युवा हमारी ताकत हैं। हम जल्द ही सबसे ज्यादा युवाओं वाले देश होंगे। युवा शक्ति एक बम है और हम सरकार से निवेदन करते हैं कि वे इनसे न खेंले।”
शिवसेना और उसके मास्टर उद्धव ठाकरे के आधार के बारे में सभी को पता है कि कैसे उन्होंने हिंदुत्व के नाम पर वोट बटोरे हैं लेकिन अब एनसीपी, कांग्रेस के साथ मिलकर धर्मनिरपेक्षता की नंगी नाच में शामिल हो गए हैं। उद्धव का पाखंड उनकी संकीर्ण राजनीतिक आकांक्षा पर आधारित है, जो उनके हिंदुत्व की सहयोगी भाजपा को भी नहीं छोड़ा।
किसी हिंसक प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए पुलिस की कार्रवाई को जलियांवाला बाग हत्याकांड से तुलना करना बहुत ही निराशाजनक है। उद्धव को इससे लिए अविलंब माफी मांगनी चाहिए। इस तरह के छद्म सेक्युलर रुख के साथ उन्होंने पुष्टि की है कि वह कांग्रेस पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकाल में बदल गए हैं। सेक्युलर कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने के लिए, उद्धव ठाकरे हमेशा कोई न कोई बयानबाजी करते रहते हैं।
जब से उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम बने हैं तभी से देवेंद्र फडणवीस के लंबित कामों को आगे बढ़ाने के बजाय उसे रोकने का काम कर रहे हैं। बुलेट ट्रेन, आरे प्रोजेक्ट सहित भाजपा शासनकाल की कई परियोजनाओं को मिट्टी में मिलाने का काम कर रहे हैं। जैसा कि उनकी पार्टी के पास बहुमत नहीं है, वह देवेंद्र फड़नवीस की तरह जुझारू और तेज होने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने इस तरह का शर्मनाक बयान देकर अपने से ही अपने को मूर्ख घोषित कर लिया है। कुल मिलाकर जब से उद्धव सेक्युलरिज्म का चोला पहने हैं तब से ही वह मात्र हंसी के पात्र बनकर रह गए हैं।