अमेरिका की सबसे उत्कृष्ट टेक्निकल कंपनियों में से एक मानी जाने वाली गूगल ने यूएस के केन्द्रीय बैंक यानि फेडरल रिज़र्व को सुझाव दिया है कि वे भारत द्वारा संचालित यूपीआई [यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस] का अनुसरण करे, जिससे यूएसए में तेज़ गति से भुगतान संभव हो सके। गूगल ने फेडरल रिज़र्व को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने न केवल यूपीआई की सफलता के बारे में बात की है, अपितु यूपीआई की तर्ज पर यूएस में ‘FedNow’ नामक एक आरटीजीएस प्लैटफ़ार्म निर्मित करने का भी सुझाव दिया है।
बता दें कि यूपीआई भारत द्वारा निर्मित एक इंस्टेंट रियल टाइम पेमेंट सिस्टम है, जिसे ऑनलाइन वित्तीय गतिविधियों को सुचारु रूप से सक्रिय रखने के लिए बनाया गया है। इस इंटरफेस को आरबीआई नियंत्रित करती है, और ये मोबाइल प्लेटफ़ार्म पर दो बैंक अकाउंट के बीच वित्तीय गतिविधियों का संचालन करती है। ये देश भर में होने वाले सार्वजनिक और निजी पेमेंट के लिए एक अम्ब्रेला ऑर्गनाइज़ेशन के समान है। यूपीआई पर सक्रिय अहम प्लेटफ़ार्म में पेटीएम, फोनपे, एमज़ोन पे, भीम ऐप्प शामिल है। यूपीआई और भीम ऐप्प को भारत के राष्ट्रीय पेमेंट्स कार्पोरेशन ने निर्मित किया है, जिसे देश के केन्द्रीय बैंक यानि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया से प्रोत्साहन मिलता है।
स्वयं गूगल द्वारा संचालित गूगल पे भी यूपीआई का एक अहम हिस्सा बन चुका है। गूगल के भारतीय विभाग से संबन्धित सीज़र सेनगुप्ता कहते हैं, “हम इस बात पर स्पष्ट रहे हैं कि डिजिटल पेमेंट को सुचारु रूप से सक्रिय रखने के लिए बैंक, सरकार और टेक कंपनीज़ के बीच उचित साझेदारी ही सही है, जो यूपीआई जैसे स्पष्ट और स्टैंडर्ड आधारित इनफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा करती है”।
2017 में लॉन्च हुई यूपीआई अब विश्व भर में अपनी क्षमता का लोहा मनवा रही है। फ़िडेलिटी नेशनल इन्फॉर्मेशन सर्विसेज़ द्वारा ‘फ़ास्टर पेमेंट्स इनोवेशन इंडेक्स’ में यूपीआई को सर्वश्रेष्ठ त्वरित पेमेंट इंटरफेस [IMPS] की उपाधि मिली थी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने देश के वित्तीय प्रणाली के डिजिटाइज़ेशन को लागू करने हेतु डिजिटल और कार्ड गतिविधियों में भारी कटौती की, जिसके कारण डिजिटल गतिविधियों के क्षेत्र में देशभर में क्रान्ति आ गयी।
नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में डिजिटल इंडिया की मुहिम लगातार आगे बढ़ रही है। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 में यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस यानि यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट ने डेबिट कार्ड से हुए लेनदेन को भी पीछे छोड़ दिया है। वित्त वर्ष 2019 में देश में 5.35 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए, जबकि डेबिट कार्ड के जरिए सिर्फ 4.41 बिलियन लेनदेन हुए। देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि यूपीआई ट्रांजेशक्शन के आंकडों ने डेबिट कार्ड के जरिए लेनदेन के आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है। इससे यह साबित होता है कि देशवासियों में डिजिटल पेमेंट के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बैंकिंग सिस्टम में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में हो रही डिजिटल क्रांति की गूंज पूरे विश्व में सुनाई पड़ रही है। जन धन खाता, आधार और मोबाइल की तिकड़ी से 90,000 करोड़ रुपयों की बचत हो चुकी है।
यूपीआई के महत्व के बारे में बताते हुए गूगल के सरकारी एवं सार्वजनिक नीतियों के उपाध्यक्ष मार्क इसकोविट्ज़ कहते हैं, “यूपीआई एक तो इंटरबैंक ट्रान्सफर प्रणाली है।[पहले के 9 बैंकों के मुक़ाबले अब 140 मेम्बर बैंक हो चुके हैं] इसके अलावा ये एक रियल टाइम सिस्टम है और तीसरा, ये स्पष्ट रूप से एक ‘ओपेन सिस्टम’ है, यानि यहाँ तकनीकी कंपनी अपने खुद के एप निर्मित कर सकती है, जिससे उपभोक्ता अपने बैंक अकाउंट से जब चाहे और जैसे चाहे पैसा निकाल सकते हैं।‘’
इससे पहले भी कई विशेषज्ञों और कमेटियों ने बताया कि कैसे यूपीआई और रुपे को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना चाहिए। डिजिटल पेमेंट के लिए स्थापित नन्दन नीलेकणी वाली कमेटी ने सुझाव दिया था कि यूपीआई को ग्लोबल कर देना चाहिए। लाइवमिंट के एक में ट्राईलीगल में पार्टनर और ‘प्राइवेसी 3.0 : अनलॉकिंग आवर डेटा ड्रिवेन फ्यूचर’ के लेखक राहुल मत्थान लिखते हैं, “यूपीआई विकेंद्रित भले न हो, पर ये पैची मोबाइल नेटवर्कों पर भी बढ़िया चलता है”।
मोदी सरकार से पहले डिजिटल गतिविधियों में वीज़ा, मास्टरकार्ड और अमेरिकन एक्स्प्रेस का बोलबाला हुआ करता था। वे ग्राहकों से मनमाना शुल्क वसूलते थे और और कार्ड पेमेंट एक एलीट प्रैक्टिस माना जाता था। परंतु मोदी सरकार के आगमन के साथ ये रीति भी हमेशा के लिए बदल गयी।
कैश आधारित अर्थव्यवस्था पर लगाम लगाने हेतु भारतीय यूजर्स के लिए रुपे कार्ड का सृजन किया गया। अब इस कार्ड को 195 से ज़्यादा देशों में स्वीकृत किया जाता है। सिंगापुर पहला ऐसा देश बना जो रुपे स्कीम के अंतर्गत यूपीआई से सभी प्रकार के भारतीय पेमेंट स्वीकारता है। इसके अलावा मालदीव को भी रुपे की सुविधा प्राप्त हुई। कभी डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में एकछत्र राज करने वाले वीज़ा और मास्टरकार्ड अब रुपे से काफी भयभीत महसूस कर रहे हैं, और दूसरी ओर गूगल जैसे कंपनी यूएस फेडरल रिज़र्व को इस भारतीय ऐप्प का अनुसरण करने को कह रहे हैं, जो भारत के लिए किसी कूटनीतिक विजय से कम नहीं है।