पुलिस का काम क्या होता है? लोगों की रक्षा करना!! किससे? गुंडे, बदमाशों मावाली, उपद्रवी और आतंकवादियों से! आज के जमाने में अपराध का दायरा बढ़कर इंटरनेट की दुनिया तक पहुंच चुका है इसलिए पुलिस जनता को बचाने के लिए ऑनलाइन अपराधों पर भी कड़ी नज़र रखती है। परंतु जब पुलिस पर ही हमले होने लगे तो पुलिस कया करे? सिर्फ रोड पर पत्थर या बम से नहीं बल्कि ऑनलाइन दुष्प्रचार कर पुलिस को बदनाम करने के लिए टार्गेट किया जा रहा है।
दरअसल, जब से नागरिकता संशोधन कानून संसद से पारित हुआ है तभी देश के कुछ शरारती तत्व देश में अफवाह फैला कर दंगे करने की फिराक में थे। इसके लिए पूरी प्लानिंग भी की गयी थी। खासकर उत्तर प्रदेश और दिल्ली को दहलाने की पूरी कोशिश की गयी थी। दिल्ली का जामिया नगर, सीलमपुर जैसे इलाकों में तो इतनी पत्थरबाजी हुई कि पुलिस के 2 जवान ICU में भर्ती हैं। इसी तरह इन आतंकवादियों ने इस उपद्रव की शुरुआत अलीगढ़ से करने की सोची थी। इसके बाद लखनऊ जलाने की भी कोशिश की गयी लेकिन राज्य योगी आदित्यनाथ के हाथ में थी और
उन्होंने यूपी पुलिस को खुलेआम छूट दे दी। इसके बाद तो जैसे पुलिस में जान ही आ गई। यूपी पुलिस ने दंगाईयों को मुंहतोड़ जवाब दिया और 2 दिन में ही हिंसा करने वालों की कमर तोड़ डाली। हिंसक प्रदर्शनों में यूपी में 5 लोगों की मौत हुई। ज्यादातर शवों पर गोलियों के निशान मिले हैं। यूपी पुलिस के मुखिया ओपी सिंह ने शुरूआत में पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने की खबरों का खंडन किया था। विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के मामलों में 879 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। वहीं सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने के आरोप में 408 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन लोगों को पहले से ही पुलिस ने हिरासत में लिया हुआ है। प्रशासन ने
इन लोगों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का जिम्मेदार माना है। नोटिस में लोगों से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि 44.86 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उनसे क्यों ना वसूली की जाए।
पुलिस सिर्फ उपद्रवियों से ही नहीं निपट रही थी, बल्कि सोशल मीडिया पर पुलिस के बारे में फैलाये जा रहे झूठ से भी लड़ रही है। जब यूपी पुलिस अपनी सही रणनीति और कड़े निर्णय से दंगों को रोकने में सफल रही उसके बाद इंटरनेट पर मानवाधिकार के नाम पर पुलिस को बदनाम करने के लिए आतंकियों को संरक्षण देने वाले सामने आने आगे और यूपी पुलिस पर हमले करना शुरू कर दिया। यूपी पुलिस ने ना सिर्फ इन प्रोपोगेंडा फैलाने वालों को करारा जवाब दिया बल्कि तकनीक के सहारे उपद्रवियों को भी धर दबोचा है, साथ ही उन सभी का वीडियो और फोटो भी जनता के बीच और सोशल मीडिया पर डाल दिया है।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में हिंसा की चपेट में आने के कुछ दिनों बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने एक ड्रोन का इस्तेमाल किया था, जिसकी मदद से हिंसा प्रभावित क्षेत्रों की छतों को स्कैन किया गया। इससे जिले के नालबंद चौराहा, नैनी ग्लास चौराहा और जाटवपुरी के इलाकों में छतों पर हिंसा में इस्तेमाल होने में सक्षम ईंटों, पत्थरों और अन्य सामग्रियों के होने का खुलासा भी हुआ था। इससे पता चलता है कि कैसे सोची समझी साजिश के अनुसार सुनियोजित तरीके से हिंसा को बढ़ावा दिया गया था। बता दें कि हिंसक घटनाओं में 288 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, 62 पुलिसकर्मी गोली लगने से गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। पुलिस कर्मियों में से एक को सीने में गोली लगी थी परन्तु उसके वॉलेट में हनुमान जी की फोटो, सिक्के और एटीएम कार्ड ने उसे बचा लिया।
इस तरह की सभी घटनाएं साबित करती हैं कि कैसे हिंसा को पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी तक सीमित नहीं था बल्कि, पुलिसकर्मियों को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया गया है। जानबूझ कर जानलेवा हथियारों से उन पर गोली चलाई गई। पीएफआई के शामिल होने से यह तस्वीर और स्पष्ट हो जाता है। बावजूद इसके लिबरल गैंग इन घटनाओं को वाइटवॉश करने में ही लगा था। उदाहरण के तौर पर पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मामला लेते हैं। पुलिस पर यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने विश्वविद्यालय के गेट को तोड़कर विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया था।
A reaffirmation of our earlier stand that the AMU gate was not broken down by any security agency.@ndtv @ANINewsUP @News18UP @htTweets @ABPNews @ZEEUPUK @aajtak @TOILucknow @bstvlive https://t.co/ZMYqXZqCGO pic.twitter.com/qNv71Few25
— UP POLICE (@Uppolice) December 24, 2019
हालांकि, यूपी पुलिस ने हाल ही में एक वीडियो ट्वीट किया है, जो यह स्पष्ट करता है कि जो प्रचारित किया जा रहा था,मामला ठीक उसके विपरीत था। वास्तव में यह विश्वविद्यालय के छात्र थे जिन्होंने एएमयू गेट को तोड़ दिया था। पुलिस अपने रुख पर अड़ी रही कि उसे स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। यूपी पुलिस द्वारा ट्वीट किए गए एक अन्य वीडियो में दिखाया गया है कि पुलिस किस तरह से शांति की अपील कर रही है, जबकि “छात्र- के रूप में एक्टिविज़्म” करने वालों को उग्र रूप में देखा जा सकता है।
UP Police denies such allegations. Responsible reporting would require that you share verifiable evidence that we can look into.
— UP POLICE (@Uppolice) December 22, 2019
Your timeline shows nothing but police action for enforcing order. Instead of metaphors, specific proof would be appreciated.
Meanwhile, as per your timeline, a police chowki and several police vehicles were torched by the mob.https://t.co/bldj7vWsXl https://t.co/PSxkNZNcQL— UP POLICE (@Uppolice) December 22, 2019
सोशल मीडिया पर भले ही झूठ फैलाया जा रहा है और पुलिस को बैकफुट पर भेजने की कोशिश की जा रही हो लेकिन पुलिस ने तनिक भी कदम पीछे नहीं खींचा बल्कि और अधिक जबरदस्त तरीके से इन सभी प्रोपोगेंडा करने वालों को जवाब दिया है। पुलिस हिंसा और दंगे में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने से भी नहीं कतराई। लगभग 5,400 लोगों को यूपी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और उनमें से 705 को जेल भेज दिया गया है। साथ ही कट्टरपंथी इस्लामी संगठन, पीएफआई के उत्तर प्रदेश प्रमुख को भी सीए-विरोधी हिंसा के लिए दो सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया।
यहां तक कि पीएम मोदी ने सार्वजनिक संपत्ति की जलाने वाले हिंसक दंगाइयों को आड़े हाथों लेते हुए पुलिस की सराहना भी की थी। जिस तरह से यूपी पुलिस ने दंगाइयों पर कार्रवाई भी की और जुर्माना लगाया है उससे पूरे लिबरल गैंग में बेचैनी देखी जा सकती है। हालाँकि, यूपी पुलिस ने दंगाइयों से कड़े अंदाज में निपट कर एक बहुत अच्छी मिसाल कायम की है और दूसरे राज्यों के पुलिस के लिए एक मानक भी तय कर दिया है।